Thursday, April 25, 2024

चौकीदार चोर नहीं!

ओह! कोरोना का कहर शबाब पर है। और अब ये अम्फ़न तूफ़ान! ज़िम्मेदारी आपकी बहुत बढ़ गई है चौकीदार जी, किसी ने फ़रमाया।

आप अपना बीपी मत बढ़ाइये। मैं तो पहले भी जिस गली में चोरी-डकैती हो रही हो उससे दो गली छोड़ कर डंडा पटकाता था। अब भी वही करूँगा..!

मेरा काम बस जागते रहो का शोर मचाना है। अब लुटेरे जागें और मालिक सोएं तो इसमें मेरा क्या क़ुसूर? चौकीदार आँखे मटकाते हुए कंधे झटक कर बोला…

(वीना जनचौक की दिल्ली हेड हैं। आप व्यंग्यकार होने के साथ डाक्यूमेंट्री मेकर भी हैं।)

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पुस्तक समीक्षा: निष्‍ठुर समय से टकराती औरतों की संघर्षगाथा दर्शाता कहानी संग्रह

शोभा सिंह का कहानी संग्रह, 'चाकू समय में हथेलियां', विविध समाजिक मुद्दों पर केंद्रित है, जैसे पितृसत्ता, ब्राह्मणवाद, सांप्रदायिकता और स्त्री संघर्ष। भारतीय समाज के विभिन्न तबकों से उठाए गए पात्र महिला अस्तित्व और स्वाभिमान की कहानियां बयान करते हैं। इस संग्रह में अन्याय और संघर्ष को दर्शाने वाली चौदह कहानियां सम्मिलित हैं।

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