सरगुजा। हसदेव में 22 मार्च, 2022 से हसदेव अरण्य बचाने के लिए अनिश्चितकालीन धरना चल रहा है। क्षेत्र के किसान और आदिवासी जल-जंगल, जमीन, आजीविका, पर्यावरण और आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए पिछले एक दशक से आंदोलनरत हैं। लेकिन प्रशासन और लकड़ी के ठेकेदारों की मिलीभगत से जंगल के जंगल साफ होते जा रहे हैं। अब ग्रमीणों ने खुद मोर्चा संभाल लिया है और जंगल से एक भी पेड़ कटने नहीं देंगे।
पिछले एक साल से चल रहे आंदोलन की गूंज अब हसदेव की परिधि से बाहर निकल कर दूर तक सुनाई दे रही है। हसदेव अरण्य के आदिवासी-किसानों के आंदोलन को समर्थन देने देश भर से लोग पहुंच रहे हैं। इसी कड़ी में भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत धरना स्थल हरिहरपुर जिला सरगुजा पहुंचे। धरनास्थल पर हजारों की संख्या में ग्रामीण- आदिवासी मौजूद थे।

आंदोलनरत ग्रामीणों के साथ चर्चा के उपरांत राकेश टिकैत ने कहा कि जल-जंगल- जमीन आदिवासियों का है, इसे आपसे छीना नहीं जा सकता। जैसे पेड़ को बढ़ने में समय लगता है वैसे ही बचाने में भी लगता है। अब हसदेव का पेड़ नहीं कटेगा, आंदोलन और ज्यादा तेज होगा।
उन्होंने कहा कि सरकारें कॉर्पोरेट की सुनती हैं इसीलिए आंदोलन करना पड़ता है। इस मामले में हम सरकार से भी बात करेंगे कि हसदेव में कोई भी नई खदान नहीं खुलनी चाहिए।

ज्ञात हो कि हसदेव अरण्य के सरगुजा जिले में परसा, परसा ईस्ट, केते बासेन और केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक एवं कोरबा जिले में मदनपुर साउथ एवं पतुरिया गिदमुड़ी कोल ब्लॉक में ग्रामसभाओं को दरकिनार करके भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया राज्य और केंद्र सरकार ने शुरू की थी। इसके साथ ही परसा कोल ब्लॉक में फर्जी ग्रामसभा प्रस्ताव बनाकर खनन कंपनी के द्वारा वन स्वीकृति हासिल की गई थी।
इसके खिलाफ हसदेव के आदिवासियों ने पिछले वर्ष 4 अक्टूबर से 14 अक्तूबर तक 300 किलोमीटर पदयात्रा करके रायपुर में राज्यपाल और मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी लेकिन न तो फर्जी ग्रामसभा की जांच हुई और न ही खदान निरस्त करने की कोई कार्रवाई।

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने स्वयं 2015 में हसदेव में चौपाल लगाकर न सिर्फ आंदोलन का समर्थन किया था बल्कि उन्होंने कहा था कि “कांग्रेस ऐसा विकास नहीं चाहती जिसमे आदिवासियों से उनके जल-जंगल-जमीन को छीना जाए।” पिछले वर्ष कैंब्रिज में भी राहुल गांधी ने हसदेव के आंदोलन को जायज बताकर उसके शीघ्र निराकरण की बात कही थी।
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला ने कहा कि आज कांग्रेस, मोदी-अडानी के भ्रष्टाचार पर संसद से लेकर सड़क की लड़ाई लड़ रही है जिसका स्वागत है। लेकिन कांग्रेस की राज्य सरकारों द्वारा अडानी समूह को पहुंचाए जा रहे हजारों करोड़ के मुनाफे पर मौन क्यों हैं? क्या देश में दो अडानी हैं एक अच्छा और एक बुरा?
(छत्तीसगढ़ से तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।)
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