Tuesday, March 19, 2024

उर्मिलेश

कुछ चुनिंदा एंकरों के बहिष्कार मात्र से मीडिया का मिज़ाज क्यों नहीं बदलेगा?

इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव एलायंस (INDIA) ने देश के कुछ प्रमुख टीवी चैनलों के 14 एंकरों के कार्यक्रमों में अपना प्रवक्ता न भेजने का फ़ैसला किया है। निश्चित रूप से विपक्षी दलों के एलायंस का यह बहुत बड़ा फ़ैसला...

इंडियन कॉफ़ी हाउस की कहानी जबलपुर की ज़ुबानी

अप्रैल,1986 में दिल्ली से पटना गया। अगले कुछ वर्षों के लिए तब पटना ही मेरा नया बसेरा बन रहा था। दिल्ली में मेरी नियुक्ति नवभारत टाइम्स के रिपोर्टर के तौर पर हुई थी और मुझे पटना भेजा गया। वहां...

आकस्मिक घटना नहीं है महाराष्ट्र का सियासी भूचाल

जुलाई, 2023 के पहले रविवार को महाराष्ट्र में आया सियासी-भूचाल आकस्मिक घटना नहीं है। यह चलताऊ या पारम्परिक क़िस्म का दलबदल भी नहीं है। इसके पीछे सिर्फ़ कुर्सी हासिल करने की लिप्सा नहीं है, जैसा पिछले दशकों में हम...

आज का भारत और इमरजेंसी: एकदलीय प्रचंड बहुमत डेमोक्रेसी के लिए बड़ा ख़तरा

सन् 1975 की 25 जून को जब इमरजेंसी लागू की गई, मैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बीए का छात्र था और हमें अगले दिन की सुबह पता चला कि देश में इमरजेंसी लागू हो गयी है। सब कुछ रातों-रात हुआ...

एक संसद भवन जिसकी शुरुआत ही भारी विवाद और टकराव से हुई

दुनिया का हर लोकतांत्रिक देश अपने संसद भवन पर गर्व करता है। इसलिए नहीं कि उसे वह बिल्डिंग देश की सबसे अच्छी बिल्डिंग लगती है। किसी अच्छी बिल्डिंग पर लोग मुग्ध होते हैं। पर अपनी संसद या पार्लियामेंट की...

क्या इस बार कर्नाटक देश को रास्ता दिखायेगा?

एक जमाने में हमारी राजनीति में बहुत लोकप्रिय जुमला बना था-‘बिहार शोज द वे!’ यानी बिहार रास्ता दिखाता है। इमरजेंसी-विरोधी जन-आंदोलन तक यह जुमला चलता रहा। क्या आज के दौर की राजनीति को कर्नाटक रास्ता दिखायेगा? क्या 13 मई...

सत्यपाल मलिक इतिहास के एक महत्वपूर्ण अध्याय का ‘हीरो’ क्यों नहीं बन सके!

जनाब सत्यपाल मलिक को चौधरी चरण सिंह के जमाने से जानता हूं। शायद उन्हें भी हमारी थोड़ी-बहुत याद हो! हाल के वर्षों में हमारी उनकी मुलाकात नहीं है। सिर्फ एक बार जब वह शिलांग के राजभवन में पदस्थापित थे...

भारतीय लोकतंत्र की समस्याओं के जड़ में है वर्ण आधारित समाज और अज्ञान आधारित संकीर्ण धार्मिकता

देश की राजनीति गरमाई हुई है। पर लोगों पर इसका कितना प्रभाव पड़ा है, इस बारे में फिलहाल कोई दावा नहीं किया जा सकता। जिस तरह विपक्ष के प्रमुख नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता छीनी गई, वह जितना...

यह इमर्जेंसी का नहीं, पाकिस्तानी सियासत का ‘रिपीट’ नजर आता है

बहुत सारे लोग आज के राजनीतिक दौर की तुलना सन् 1975-77 के दौर की ‘इमर्जेंसी’ से कर रहे हैं। संयोगवश, मैंने इमर्जेंसी देखी थी। निस्संदेह, वह बहुत बुरी थी। लोकतंत्र का भारतीय रूप-रंग स्थगित-सा हो गया था। नेताओं, कार्यकर्ताओं...

‘करगिल के खलनायक’ ने क्या सचमुच भारत-पाक शत्रुता को खत्म करना चाहा था?

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और अपने दौर के ‘सर्व-शक्तिमान’ परवेज मुशर्रफ का इंतकाल पाकिस्तान से बहुत दूर दुबई के एक अस्पताल में गत 5 फरवरी को हुआ। अच्छी बात है कि मौजूदा पाकिस्तानी हुकूमत ने मुशर्ऱफ के परिवार वालों...

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