यमुना का सैलाब, बाढ़ और दिल्ली की बेबस जनता

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यह अनहोनी कहीं और नहीं देश की राजधानी दिल्ली में हो रही है। पिछले हफ्ते के शनिवार को दिल्ली में रिकार्ड बारिश हुई। बारिश रविवार को भी हुई, लेकिन शनिवार की अपेक्षा कम हुई। तब दिल्ली राज्य के भीतर हर तरफ जल ही जल था और सुप्रीम कोर्ट से मंत्रियों के घरों तक में बारिश का पानी घुस गया। इसके बाद बारिश का क्रम छिटपुट ही रहा। यह इतना तो कतई नहीं था कि इससे बाढ़ आ जाए। लेकिन, बाढ़ की स्थिति बनी तो यह आगे बढ़ते हुए खतरे के निशान के पार चली गई। पिछले चार दिनों से बाढ़ का इंतजार धीरे-धीरे यमुना के तट पर बसे लोगों से होते हुए रिंग रोड को पार कर गया। आज शाम 4.10 पर यमुना के बहाव की ऊंचाई 208.62 मीटर पहुंच गई। कश्मीरी गेट से बुराड़ी जाने वाला रिंग रोड और हाईवे पर यमुना का पानी भर गया।

कश्मीरी गेट के पास सुश्रुत ट्रौमा सेंटर में इस कदर पानी भर गया कि वहां के मरीजों को लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल ले जाया गया है। यह खबर लिखने तक लाल किले में बाढ़ का पानी भरना शुरू हो चुका था। वहीं पुराना किला के आस पास के क्षेत्र में पानी भरना शुरू हो गया था। जिन सड़कों को बंद करने की घोषणा हुई है उसमें इंद्रप्रस्थ फ्लाईओवर से लेकर चंदगी राम अखाड़ा, कालीघाट मंदिर से दिल्ली सेक्रेटरिएट, वजीराबाद पुल से लेकर चंदगी राम अखाड़ा तक आउटर रिंग रोड, कालिंदी कुंज फ्लाईओवर, लाल किले का इलाका, सिविल लाइन्स, भैरो मार्ग, मजनू का टीला, जसोला, ओखला, आईटीओ, आश्रम चौक से डीएनडी मार्ग। यह खबर लिखने तक जामिया नगर में पानी भरना शुरू हो चुका था और वहां की झुग्गियों में पानी घुसने के दृश्य सोशल मीडिया पर दिख रहे थे। मुकारबा चौक, जहां से पानीपत, रोहिणी, आजादपुर और कश्मीरी गेट का रास्ता खुलता है, भारी जाम में फंस चुका था।

दिल्ली और देश के सबसे बड़े कपड़ा का बाजार गीता कॉलोनी पर बाढ़ का खतरा बढ़ता जा रहा है। जबकि, निगमबोध घाट और उससे सटा यमुना बाजार से हजारों लोगों का हटाने का काम आज भी जारी रहा है। वहीं यमुना बैंक मेट्रो स्टेशन पर यात्रियों की आवाजाही को बंद कर देना पड़ा है। और, मेट्रो रेल की गति 30 किमी प्रति घंटे पर लाना पड़ा है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सभी निचले इलाके में रहने वाले लोगों को घर खाली करने का निर्देश जारी किया है और राहत कैंपों की व्यवस्था बढ़ाने की बात कही है। इस दौरान, मुख्यमंत्री केजरीवाल ने आवश्यक वस्तु आपूर्ति से जुड़े कर्मचारियों को छोड़कर सभी कर्मचारियों को घर से काम करने का आदेश जारी किया है। और, स्कूलों, कॉलेजों को रविवार तक के लिए बंद करने की घोषणा किया है। यमुना के बहाव के बढ़ते स्तर के चलते वजीराबाद, चंद्रावल और ओखला का जल शोधन संयंत्र को बंद कर देना पड़ा जिसका पीने के पानी की आपूर्ति पर असर होना ही है। उधर, ओखला में भी यमुना का स्तर ऊंचा होता हुआ दिख रहा है। इसका सीधा असर नोएडा के निवासियों पर पड़ेगा।

दिल्ली जल आयोग का अनुमान है कि आगामी कुछ घंटों में जल स्तर नीचे की तरफ आने लगेगा। वहीं दिल्ली के गवर्नर आपात मीटिंग कर संकट से निपटने की योजना बनाने में लगे हुए हैं। राज्य के मुख्यमंत्री भी यही काम कर रहे हैं। दो दिन पहले भी वह गृहमंत्री अमित शाह से गुहार लगा चुके हैं कि दिल्ली में आसन्न बाढ़ को लेकर कुछ करें और यमुनानगर बैराज से छोड़े जा रहे जल पर कुछ नियंत्रण कारी भूमिका निभायें। बहरहाल, अमित शाह की ओर से कोई बयान पढ़ने को नहीं मिला। देश के प्रधानमंत्री बाढ़ पर जुबान खर्च किये बिना फ्रांस की यात्रा पर निकल गये। इधर हथिनीकुंड से छोड़ा गया पानी दिल्ली को लगातार संकट की स्थिति में बनाये हुए है।

यह कितनी अजब सी बात है कि जिस दिल्ली के यमुना पर राज्य सरकार और गवर्नर के बीच घमासान मचा हुआ था, आज उस यमुना की स्थिति पर दोनों ही दावेदारी करने से बच रहे हैं। गवर्नर आप सरकार को कोस रहे हैं कि यह मसला हर साल त्योहार की तरह बना दिया गया है। वहीं मुख्यमंत्री केजरीवाल अमित शाह से गुहार लगा रहे हैं कि हथिनीकुंड बैराज से थोड़ा कम पानी छोड़ा जाए। इस दिल्ली में जी-20 की मीटिंग होनी है। बाढ़ आ गई तब बड़ी जग हंसाई होगी। गवर्नर के यमुना पर किये दावे का निपटारा तो पिछले हफ्ते राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने कर दिया और गवर्नर को उनके दावे से मुक्त कर दिया। लेकिन, राज्य के बहुत अधिकारों का दावा केंद्र ने एक अध्यादेश जारी कर अपने हिस्से कर लिया है। इसका निपटारा अभी सर्वोच्च न्यायालय में बाकी है।

इन दावों के बीच यमुना दिल्ली में तटों को तोड़ते हुए दिल्ली के अंदरूनी इलाकों में घुसने की ओर बढ़ रही है। वह सिर्फ एक राज्य नहीं, देश की राजधानी में घुस रही है। यदि जल का स्तर इसी तरह कुछ और उठा तब इसकी ज़द में राजधानी का बड़ा हिस्सा आ जायेगा। इसकी वजह से सबसे बड़ा संकट पीने के पानी की आपूर्ति के संकट के रूप में आयेगा। दूसरा, यातायात ठप्प होने की स्थिति में चला जायेगा। तीसरा, बहुत सारे हिस्सों में बिजली की आपूर्ति भी प्रभावित होगी। चौथा, यमुना पार का इलाका जो एक बांध के पिछले हिस्से में बसा हुआ है, इसकी जद में आयेगा।

यह एक ऐसी घनी बस्ती है जिसके मकान की नींवें दलदली जमीन पर टिकी हुई है। इसकी वजह से वहां जान-माल का खतरा भीषण हो उठेगा। पांचवां, सीवेज और नालों के पानी का बहाव कम होने से गंदे पानी के जमाव का खतरा बढ़ेगा। और, साथ ही कूड़े निष्पादन में भारी दिक्कतें खड़ी होंगी। बाढ़ की यह स्थिति राजधानी के लोगों की जिंदगी को बुरी तरह प्रभावित करेगी। खासकर, आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति, जिसमें सब्जी, दूध इत्यादि है, में आने वाली बाधा पहले से ही बढ़ी महंगाई को और भी बढ़ा देगी।

बतौर एक राज्य दिल्ली में ऐसी कोई बारिश नहीं हुई है जिससे कि बाढ़ आ जाये। हम सभी जानते हैं कि यमुना में बढ़ता जल स्तर पहाड़ में और पंजाब, हरियाणा में हुई बारिश के पानी की वजह से है। दिल्ली में बाढ़ के एक कारण के रूप में हरियाणा में स्थित हथिनीकुंड बैराज के बारे में खूब चर्चा हो रही है। यह बैराज यमुनानगर में स्थित है और यह दिल्ली से लगभग 200 किमी दूर है। यहां यह ध्यान रखना जरूरी है कि यह बैराज है डैम नहीं। यह 1996 में बनना शुरू हुआ था और 2002 में कार्यकारी अवस्था में आया।

360 मीटर ऊंचा इस बैराज का निर्माण दिल्ली को पानी की आपूर्ति और हरियाणा में खेती की सिंचाई के लिए जरूरी पानी को नहरों द्वारा उपलब्ध कराना था। इस बैराज के पहले एक और बैराज इससे चार किमी की दूरी पर था, जिसका निर्माण अंग्रेजों के समय हुआ था और यह समय के साथ-साथ कमजोर हो चुका था। यह वही बैराज था जिसके बूते अंग्रेजों ने पश्चिमी उत्तर-प्रदेश और हरियाणा के पूर्वी हिस्से में कैनाल कॉलोनियां बनाकर अनाज आपूर्ति व गन्ना उत्पादन को सुनिश्चित किया। हरित क्रांति के दौरान भी इसका उपयोग जारी रहा है। यहां यह ध्यान रखना है कि यमुना पर एक और बैराज देहरादून के डाक पत्थर में भी बनाया गया है। इस बाढ़ में इसका जिक्र नहीं हो रहा है। 

ये बैराज पानी को रोककर उसके वितरण का काम करते हैं। वे एक सीमा तक पानी का जमाव कर सकते हैं। यहां मसला बैराज की क्षमता से अधिक इस बात की है कि असामान्य स्थिति में अतिरिक्त पानी का प्रबंधन किस तरह से किया जाये। हथिनीकुंड बैराज से दो नहरों में और दिल्ली की तरफ आ रही यमुना में पानी जाने की व्यवस्था की गई है। पिछले शनिवार और उसके बाद हिमाचल, उत्तराखंड से लेकर पंजाब, हरियाणा और दिल्ली तक की बारिश निश्चित ही सामान्य घटना नहीं है। लेकिन, जब यह नया बैराज बनाया जा रहा था तब ऐसे असामान्य स्थिति से निपटने की व्यवस्था क्यों नहीं की गई?

यह बैराज एकदम हाल के दौर में ही बनाया गया है और उस समय तक मौसम विभाग के अनुभव सामने थे। एक ऐसी ही भयावह स्थिति हम टिहरी बांध परियोजना में देख सकते हैं। यह बैराज नहीं डैम है जहां बिजली उत्पादन का काम होता है। इस बांध परियोजना में बनने के साथ ही एक पूरा शहर निगल लिया और उसके बाद बहुत सारे गांव और पहाड़ इसमें डूब गये। इसकी विशाल जलराशि अस्थिर पहाड़ संरचना पर टिका हुआ है जिसका असर हम आसपास के इलाकों में रहने वाले घरों में पड़ती दरारों और रास्तों के दरकने में देख सकते हैं। लेकिन, उससे भी अधिक खतरा इस बात का है कि यदि बांध दरकता है, जिसके बारे में इसे बनाने वालों का दावा है कि ऐसा कभी नहीं होगा; तब इससे निकलने वाले पानी को निपटाने की कोई व्यवस्था नहीं है। बहुत से विद्वानों का मानना है कि यह विशाल जलराशि टिहरी से चलते हुए मेरठ तक इलाके को नष्ट करते हुए आगे तक जायेगा और बहुत सारी जगहों पर बाढ़ की विभीषिका पैदा करेगा।

इस खबर के लिखने तक यह भी खबर आ रही थी कि हथिनीकुंड बैराज के फाटक से पानी छोड़ने का क्रम कम कर दिया गया है और आने वाले दिनों में दिल्ली बाढ़ से बच जायेगी। यह कितना सच है, यह हम कल की सुबह तक ज़रूर देख पायेंगे। लेकिन, एक बैराज के फाटक पर दिल्ली वालों की जान अटका दी जाये, इससे बेहूदा स्थिति क्या हो सकती है, जबकि चांद पर जाने की आकांक्षा में जी-जान लगाये हुए हैं।

(अंजनी कुमार पत्रकार हैं।)

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राजेन्द्र प्रसाद
राजेन्द्र प्रसाद
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9 months ago

जनता बेबस नहीं , धूर्त और स्वार्थी है । हिन्दुत्व के नशे में अपनी बरबादी नहीं देख रही है।