Thursday, April 25, 2024

उर्मिलेश

भारत में जनतंत्र हासिल करने का सफर अभी क्यों लंबा है? संदर्भ- अमेरिका का जार्ज फ्लायड हत्याकांड

अमेरिका के मिनेपोलिस शहर में काम करने वाले अफ्रीकी-अमेरिकन जार्ज फ्लायड की नृशंस हत्या और उसके विरुद्ध जिस तरह का राष्ट्रव्यापी-प्रतिरोध आज अमेरिका में देखा जा रहा है, उसे लेकर भारत के तमाम लोकतांत्रिक संगठनों, व्यक्ति-समूहों और व्यक्तियों में...

आखिर भारत में क्यों नहीं होता जातीय भेद और ब्राह्मणवादी वर्चस्व के खिलाफ अमेरिका जैसा प्रतिरोध?

अमेरिका की तस्वीरें अखबारों और सोशल मीडिया पर पूरी दुनिया ने देखी हैं। निजी तौर पर अमेरिका और उसका कथित जनतंत्र अपन जैसे लोगों की कभी पसंद नहीं रहे। पर भारत से तुलना करते हैं तो अमेरिकी समाज वाकई...

एक डरा-सहमा समाज बनाने का एजेंडा

तकरीबन पौने छह साल के अपने कार्यकाल में मोदी सरकार का भारत की जनता, समाज और उसके लोकतांत्रिक ढांचे पर अब तक का यह सबसे बड़ा हमला है। नागरिकता का नया संशोधित कानून (सीएए) और एनआरसी-ये दो नये हथियार...

सरकार और संघ के लिए गहरी मायूसी, सीएए-एनआरसी पर सत्ताधारी खेमे की ‘हिन्दू-मुस्लिम’ कराने की योजना पंचर

सत्ताधारी दल, आईटी सेल और अन्य अफवाहबाज संगठनों की एक बड़ी मुहिम 19 दिसंबर को पंचर हो गई। पिछले कई दिनों से वे CAA-NRC विरोध को सिर्फ मुस्लिम-समुदाय के विरोध के रूप में प्रचारित कर रहे थे! पर 19...

सरदार पटेल की सबसे ऊंची मूर्ति और “नकलची वृत्ति” की वैचारिक दरिद्रता

अमेरिका के 'स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी' की तर्ज पर गुजरात के सरदार सरोवर बांध के पास 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' का लोकार्पण हो गया! स्थानीय आदिवासी किसान इस सरकारी परियोजना के अतिशय विस्तार और जबरन भूमि अधिग्रहण का लंबे समय से...

धर्म बनाम लोकाचार: “बुनियादी वैचारिकी पर टिके रहकर सामाजिक रिश्तों का निर्वहन ही एकमात्र रास्ता”

मुझे लगता है, इस विषय पर एक सामूहिक और सही समझ जरूरी है। और वो चर्चा व बहस से ही उभरेगी! अतीत के सबक और अनुभव की रोशनी में हम एक सही बोध विकसित कर सकते हैं। इस बारे...

प्रधानमंत्री जी, देश ईंट-गारे से बनने वाली एक इमारत नहीं!

अच्छी शिक्षा-सेहत, शांति-सद्भाव और सबकी समृद्धि से बनेगा भव्य भारत! स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिले की प्राचीर से इस मौके पर दिये अपने पहले के भाषणों के मुकाबले कुछ कम बोला। इस बार उनका भाषण तकरीबन 55...

उर्मिलेश की कलम से: बिहार के ‘गुनहगार’!

आजादी के बाद से ही बड़े बदलाव के लिये बेचैन बिहार के ‘दो बड़े गुनहगारों’ की सूची बनाई जाय तो इसमें राज्य में सामंती दमन-उत्पीड़न और यथास्थिति को बरकरार या बढ़ाकर रखने वाले कांग्रेसी या भाजपाई नेता नहीं होंगे!...

कैबिनेट के आगे समर्पित एक राष्ट्रपति की प्रभावहीन पारी

सन् 2012 में कांग्रेस के वरिष्ठ और बहुत पढ़े-लिखे समझे जाने वाले नेता प्रणब मुखर्जी जब राष्ट्रपति बने तो सिर्फ उनके प्रशंसकों को ही नहीं, अनेक देशवासियों को लगा था कि वह शानदार राष्ट्रपति साबित होंगे। उनमें अच्छा राष्ट्रपति...

राष्ट्रपति पद के लिये एक ‘अनुकूलित दलित’ का ऐलान

राष्ट्रपति पद के लिये सत्ताधारी भाजपा का प्रत्याशी घोषित होने के कुछ ही देर बाद बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने दिल्ली रवाना होने से पहले पटना में अपने शुभचिंतकों और पत्रकारों का हाथ हिलाकर अभिवादन किया तो उनकी...

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बेहद कमजोर जमीन पर खड़ी भाजपा की ताक़त

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