क्या आपने कभी शहतूत देखा है/ जहां गिरता है, उतनी जमीन पर/ उसके लाल रस का धब्बा पड़ जाता है।/ गिरने से ज्यादा/ पीड़ादायी कुछ नहीं।/मैं ने कितने मजदूरों को देखा है/ इमारतों से गिरते हुए/ गिरकर शहतूत बन...
नई दिल्ली। इस साल दिल्ली में जुलाई में हुई हफ्ते भर की बारिश ने सौ साल से अधिक का रिकॉर्ड तोड़ दिया। पूरी दिल्ली बारिश के पानी से बेहाल हो उठी। हर तरफ पानी ही पानी था। ऐतिहासिक लाल...
ये तीन महीने पहले की बात है, जून के पहले हफ्ते में दावा किया गया था कि दिल्ली में यमुना साफ हो रही है। इस सफाई का श्रेय, दिल्ली की राज्य सरकार और केंद्र की ओर से कमान संभाले...
हिमाचल में बारिश की तबाही का मंजर अभी खत्म नहीं हुआ। इसकी जद में अब निचले इलाके भी आ गये हैं। मानवीय त्रासदी के दृश्य भयावह हैं। मलबे में दबकर मर गये लोगों की लाशें अभी निकाली ही जा...
किसी भी राज्य व्यवस्था के लिए वित्तीय नीति एक केंद्रीय धुरी की तरह होती है। इसमें मुद्रा का प्रयोग, संचयन और वितरण की नीति राज्य के चरित्र को दर्शाता है। टैक्स, ऋण-दर, ब्याज और मुद्रा-मूल्य निर्धारण सीधे आम जन...
चार दिन पहले एक बार फिर हिमाचल में बारिश होनी शुरू हुई। इस बार बारिश का केंद्र शिमला के आस-पास का इलाका था। जैसे-जैसे बारिश का जोर बढ़ा, तबाहियों से भरे दृश्य सामने आने लगे। पहाड़ों के मलबों को...
इस मानसून सत्र में राहुल गांधी का संसद में लौटना संसदीय लोकतंत्र में एक बड़ी घटना की तरह देखा गया। लेकिन, अब भी वह दृश्य आंखों में खटक रहा है जब संसद में राहुल गांधी ने कहा कि आज मैं...
शहरयार की लिखी गजल इस तरह है- 'जुस्तुजू जिसकी थी उसको तो न पाया हमने / इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हमने'। पुरातत्व का मसला भी कुछ इसी तरह का है। मार्टिमर व्हीलर ने लिखा है- 'उत्खनन के...
मैंने गदर को जेएनयू के गंगा ढाबा के सामने गाते हुए पहली बार सुना था। संभवतः 2003 की बात है। पैरों में घुंघरू बांधे, ऊपर तक उठी धोती, कंधे पर काला कंबल, एक लाल तौलिया जैसा गले में लपेटे...
जब नूंह और गुरुग्राम में दुर्भाग्यपूर्ण दंगे हुए और इसकी आग अभी ठीक से शांत भी नहीं हुई थी कि कई सारे चैनलों ने ‘दंगों को शांत करने के लिए योगी माॅडल की जरूरत’ को बड़े जोर-शोर से प्रचारित...