उत्तर प्रदेश में पोस्टल बैलेट से क्यों डरा हुआ है विपक्ष?

Estimated read time 1 min read

उत्तर प्रदेश में मतदान के छह चरण हो चुके हैं। छह चरण में कुल करीब 13 करोड़ मतदाता हैं और औसतन 60 फीसदी के करीब मतदान हुआ है। इनसे अलग करीब साढ़े पांच लाख पोस्टल बैलेट डाले हैं, जो कुल मतदान का आधा फीसदी से कुछ कम हैं। इन्हें मतदान प्रतिशत में नहीं शामिल किया गया है। पोस्टल बैलेट से डाले गए वोट को लेकर विपक्षी पार्टियों को काफी चिंता है। विपक्षी पार्टियों के साथ-साथ किसान नेता राकेश टिकैत ने भी इसको लेकर आशंका जताई है और कहा है कि सरकार इससे नतीजों को बदलने की कोशिश कर सकती है।

चुनावी राजनीति में पोस्टल बैलेट को कभी भी बहुत अहम नहीं माना जाता है। शायद ही कभी इसकी वजह से नतीजे प्रभावित होते होंगे। लेकिन अचानक पोस्टल बैलेट का महत्व बढ़ रहा है। चुनाव लड़ रही भाजपा विरोधी पार्टियों को पोस्टल बैलेट का डर सता रहा है। उनको चुनाव आयोग पर भी संदेह है और प्रशासन पर भी। उनको लग रहा है कि सिस्टम का फायदा उठा कर भाजपा पोस्टल बैलेट के सहारे नतीजों को प्रभावित कर सकती है। सवाल है कि क्या अब तक गिरे साढ़े पांच लाख पोस्टल बैलेट से नतीजों को बदला जा सकता है? 

इस सवाल का जवाब देने से पहले यह जानना जरूरी है कि पोस्टल बैलेट ज्यादातर भाजपा के पक्ष में जाते हैं। सैन्यकर्मियों और मतदान कराने वाले मध्य वर्गीय सरकारी कर्मचारी पोस्टल बैलेट से वोट करते हैं, जिनका रूझान भाजपा की ओर रहता है। ध्यान रहे पहले पोस्टल बैलेट से वोटिंग का अधिकार सेना के जवानों-अधिकारियों और चुनाव कराने वाले कर्मचारियों को ही था। लेकिन अब 80 साल से ज्यादा उम्र के लोगों और 40 फीसदी से ज्यादा विकलांगता वाले दिव्यांगों को भी पोस्टल बैलेट से वोट डालने की अनुमति मिल गई है। इसीलिए इस बार पहले के मुकाबले पोस्टल बैलेट से ज्यादा वोट पड़े हैं।

पहले पोस्टल बैलेट, बूथ लेवल ऑफिसर के जरिए दिए जाते थे, किंतु अब डाक से भेजे जा रहे हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि पोस्टल बैलेट से वोट भेजने वाले सरकारी कर्मचारियों को अपने पहचान पत्र की कॉपी उसके साथ लगानी होती है। इससे वोट की गोपनीयता भंग होती है और अगर सरकारी कर्मचारी ने सरकार की विरोधी पार्टी को वोट किया हो तो उसके लिए अलग खतरा पैदा होता है।

जहां तक नतीजे बदलने का सवाल है तो बहुकोणीय मुकाबले में ज्यादातर सीटों पर जीत-हार का अंतर कम रहता है। इस बार उत्तर प्रदेश में इसकी संभावना है। एक मजेदार तथ्य यह है कि अब तक 349  सीटों पर हुए मतदान में औसतन डेढ़ हजार पोस्टल बैलेट प्रति सीट है लेकिन पहले चरण की 58 सीटों पर यह औसत दो हजार से ज्यादा वोट का है। पहले चरण की 58 सीटों पर पोस्टल बैलेट से एक लाख 23 हजार वोट पड़े हैं यानी औसतन 2100 से ज्यादा वोट हैं। इनसे कई सीटों पर निश्चित रूप से नतीजे प्रभावित होंगे।

उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद के एक बूथ पर ऐसी घटना हुई कि वोट डालने पहुंचे मुस्लिम परिवार के कई सदस्यों के वोट पोस्टल बैलेट से डाले जा चुके थे, जबकि उनको इसके बारे में कुछ पता ही नहीं था। इसीलिए विपक्षी पार्टियों को लग रहा है कि पोस्टल बैलेट से कुछ खेल हो सकता है, खास कर उन सीटों पर, जहां जीत-हार का अंतर कम होगा।

(अनिल जैन वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल दिल्ली में रहते हैं।)

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours