पंचायत चुनाव को प्रभावित करने के नजरिये से मोरियावा में पुलिस ने किया तांडव: माले

भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने पटना जिले के धनरूआ प्रखंड के मोरियावा में पुलिस द्वारा किए गए तांडव की कड़ी निंदा की है, जिसमें एक व्यक्ति की जान जा चुकी है और अभी भी तीन लोग घायल हैं। सबसे शर्मनाक यह है कि पुलिस अपनी ताकत का दुरुपयोग करके पंचायत चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश कर रही थी, जिसका ग्रामीण लगातार विरोध कर रहे थे। अंततः पुलिस ग्रामीणों-महादलितों की बर्बर पिटाई व फायरिंग तक पर उतर आई। उन्होंने सवालिया अंदाज में पूछा कि आखिर पुलिस को पंचायत चुनाव को प्रभावित करने का अधिकार किसने दिया?
माले राज्य सचिव ने कहा कि यह बहुत ही संगीन मामला है, और इस मामले में राज्य चुनाव आयोग को तत्काल संज्ञान लेना चाहिए।

यूं तो बिहार में पंचायत चुनाव दलीय आधार पर नहीं होते, लेकिन हर प्रत्याशी का संबंध किसी न किसी राजनीतिक पार्टी से होता ही है। मोरियावा में पुलिस राजद-माले समर्थक आधार से आने वाले मुखिया पद के उम्मीदवार सुरेन्द्र साह की बजाए भाजपा-जदयू खेमे से आने वाले प्रत्याशी रंजन कुमार के पक्ष में माहौल बनाना चाह रही थी और इसी उद्देश्य से वह लगातार 10 दिनों से ग्रामीणों को तंग कर रही थी। जिसमें प्रताड़ित करने से लेकर धमकी सब शामिल है।
जांच रिपोर्ट

राज्य सचिव का कहना है कि मोरियावा में विगत 10 दिनों से पुलिस की गुंडागर्दी जारी थी। पुलिस को यह पसंद नहीं था कि वहां के लोग मुखिया पद के चुनाव में राजद-माले आधार से आने वाले सुरेन्द्र साह को वोट करें। 22 अक्टूबर की घटना के पहले वह 20 अक्टूबर को भी गांव में पहुंची थी और जब लोग सुरेन्द्र साह का चुनाव प्रचार कर रहे थे, तो उन लोगों के साथ पुलिस ने बदतमीजी की थी।

22 अक्टूबर को सर्किल इंसपेक्टर राम कुमार प्रसाद के नेतृत्व में पुलिस ने सारी सीमाओं को लांघ दिया। पहले वह 2.30 बजे गांव में पहुंची, आने के साथ ही सुरेन्द्र साह के पक्ष में हो रहे चुनाव प्रचार को उसने बाधित करने की कोशिश की। माइक प्रचार जब्त कर लिया, बैट्री उठाकर पटक दिया, बैनर फाड़ दिए और लोगों को डराने धमकाने लगी। आम लोगों में पहले भगदड़ मची और फिर वे पुलिस की इस कार्रवाई से क्रोधित हो उठे। लोगों ने पुलिस से कहा कि जब्त मशीन वापस लौटा दिया जाए, लेकिन पुलिस नहीं मानी। पुलिस की पिटाई से सीता देवी पति अशोक पासवान सहित कई गंभीर रूप से घायल हो गए।

सीता देवी का दाहिना हाथ फ्रैक्चर हो गया। नोकझोंक बढ़ती गई और अंततः ग्रामीणों के प्रतिरोध के कारण पुलिस को उस वक्त वहां से भागना पड़ा।

फिर शाम में लगभग 6 बजे पुलिस दल-बल के साथ पहुंची। इस बार दो दर्जन से अधिक पुलिस बल था। गांव में पुलिस सीधे नहीं बल्कि पीछे से पहुंची। आते ही उसने गाली-गलौज शुरू कर दी। कुछ युवकों ने पुलिस की इस गुंडागर्दी का वीडियो बनाना शुरू किया। उन लोगों के साथ पुलिस ने मारपीट करनी शुरू कर दी। फिर तोड़ फोड़ करने लगी। जब ग्रामीण आक्रोशित हुए तो निर्दोष ग्रामीणों पर बेवजह गोली फायरिंग किया गया ,जिससे मौके पर ही रोहित कुमार पिता धूलखेली चौधरी 27 वर्ष ने दम तोड़ दिया। जबकि नीरज कुमार, मिलन कुमार और विजेंद्र महतो गंभीर रूप से घायल पीएमसीएच में जीवन और मौत से जूझ रहे हैं।

वहीं महिलाओं ने बताया कि पुलिस ने बेवजह भद्दी भद्दी गालियां देते हुए लाठी और रोड़ा से प्रहार किया। ग्रामीण मीना देवी व सीता देवी ने बताया कि पुलिस पार्टी सर्किल इंस्पेक्टर राम कुमार प्रसाद के नेतृत्व में आई और भद्दी – भद्दी गाली देते हुए कहा कि तुम लोग राड़ – रेयान का बहुत मन बढ़ गया है। अपने यार को वोट देती है ,भतार को वोट क्यों नहीं दोगी? इसी कारण ग्रामीण भड़क उठे और पुलिस से प्रतिवाद करने लगे और फिर पुलिस ने गोली चलाई।
माले विधायक गोपाल रविदास तत्काल घटनास्थल पर पहुंचे

घटना की जानकारी मिलते ही भाकपा-माले के फुलवारीशरीफ के विधायक गोपाल रविदास व स्थानीय विधायक रेखा देवी गांव पहुंच गए। दोनों नेताओं ने डरी सहमी जनता से घंटों बैठकर पूरे मामले को सुना और तत्पश्चात पटना के जिलाधिकारी व सीनियर एसपी को पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी। पटना डीएम के आदेश पर पटना के सिटी एएसपी, मसौढ़ी अनुमंडलाधिकारी, मसौढी दल-बल के साथ ग्राम मोरियावा पहुंचे, जहां पर ग्रामीणों के बयान लिए गए।

घटना के जांचोपरांत दोनों विधायकों ने कहा कि दलितों-पिछड़ों को बेवजह तंग करने के लिए 10 दिन से मसौढ़ी के सर्किल इंस्पेक्टर के नेतृत्व में प्रयास चल रहा है। पुलिस का मनोबल बहुत बढ़ा हुआ है। यह नीतीश राज की तानाशाही का प्रतीक है। दोनों नेताओं ने सबसे पहले रोहित की हत्या का मुकदमा पुलिसकर्मियों के खिलाफ दर्ज करने की मांग की। साथ ही मृतक परिवार को 20 लाख रुपया और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी तथा ग्रामीणों की सुरक्षा व पंचायत चुनाव शाति पूर्ण व निष्पक्ष तरीके से संपन्न कराने की मांग रखी। उन्होंने कहा कि पुलिस को संयमित तरीके से काम करना चाहिए था जो नहीं कर पाई। जो भी दोषी पुलिसकर्मी हैं, उन्हें दंडित किया जाए।
(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

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