Saturday, April 20, 2024

उर्मिलेश

ये बेलगाम मौतें सिर्फ त्रासदी नहीं, एक स्वतंत्र-राष्ट्र की विफलता का खूनी स्मारक भी हैं

हमारे मुल्क में इतिहास से ज्यादा मिथकों की रचना होती रही है। लंबे समय तक हमारा इतिहास बाहर के लोग लिखते रहे। अब हमारा भविष्य़ और नियति हमारे यहां के मुट्ठी भर लोग तय करते हैं, इसीलिए वे अपनी...

बंगाल में हिन्दुत्वा-कारपोरेट वैचारिकी का सबाल्टर्न-मुखौटा कितना कारगर होगा?

बंगाल के चुनावी नतीजे चाहे जो हों लेकिन चुनाव प्रचार की रणनीति के स्तर पर भारतीय जनता पार्टी ने अपने राजनीतिक जीवन का सबसे अनोखा प्रयोग किया है। उसका यह प्रयोग ‘राजनीतिक-पंडितों’ को ही नहीं, आरएसएस-भाजपा की राजनीतिक-धुरी समझे...

हिंदी-भाषी क्षेत्र के लिबरल-कुनबे और केरल के ओ. राजगोपाल

इस लेख का शीर्षक आपको अटपटा लग सकता है। भारत के कुछ खास किस्म के बुद्धिजीवियों को इन दिनों लिबरल कहने-कहलाने का चलन बढ़ा है। हम लोग जब विश्वविद्यालयों में पढ़ते थे तो ऐसे लोगों को आमतौर पर...

अमिताभ घोष का नया उपन्यासः जलवायु-परिवर्तन,शरणार्थी और संक्रमण जैसी जटिल चुनौतियों की दिलचस्प गाथा

यह एक ऐसा उपन्यास है, जिसका कथानक दुनिया के चार महाद्वीपों में फैला है! इसके चरित्र भी कई देशों से हैं। लेकिन अलग-अलग देशों-क्षेत्रों, धर्मों-जातियों, वर्गों और पेशों की विविधता के साथ उऩकी कुछ बड़ी समस्याओं में एकरूपता हैं।...

राजनीति को नया रास्ता दिखाता किसान आंदोलन और हिंदी-भाषी क्षेत्र की खतरनाक जड़ता

एक बनता हुआ राष्ट्र अगर भारत जैसा विशाल, विविधता और इस कदर असमानता-ग्रस्त हो तो उसकी चुनौतियां बड़ी और जटिल हो जाती हैं। आज के भारत में बेरोजगारी-बेहाली-महामारी का संकट सिर्फ प्रशासकीय कारणों से नहीं है। इसके मूल में...

किसानों का यह आंदोलन अब राष्ट्रीय आंदोलन बन गया है

कुछ समय पहले बिहार के सुदूर इलाके के एक अनुभवी अध्यापक-मित्र से बात हो रही थी। किसान आंदोलन पर संक्षिप्त चर्चा के बाद उन्होंने एक चौंकाने वाली सूचना दी। उन्होंने बताया कि उनके इलाके के लोगों में अच्छा-खासा हिस्सा...

मौजूदा भारतीय संदर्भ के जटिल प्रश्न और पब्लिक इंटैलेक्चुअल की भूमिका!

पिछले दिनों अंग्रेजी में लिखने-पढ़ने और बोलने वाले बड़े लेखक का एक डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इंटरव्यू सुन रहा था। उन्हें महानगरीय समाज के भद्रलोक में बड़ा लोक-बुद्धिजीवी (पब्लिक-इंटैलेक्चुअल) माना जाता है। यह इंटरव्यू कुछ महीने पहले का था...

अतीत के किसान आंदोलनों से क्यों अलग और खास है यह आंदोलन!

कुछ भयानक प्रदूषित महानगरों को छोड़कर मुझे तो भारत का हर हिस्सा सुंदर लगता है। कुछ सूबे/इलाके ज्यादा अच्छे लगते हैं, जैसे पंजाब, केरल, बंगाल-असम-झारखंड-छत्तीसगढ़ के कुछ इलाके, गोवा, महाराष्ट्र के कुछ इलाके और कश्मीर भी! पर पंजाब का...

अर्नब प्रकरण के बहाने भारतीय मीडिया पर एक टिप्पणीः मीडिया उद्योग का गहराता अंधेरा, सत्ता और पत्रकारिता की उम्मीदें

बीते कुछ घंटों से देश के मीडिया और राजनीति में मुंबई पुलिस द्वारा एक न्यूज चैनल के प्रधान की गैर-पत्रकारीय मामलों में गिरफ्तारी को लेकर विवाद मचा हुआ है। यह मामला है-दो लोगों की आत्महत्या का। प्राथमिकी में न्यूज...

बिहार महागठबंधन की सबसे कमजोर कड़ी कांग्रेस क्यों?

बिहार विधानसभा की कुल 243 में 70 सीटों पर कांग्रेस ने उम्मीदवार दिये हैं। ये 70 सीटें उसे राजद-कांग्रेस-वाम महागठबंधन के तहत मिली हैं। राष्ट्रीय जनता दल का नेतृत्व कांग्रेस को 40 से अधिक सीट देने का इच्छुक नहीं...

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