Sunday, April 2, 2023

constitution

सर्वोदय समाज का 48 वां सम्मेलन संपन्न, गांधीजनों ने लिया लोकतंत्र बचाने का संकल्प

वर्धा। सर्वोदय समाज और उनके मानने वालों की देश को समझने का अपना नजरिया है। वो अपने ढ़ंग से किसी स्थिति का विश्लेषण करते हैं। लेकिन 48 वां सर्वोदय समाज सम्मेलन के समापन पर जिस राजनीतिक प्रस्ताव को पेश...

गांधीवादियों के अजमेर घोषणा पत्र में करो या मरो का ऐलान 

जिस विचारधारा का राष्ट्रीय आंदोलन और संविधान में विश्वास नहीं है उसे सत्ता में रहने का हक़ नहीं है। पिछले दिनों 25-26 फरवरी को अजमेर में हुए सम्मेलन में गांधीवादियों ने मौजूदा सरकार के ख़िलाफ़ जैसे तेवर दिखाए वैसे...

गणतंत्र दोराहे पर: 26 जनवरी के मूल्य बनाम 30 जनवरी के हत्यारे गिरोह के मंसूबे

26 जनवरी और 30 जनवरी हमारे राष्ट्रीय इतिहास की दो अहम तारीखें हैं- 26 जनवरी, हमारा गणतंत्र दिवस, उन मूल्यों की याद दिलाता है जिनके लिए आज़ादी की जंग लड़ी गयी और 30 जनवरी, जिस दिन उस ऐतिहासिक लड़ाई...

हिजाब बैन पर आर्टिकल-145(3)के तहत क्या संविधान पीठ सुनवाई करेगी ?

हिजाब पर बैन के मामले में सुप्रीम कोर्ट के दो जजों जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ में एकराय नहीं बन सकी है। अब इसे नई पीठ  को सौंपने का फैसला चीफ जस्टिस यूयू ललित को...

काशी विद्यापीठ के बर्खास्त दलित लेक्चरर गौतम ने कहा- साजिशकर्ताओं को जल्द ही बेनकाब करूंगा

वाराणसी। बनारस में 'नवरात्र में नौ दिन व्रत रहने के बजाय संविधान पढ़ो' की सलाह सोशल मीडिया पर काशी विद्यापीठ के राजनीति विज्ञान विभाग के एक दलित गेस्ट लेक्चरर डॉ मिथिलेश गौतम द्वारा पोस्ट किया गया। देखते ही देखते कुछ घंटों...

शैक्षणिक संस्थाओं में आरक्षण संबंधी छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले के बाद सूबे की राजनीति गरम

छत्तीसगढ़। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में प्रदेश के इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में 58% आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया है। चीफ जस्टिस की बेंच ने याचिकाकर्ताओं की दलीलों को स्वीकार करते हुए कहा कि...

उत्तराखंड: समान नागरिक संहिता से राजनीतिक संकट का सामना

विधानसभा समेत विभिन्न विभागों में अपने-अपनों को नौकरियों की रेवड़ियां बांटने के खिलाफ उत्तराखण्ड में मचे बवंडर को शांत करने के लिये प्रदेश सरकार ने पहले भूकानून समिति की रिपोर्ट खुलवा कर फायर फाइटिंग का प्रयास किया और जब...

जस्टिस रमना की शख्सियत में सीख और सलाह ज्यादा थी उस पर चलने की कोशिश कम

विधायी और कार्यकारी कार्यों की न्यायिक समीक्षा संवैधानिक योजना का एक अभिन्न अंग है। मैं यहां तक कहूंगा कि यह भारतीय संविधान का हृदय और आत्मा है। मेरे विनम्र विचार में, न्यायिक समीक्षा के अभाव में, हमारे संविधान में...

महाराष्ट्र के शिवसेना विवाद में कड़े सवाल संविधान पीठ के हवाले, 25 को सुनवाई

उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने उद्धव ठाकरे और शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुटों के बीच विवाद को एक संविधान पीठ द्वारा तय करने के लिए संदर्भित किया है। मामले...

अब क्या संविधान नहीं, मनुस्मृति के रास्ते चलेगा देश?

भारत में जिस राजनैतिक व्यवस्था को हमने चुना है उसमें विधायिका कानून बनाती है, कार्यपालिका उन कानूनों के अनुरूप देश की शासन-व्यवस्था का संचालन करती है और न्यायपालिका यह सुनिश्चित करती है कि देश का शासन संविधान के मूल्यों...

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कला की क्षितिज से विवान सुंदरम का जाना

भारतीय कैलेंडर में यह वसंत का मौसम चल रहा है। इसके अवसान के समय ही खबर आई, विवान सुंदरम...