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नागरिकता बिल संविधान के समानता और धार्मिक गैर-भेदभाव के शाश्वत सिद्धांतों का अपमानः सोनिया गांधी

नागरिकता बिल पारित होने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का सार्वजनिक बयान….

आज का दिन भारत के संवैधानिक इतिहास में एक काले दिन के रुप में याद किया जाएगा। नागरिकता संशोधन विधेयक के पारित होने से भारत की बहुलता पर संकुचित सोच और कट्टरवादी ताकतों की जीत हुई है। यह विधेयक भारत के विचार को मूल रूप से चुनौती देता है, जिसके लिए हमारे पूर्वजों ने संघर्ष किया और उसके स्थान पर एक ऐसे अशांत, विकृत और विभाजित भारत का निर्माण करता है, जहां धर्म राष्ट्रीयता का निर्धारक बन जाएगा।

नागरिकता संशोधन विधेयक हमारे संविधान में निहित समानता और धार्मिक गैर-भेदभाव के शाश्वत सिद्धांतों का न केवल अपमान है, बल्कि भारत के उस मूल भाव  को चकनाचूर करता है, जिसमें यह निश्चित था कि हमारा देश किसी धर्म, क्षेत्र, जाति, पंथ, भाषा या जातीयता के भेदभाव के बिना सभी लोगों के लिए एक स्वतंत्र राष्ट्र होगा। इस बिल के अंदर गंभीर निहितार्थ छुपे हैं। यह त्रुटिपूर्ण कानून अपने मौजूदा स्वरूप में स्वतंत्रता आंदोलन से जनित संबद्ध भावनाओं और हमारे राष्ट्र की आत्मा का विरोधी है।

हमारे देश ने ऐतिहासिक रूप से हमेशा सभी राष्ट्रों और धर्मों के उत्पीड़ितों को शरण और सुरक्षा प्रदान की है। हम एक ऐसे गौरवशाली  राष्ट्र हैं, जो कभी किसी चुनौती के समक्ष विवश नहीं हुए, क्योंकि हम हमेशा इस ज्ञान के साथ दृढ़ रहे हैं कि मुक्त भारत तभी स्वतंत्र रह सकता है जब उसके लोग आजाद हों। उनकी आवाज सुनी जाए, हमारी संस्थाएं, सरकारें और राजनीतिक ताकतें अपने आप को देश के नागरिकों के अक्षम अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए समर्पित रखें।

यह विडंबना ही है कि विधेयक को ऐसे समय में पास करवाया गया है, जब हमारा देश और वास्तव में पूरी दुनिया राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 15वीं जयंती मना रही है। मैं पीड़ा के इस क्षण में भाजपा के खतरनाक विभाजनकारी और ध्रुवीकरण के एजेंडे के खिलाफ इस संघर्ष में जुटे रहने के कांग्रेस पार्टी के दृढ़ संकल्प को दोहराना चाहूंगी।

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