आशा वर्कर्स यूनियन ने निकाला मार्च, सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन

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प्रयागराज। आशा वर्कर्स यूनियन संबद्ध (ऐक्टू) के नेतृत्व में प्रयागराज के विभिन्न ब्लाकों से आशा वर्कर्स बालसन चौराहा पर एकजुट हुईं। वहां से भीगते हुए जिला मुख्यालय प्रयागराज तक जुलूस निकाला। कोरोना काल हो अथवा मातृ-शिशु मृत्यु दर को रोकने, स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में आशा वर्कर्स की महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद उत्तर प्रदेश में आशा वर्कर्स की स्थिति दयनीय बनी हुई है। मोदी- योगी सरकार के सभी वादे झूठे साबित हुए। इसीलिए सरकार के विरोध में आशा वर्कर्स का संघर्ष लगातार बढ़ रहा है।

प्रदर्शन के दौरान ‘योगी सरकार वादा निभाओ, वादा अनुसार मानदेय बढ़ाओ’,’आज करो- अर्जेंट करो, हमको परमानेंट करो’ ,’ 2000 में दम नहीं, 21000 से कम नहीं’ । ‘आशा व आशा संगिनीयों को स्थाई करो, आशाओं का शोषण बंद करो , योगी – मोदी होश में आओ , यौन हिंसा को रोकने के लिए महिला सेल का गठन करो’, ‘आशाओं को ईएसआई का लाभ दो, 10 लाख का स्वास्थ्य बीमा, 50 लाख का जीवन बीमा की गारंटी करो’ इत्यादि नारे लगाए गए।

प्रदर्शन के दौरान हुई सभा को संबोधित करते हुए ऐक्टू के राज्य सचिव कॉमरेड अनिल वर्मा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद आशा को 6700 व अन्य कार्यों की प्रोत्साहन राशि व संगिनी बहनों का 11000 व अन्य सेवाओं की प्रोत्साहन राशि देने की बात कही थी। लेकिन यह अभी तक सरकारी जुमला ही बना हुआ है। आशा समाजसेविका नहीं कर्मचारी है। जिसको प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुए 45/46वें श्रम सम्मेलन ने भी माना है। इनको न्यूनतम वेतनमान व पीएफ, ईएसआई, पेंशन का लाभ दिया जाना चाहिए।

प्रदेश भर में आशा व आशा संगिनी का 4-6 माह तक संपूर्ण मानदेय बकाया रहता है। बहुत अल्प प्रोत्साहन राशि में रात दिन श्रम करने वाली आशा व आशा संगिनी भुखमरी की शिकार होती रहती हैं। किंतु उस अल्प अपमानजनक कथित मानदेय के भुगतान की चिंता न एन एच एम को रहती है और न सरकार को। सरकार ने पिछले चुनावी वर्ष में समारोह करके आशा कर्मियों को उपहार स्वरूप कचरा मोबाइल दिया गया जिससे अब उन्हें उसी कचरा मोबाइल से डाटा फीड करने व आयुष्मान कार्ड बनाने का फरमान जारी किया गया है। जबकि आशाओं द्वारा किए गए अतिरिक्त कार्य की प्रोत्साहन राशि भी नही दी जा रही है। आशाएं आये दिन उत्पीड़न का शिकार होती हैं। इसकी शिकायत व रोकथाम के लिए कोई व्यवस्था नहीं है।

आशा वर्कर्स यूनियन की मंडल अध्यक्ष रेखा मौर्या ने कहा कि मोदी – योगी सरकार महिलाओं के विकास का नगाड़ा पीट रही है लेकिन सच्चाई इसके उलट है। बार-बार ध्यान आकर्षित करने के बावजूद सरकार न्यूनतम वेतन के प्रश्न को सुनने को तैयार नहीं है और ना ही भविष्य निधि, ग्रेच्युटी, किसी भी तरह की सामाजिक सुरक्षा, वार्षिक अवकाश, मातृत्व अवकाश को भी देने के लिए तैयार है। आशाओं को मिलनी वाली राशि का 2019 से लेकर 2022 तक 1.50 लाख करोड़ का घोटाला हुआ है। इस संबंध में एनएचएम के निदेशक समेत मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री तक को कई पत्र लिखे गए लेकिन इस पर कोई भी संज्ञान नहीं लिया जा रहा है।

आशाओं से 8 काम के बदले 56 काम कराया जा रहा है। सरकार महिलाओं की बेहतरी के लिए बड़ी-बड़ी योजनाएं लाने की बात कर रही है लेकिन आशा कर्मचारियों की न्यूनतम राशि भी सरकार देने को तैयार नहीं है। बाउचर जमा करने से लेकर हर काम में कमीशन वसूला जाता है। सरकार पूरी तरीके से महिलाओं के श्रम को लूटने के लिए तैयार है। इस महिला विरोधी कर्मचारी विरोधी भाजपा सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

प्रदर्शन को भाकपा माले के राज्य सचिव कॉमरेड सुधाकर यादव, जिला प्रभारी सुनील मौर्य, एक्टू जिला सचिव कामरेड देवानंद, आइसा प्रदेश उपाध्यक्ष मनीष कुमार, सफाई मजदूर एकता मंच के जिला अध्यक्ष बलराम पटेल, खेग्रामस नेता पंचम लाल, आशा वर्कर्स यूनियन की जिला उपाध्यक्ष रंजना भारतीया ने सम्बोधित किया। प्रदर्शन में संगीता सिंह, सरिता त्रिपाठी, अंजू शर्मा, बसंती मौर्य, सैकड़ों आशा वर्कर्स शामिल रही।

( प्रेस विज्ञप्ति)

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