शाह की श्रीनगर यात्रा के मायने

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भारत सरकार के गृहमंत्री अमित शाह जी इन दिनों जम्मू-कश्मीर के तीन दिवसीय दौरे पर हैं। वे धारा 370 हटाने के तीन साल से भी अधिक समय बाद बड़ी दिलेरी से यहां अब पहुंच पाए हैं। जबकि 5 अगस्त, 2019 से वहां केन्द्र शासित राज्य है। कश्मीर में खासतौर से जिस तरह चप्पे-चप्पे पर आतंकियों के सफाए के लिए त्रि स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था है उसके बावजूद वहां हाल ही में ग्यारह लोग मारे गए उनमें पांच बिहार के दिहाड़ी कामगार थे। वे भाग रहे हैं कुछ भय से और अधिकांश हर बार की तरह मौसमी बदलाव के कारण। ऐसी स्थिति में गृहमंत्री का प्रवास मायने रखता है। शाह ने श्रीनगर के एक कार्यक्रम में बुलेट प्रूफ कांच हटाकर लोगों को यह जताया कि अब डरने की ज़रूरत नहीं है जबकि उनकी यात्रा से पहले 700 नागरिकों को हिरासत में लिया गया, पीएसए के तहत मामला दर्ज किया गया और कई को कश्मीर के बाहर की जेलों में स्थानांतरित कर दिया गया। उनकी सुरक्षा हेतु कदम कदम पर बड़ा लावश्कर साथ है।

बहरहाल, गृहमंत्री ने अपने दौरे के दौरान बहुत सी लोकलुभावन घोषणाएं की। सुरक्षा हेतु पुख्ता इंतजाम करने के साथ-साथ,कश्मीर से दुबई की हवाई यात्रा, जम्मू में मेट्रो और हेलीकाप्टर सुविधा के साथ मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ाने की बात भी कही। मैं घाटी के युवाओं और लोगों से ही बात करूंगा। उन्होंने टीम इंडिया में कश्मीरी खिलाड़ियों को शामिल करने की बात भी की। कश्मीर वासियों की हमदर्दी बटोरने के लिए की जा रही इन कोशिशों की जनता में कोई खास प्रतिक्रिया नहीं देखी गयी। वे तो चुनाव और पूर्ण राज्य चाहते हैं जिस पर अमित शाह कहते हैं कि विधानसभा चुनाव हेतु सीमांकन जारी है उसके पूरे होने के बाद चुनाव होंगे। यह पिछले दो से अधिक साल से चल रहा है। जबकि पूर्ण राज्य के दर्जे पर वे मौन रहे। वस्तुत: उनके दौरों का प्रमुख लक्ष्य हवाई अड्डे और मेट्रो के लिए अडानी का रास्ता साफ़ करना है।

गृहमंत्री के इस दौरे पर पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि 2019 के बाद से जम्मू-कश्मीर की घेराबंदी को हटाने, कैदियों को रिहा करने, यहां के लोगों को दैनिक आधार पर होने वाले उत्पीड़न को समाप्त करने, अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए ठोस कदम उठाने जैसे कदमों से राहत की भावना प्रदान की जानी चाहिए। पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट करते हुए गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधते हुए कहा कि गृह मंत्री का श्रीनगर से अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का उद्घाटन तथा नए मेडिकल कॉलेजों की नींव रखना कोई नई बात नहीं है। यूपीए सरकार ने आधा दर्जन मेडिकल कॉलेज स्वीकृत किए थे और अब काम कर रहे हैं। अनुच्छेद 370 के निरस्त होने और एक संकट को पैदा करते जम्मू-कश्मीर को अराजकता की स्थिति में डाल दिया गया है। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि यह संकट भारत सरकार की ओर से लाया गया है और समस्या को दूर करने के बजाय उन्होंने कॉस्मेटिक स्टेप्स का विकल्प चुना जो वास्तविक समस्या का समाधान नहीं करते हैं।

एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि श्रीनगर-शारजाह उड़ान को लेकर आज घोषणा की गई है – क्या पाकिस्तान का मन बदल गया है और श्रीनगर से आने वाली उड़ानों को अपने हवाई क्षेत्र का उपयोग करने की अनुमति दे दी है? नहीं तो यह उड़ान भी खत्म हो जाएगी जैसे यूपीए 2 के दौरान श्रीनगर-दुबई फ्लाइट बंद हो गई थी ।पाकिस्तान द्वारा श्रीनगर से आने वाली उड़ानों को अपने हवाई क्षेत्र का उपयोग करने की अनुमति देने से इंकार करने के कारण एसएक्सआर-डीएक्सबी उड़ान को दिल्ली में ‘तकनीकी पड़ाव’ लेना पड़ा या दक्षिण की ओर उड़ान भरनी पड़ी और पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र के चारों ओर जाना पड़ा। इस उड़ान ने लागत और समय दोनों के लिहाज से पूरी तरह से अव्यवहारिक बना दिया है।

कश्मीरी नेताओं की बजाय सख़्त सुरक्षा पहरे में वे राज्यपाल मनोज सिन्हा के साथ सभी स्थानों पर गए । बेरोजगारी और बढ़ते नशे में डूबे कथित पत्थरबाजों के बारे में कोई घोषणा नहीं की गई। सुरक्षा बल में बीस लाख लोगों की भर्ती की गई यह जुमला ही लगता है। साहिब कश्मीर को चुनी हुई सरकार चाहिए।अपने संसाधनों पर आधिपत्य जिन्हें आप कथित विकास के नाम पर अपने पूंजीपति मित्रों को सौंप रहे हैं। बुलेट प्रूफ कांच हटाकर दिखाने से कश्मीर सुरक्षित नहीं होता। कश्मीरियत बचाने के लिए दिलों में बदलाव ज़रूरी है।

(सुसंस्कृति परिहार लेखिका और टिप्पणीकार हैं।)

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