Tuesday, June 6, 2023

उर्मिलेश

एक संसद भवन जिसकी शुरुआत ही भारी विवाद और टकराव से हुई

दुनिया का हर लोकतांत्रिक देश अपने संसद भवन पर गर्व करता है। इसलिए नहीं कि उसे वह बिल्डिंग देश की सबसे अच्छी बिल्डिंग लगती है। किसी अच्छी बिल्डिंग पर लोग मुग्ध होते हैं। पर अपनी संसद या पार्लियामेंट की...

क्या इस बार कर्नाटक देश को रास्ता दिखायेगा?

एक जमाने में हमारी राजनीति में बहुत लोकप्रिय जुमला बना था-‘बिहार शोज द वे!’ यानी बिहार रास्ता दिखाता है। इमरजेंसी-विरोधी जन-आंदोलन तक यह जुमला चलता रहा। क्या आज के दौर की राजनीति को कर्नाटक रास्ता दिखायेगा? क्या 13 मई...

सत्यपाल मलिक इतिहास के एक महत्वपूर्ण अध्याय का ‘हीरो’ क्यों नहीं बन सके!

जनाब सत्यपाल मलिक को चौधरी चरण सिंह के जमाने से जानता हूं। शायद उन्हें भी हमारी थोड़ी-बहुत याद हो! हाल के वर्षों में हमारी उनकी मुलाकात नहीं है। सिर्फ एक बार जब वह शिलांग के राजभवन में पदस्थापित थे...

भारतीय लोकतंत्र की समस्याओं के जड़ में है वर्ण आधारित समाज और अज्ञान आधारित संकीर्ण धार्मिकता

देश की राजनीति गरमाई हुई है। पर लोगों पर इसका कितना प्रभाव पड़ा है, इस बारे में फिलहाल कोई दावा नहीं किया जा सकता। जिस तरह विपक्ष के प्रमुख नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता छीनी गई, वह जितना...

यह इमर्जेंसी का नहीं, पाकिस्तानी सियासत का ‘रिपीट’ नजर आता है

बहुत सारे लोग आज के राजनीतिक दौर की तुलना सन् 1975-77 के दौर की ‘इमर्जेंसी’ से कर रहे हैं। संयोगवश, मैंने इमर्जेंसी देखी थी। निस्संदेह, वह बहुत बुरी थी। लोकतंत्र का भारतीय रूप-रंग स्थगित-सा हो गया था। नेताओं, कार्यकर्ताओं...

‘करगिल के खलनायक’ ने क्या सचमुच भारत-पाक शत्रुता को खत्म करना चाहा था?

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और अपने दौर के ‘सर्व-शक्तिमान’ परवेज मुशर्रफ का इंतकाल पाकिस्तान से बहुत दूर दुबई के एक अस्पताल में गत 5 फरवरी को हुआ। अच्छी बात है कि मौजूदा पाकिस्तानी हुकूमत ने मुशर्ऱफ के परिवार वालों...

कबीर और कबीरपंथः ब्रिटिश शोधकर्ता एफ ई केइ की मशहूर किताब का पहला हिंदी अनुवाद

कबीर और कबीरपंथ ब्रिटिश शोधकर्ता और लेखक एफ ई केइ (फ्रैंक अर्नेस्ट केइ) की मशहूर और ऐतिहासिक महत्व की किताब-कबीर एंड हिज फालोवर्स (1931) का हिंदी अनुवाद है। मूल पुस्तक अंग्रेजी में पहली बार एसोसिएशन प्रेस, कलकत्ता से छपी...

शरद यादव: जिनका होना अभी जरूरी था

शरद यादव नहीं रहे। उनका आकस्मिक निधन बहुत दुखद और स्तब्धकारी है। अपनी लंबी अस्वस्थता से उबरकर वह धीरे-धीरे स्वस्थ और सक्रिय हो रहे थे। पिछले साल, मार्च में उन्होंने अपने दल-लोकतांत्रिक जनता दल(LJD) का राष्ट्रीय जनता दल(RJD) में...

जनगणना में जाति को शामिल करना क्यों समाज और विकास के हक में है?

वर्ग और वर्ण आधारित भीषण गैरबराबरी, जटिल और असहज वर्गीय रिश्तों में पिचकते भारतीय समाज में जब कभी वर्गीय और वर्णीय(जातिगत) रिश्तों में सुधार की बात या कोशिश होती है, समाज और राजनीति में सक्रिय कुछ खास श्रेणियों और...

राहुल गांधी की भटकती भारत जोड़ो यात्रा

अपनी भारत जोड़ो यात्रा में मध्य प्रदेश पहुंचते ही राहुल गांधी का अचानक ‘व्यक्तित्वांतरण’ हो गया! अपनी पदयात्रा में अब तक वह बेरोजगारी, महंगाई, सत्ताधारियों की विभाजनकारी और समुदायों के बीच दरार पैदा करने वाली सांप्रदायिक नीतियां जैसे प्रमुख...

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पहलवान अभी भी डटे हैं, बृजभूषण मामले में अब भाजपा भी बंटी

नई दिल्ली। भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष एवं भाजपा सांसद पर यौन उत्पीड़न की शिकायत करने वाली नाबालिग पहलवान...