बेलारूस के राष्ट्रपति के हस्तक्षेप के बाद रूस में विद्रोह पर लगी लगाम

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रूस में प्राइवेट मिलिशिया वैग्नर समूह के विद्रोह पर लगाम लगने की खबरें आ रही हैं। ऐसा बेलारूस के राष्ट्रपति के हस्तक्षेप से संभव हुआ है। बताया जा रहा है कि बेलारूस के राष्ट्रपति की पहल पर रूस पर छाया गृहयुद्ध का संकट फिलहाल टल गया है। ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक़ राजधानी मॉस्को की ओर तेजी से बढ़ रही वैग्नर आर्मी के प्रमुख येवेनी प्रिगोझिन ने अपना मार्च रोक दिया है। ‘रशिया 24 न्यूज चैनल’ के मुताबिक, बेलारूस के राष्ट्रपति एलेक्जेंडर लुकाशेंको से बातचीत के बाद उन्होंने इस टकराव को रोक दिया है।

एलेक्जेंडर लुकाशेंको ने वैग्नर आर्मी के चीफ से बात की है और उन्हें इसके लिए मनाया है। वहीं वैग्नर के प्रमुख येवेनी प्रिगोझिन ने कहा है कि खूनखराबा रोकने और हालात बिगड़ने से रोकने के लिए उन्होंने अपने लड़ाकों को मास्को जाने से अब रोक दिया है। उनके लड़ाके अब अपने बेस की ओर लौट रहे हैं। मीडिया रिपोर्टों में कहा गया था कि वो मास्को पहुंचने से सिर्फ 200 किलोमीटर दूर थे।

यह बड़े आश्चर्य की बात है कि जिस वैग्नर आर्मी और उसके नेता येवेनी को इस विद्रोह करने के कारण देशद्रोही बताया जा रहा था और उन्हें पूरी तरह से समाप्त करने तथा मुक़दमा चलाने की बात चल रही थी, एकाएक उनको देशभक्त कहा जाने लगा तथा इस निजी सेना को माफ़ी देकर बेलारूस जाने की बात की जाने लगी, क्या है इसका कारण?

रूस के इस विद्रोही समूह को वैग्नर ग्रुप के नाम से जाना जाता है। यह समूह रूस की स्थायी सेना के साथ मिलकर यूक्रेन में युद्ध भी लड़ रहा था। इसके मुखिया का नाम येवेनी प्रिगोझिन है। विद्रोही सैनिकों ने यूक्रेन के अपने ठिकानों से निकलकर राजधानी मास्को की ओर बढ़ना शुरू कर दिया था। इस ग्रुप के बारे में यह भी कहा जाता रहा है कि यह राष्ट्रपति पुतिन की निजी सेना है, अपने दो दशक के राष्ट्रपति शासनकाल में यह पुतिन के लिए सबसे गंभीर घटना मानी जा रही है।

विद्रोहियों ने यूक्रेन से निकलकर रूस के एक महत्वपूर्ण शहर रोस्तोव-ओन-दोन पर क़ब्ज़ा कर लिया है। जिसके बारे में कहा जाता है कि यूक्रेन में सैन्य अभियानों के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण शहर है। इस शहर में दाख़िल होने के बीच पुतिन ने राष्ट्र के नाम एक संदेश में प्रिगोझिन द्वारा सशस्त्र विद्रोह के ऐलान को विश्वासघात और देशद्रोह करार दिया और रूस तथा उसके लोगों की हर हाल में रक्षा करने का वादा किया।

पुतिन ने कहा था कि “रूस अपने भविष्य के लिए सबसे कठिन लड़ाई लड़ रहा है। यह विद्रोह हमारे देश के लिए बहुत बड़ा खतरा है और हम इसके ख़िलाफ़ कठोर कार्यवाही करेंगे। विद्रोह की साज़िश रचने वाले सभी लोगों को कठोर सज़ा भुगतनी होगी। सशस्त्र बलों और अन्य सरकारी एजेंसियों को आवश्यक आदेश जारी कर दिए गए हैं।’’

‘वैग्नर ग्रुप’ प्रमुख प्रिगोझिन ने शुक्रवार रात दावा किया कि वह और उनके लड़ाके यूक्रेन की सीमा पार करके रूस के रोस्तोव-ओन-दोन शहर में दाखिल हो गए हैं तथा वहां के अहम सैन्य प्रतिष्ठानों को अपने नियंत्रण में ले लिया है।

● सोशल मीडिया पर जारी वीडियो और ऑडियो पोस्ट में प्रिगोझिन ने कहा, ‘‘जो भी हमारे रास्ते में आएगा हम उसे बर्बाद कर देंगे। हम आगे बढ़ रहे हैं और हम अंतिम छोर तक जाएंगे।’’

● प्रिगोझिन के क़दम पर प्रतिक्रिया देते हुए रूस की सुरक्षा सेवाओं ने उनके ख़िलाफ़ गिरफ़्तारी वारंट जारी किया। रूस ने ‘वैग्नर ग्रुप’ के प्रमुख की धमकी को कितनी गंभीरता से लिया है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राजधानी मॉस्को और रोस्तोव-ऑन-दोन में सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

हालांकि, फिलहाल यह साफ नहीं है कि ‘वैग्नर ग्रुप’ प्रमुख प्रिगोझिन रूसी शहर में कैसे दाखिल हुए और उनके साथ कितने लड़ाके हैं। रूस के अधिकारियों ने ‘वैग्नर ग्रुप’ के ख़िलाफ़ आपराधिक जांच शुरू कर दी है।

रूसी अधिकारियों ने देश के रक्षामंत्री को हटाने की कथित रूप से धमकी देने को लेकर निजी सेना ने ‘वैग्नर ग्रुप’ के प्रमुख येवेनी प्रिगोझिन के ख़िलाफ़ शुक्रवार को आपराधिक जांच शुरू कर दी।

● प्रिगोझिन ने रूस के रक्षामंत्री सर्गेई शोइगू पर यूक्रेन में ‘वैग्नर ग्रुप’ के आधार शिविर पर रॉकेट हमला करने का आदेश देने का आरोप लगाया था, जहां उनके लड़ाके रूस की तरफ से यूक्रेनियन बलों से लड़ रहे हैं।

● प्रिगोझिन ने कहा कि उनके लड़ाके अब शोइगू को दंडित करने के लिए आगे बढ़ेंगे और रूसी सेना से आग्रह किया कि वह इसका प्रतिरोध न करे। प्रीगोझिन ने कहा, “यह सशस्त्र विद्रोह नहीं है, बल्कि न्याय की ओर मार्च है।”

● रूस के रक्षा मंत्रालय ने प्रिगोझिन के दावों को ख़ारिज़ किया। वहीं देश की शीर्ष आतंकवाद रोधी संस्था ‘नेशनल एंटी टेररिज्म कमेटी’ ने ‘वैग्नर ग्रुप’ के ख़िलाफ़ सैन्य तख़्तापलट के आह्वान के आरोप में आपराधिक जांच शुरू कर दी है।

रूस के राष्ट्रपति पुतिन पिछले दो दशकों से सत्ता में हैं उनके बारे में यह कहा जाता है कि उन्होंने समूचे रूस की न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका को अपने क़ब्ज़े में ले लिया। पत्रकारों, सिविल सोसायटी और विपक्षी दलों को अपने नियंत्रण में कर लिया तथा रूस में एक अर्द्धफासिस्ट राज्य की नींव डाली। फासिस्ट शासकों को इस तरह की निजी सेनाओं की आवश्यकता अपने निरंकुश शासन तंत्र को मज़बूत करने के लिए पड़ती है।

वैग्नर आर्मी के नेता येवेनी के उत्कर्ष के बारे में हम जानें, तो यह बात और अच्छी तरह से जानी जा सकती है। सोवियत संघ के विघटन के अंतिम तीन वर्षों में येवेनी ने जुए के अड्डे चलाने और लूटमार-हत्या के आरोप में 9 वर्ष तक जेल की सज़ा काटी।

बाद में रिहा होने के बाद उसने अपनी मां और सौतेले पिता के साथ लेनिनग्राद या आज के सेंट पीटर्सबर्ग शहर में उनके साथ ही एक ढाबा खोला। उस समय रूस में खाने-पीने का बड़ा संकट चल रहा था। धीरे-धीरे अज्ञात स्रोतों से उसे काफी धन मिला तथा उसने रूस में कई रेस्टोरेंट खोले जिसमें सबसे महत्वपूर्ण पानी में तैरता रेस्टोरेंट था।

जिसमें अपनी यात्रा के दौरान फ्रांस और अमेरिका के राष्ट्रपति पुतिन के साथ इस रेस्टोरेंट में आए थे। बताया जाता है कि यहीं से उसका संबंध राष्ट्रपति पुतिन से हुआ तथा बाद में इसे रूसी सेना को खाना सप्लाई करने का महत्वपूर्ण ठेका मिल गया। देखते-देखते इसकी गिनती रूस के सबसे अमीर लोगों में होने लगी।

यहीं से उसके मन में निजी सेना बनाने की महत्वाकांक्षा ने जन्म लिया और राष्ट्रपति पुतिन को भी इसकी ज़रूरत थी। इसने अपनी सेना में लड़ाकों की भर्ती जेलों में बंद दुर्दांत अपराधियों से की जो सबसे गंभीर अपराध हत्या-बलात्कार आदि के मामलों में जेल की सज़ा काट रहे थे। येवेनी ने उन लोगों से कहा कि “अगर वे छः महीने उनके साथ काम करें, तो उन्हें सज़ा से मुक्त कर दिया जाएगा और वे अपने घर जा सकते हैं।” यही कारण है कि उसकी सेना ने यूक्रेन में आम नागरिकों पर अत्यंत क्रूरतम अत्याचार किए।

एक अनुमान के अनुसार इस भाड़े की सेना में 25 से 30 हज़ार सैनिक हैं, परन्तु अमेरिकी रक्षा विभाग इसे 40,000 तक बतलाता है। यूक्रेन के अलावा इस भाड़े की सेना की उपस्थिति युद्धरत अफ्रीकी तथा एशियाई देशों सीरिया, लीबिया, जार्डन में भी रही है, जहां इन्होंने कई गुप्त अभियान चलाए, लेकिन इसमें सबसे महत्वपूर्ण था, अफ्रीका में पाई जाने वाली महत्वपूर्ण सम्पदा जैसे- पेट्रोलियम, सोना और बॉक्साइट आदि का अवैध रूप। इसके लिए इन लोगों ने सीरिया-लीबिया में उन प्राइवेट सेनाओं के साथ मिलकर काम किया, जो पहले ही से इन धंधों लिप्त थीं।

अप्रैल 2022 में पश्चिमी मीडिया में यह ख़बर छपी थी कि वैग्नर समूह के नाम वाले एक निजी मिलिशिया ने पुतिन के आदेश पर जेलेंस्की और 23 अन्य सरकारी लोगों को ख़त्म करने का प्लान किया था, ताकि रूस को यूक्रेन पर क़ब्ज़ा करने का आसान मौक़ा मिल सके, इसके लिए करीब 400 भाडे़ के सैनिक अफ्रीका से रूस में बुला भी लिए गए थे। यूक्रेन की सतर्कता से यह प्लान कार्यान्वित न हो सका। उसकी बढ़ती हुई हैसियत का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि रूस की यूक्रेन पर हमले की योजना रूसी सैनिकों के बड़े जर्नलों की है यह बात उसे पहले ही मालूम हो गई थी। बाद में कुछ जर्नलों ने इस योजना का विरोध किया, तो इस ग्रुप ने उनकी हत्या करवा दी।

येवेनी रूसी संसद ड्यूमा के सांसदों के बारे में कुछ ऐसी बातें कहता था, जैसे इन्हें नंगे पैर यूक्रेन में लड़ने भेज देना चाहिए या इन्हें खड़ा करके गोली से उड़ा देना चाहिए। इस पर किसी की हिम्मत नहीं थी कि उसकी इन बातों का प्रतिकार करता।

यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण रूस में भयानक आर्थिक संकट बढ़ा। पुतिन ने यूक्रेन को लेकर रूसी समाज में बड़ा अंधराष्ट्रवाद फैलाया, परन्तु रूस में भी भारी दमन के बावज़ूद पुतिन के ख़िलाफ़ विरोध बढ़ता ही जा रहा है।

अमेरिका जैसे पश्चिमी देश भी अपने हितों के कारण इस तरह के विद्रोहों को हवा ज़रूर देंगे। येवेनी के बारे में कहा जाता है कि वह अति महत्वाकांक्षी है तथा उसकी महत्वाकांक्षा रूस के रक्षामंत्री से लेकर राष्ट्रपति बनने तक की है।

इस सबके बावज़ूद राष्ट्रपति पुतिन का उससे समझौता करना उनकी मज़बूरी को दर्शाता है। रूस की यह घटना भविष्य में क्या रूप लेगी यह देखने की बात होगी।

(स्वदेश कुमार सिन्हा स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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