Saturday, April 20, 2024

अंबरीश कुमार

फर्स्ट क्लास में टायर की चप्पल यानी खांटी समाजवादी चंचल!

किसी फक्कड़ समाजवादी को देखा है आपने, नहीं देखा है तो चंचल से मिल लीजिये। चित्रकार, पत्रकार, कलाकार और छात्र राजनीति के इतिहास पुरुष। आज उनका जन्म दिन है। जब बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में पढ़ने गए तो पढ़े भले...

राहुल ही नहीं, वाजपेयी भी मनाते थे छुट्टी

अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे। यही दिन थे गोवा छुट्टी मनाने गए थे। शाम को समुद्र किनारे बैठे समंदर निहार रहे थे। शाम उन्हें बहुत अच्छी लगती थी। सामने की छोटी टेबल पर ग्लास भी थी। फ़ोटो एजेंसी ने...

सबसे बेहतर विकल्प है कोल्हू का तेल!

पिछले दिनों दो खबर पर अपना ध्यान गया। पहली खबर सरसों के तेल में ब्लेंडिंग की फिर से इजाजत दिए जाने की। दरअसल सरसों का जो तेल बड़ी कंपनियां बनाती हैं, उसमें वे बीस फीसदी कोई दूसरा तेल मसलन...

आभार हरिवंश का जिन्होंने देश को जगा दिया !

ज्यादा दिन की बात तो है नहीं सितंबर के आखिरी पखवाड़े में ही तो राज्यसभा में हंगामें के बीच उप सभापति हरिवंश ने कृषि बिल को भारी विरोध और हंगामे के बीच पास करा दिया था। बीस सितंबर ही...

सबकी खबर ले, सबको खबर दे!

दिल्ली के बहादुर शाह जफ़र मार्ग पर जो एक्सप्रेस बिल्डिंग है, वह रामनाथ गोयनका की बनवाई हुई है। देश की राजनीति पर इस बिल्डिंग का कितना असर रहा है यह जानेमाने पत्रकार कुलदीप नैयर ने भी अपनी आत्मकथा में...

अर्नब से अब देश सवाल पूछ रहा है- ‘क्या है यह गोरखधंधा!’

क्या पता था कि पूछता है भारत के लिए तिकड़में की जाती रहीं। चैनल को नंबर एक बनाने के लिए परदे के पीछे खेल होता रहा। सुशांत सिंह राजपूत को इंसाफ दिलाने के लिए महीनों झूठ को सच की...

कांकेर ने जो घंटी बजाई है, क्या भूपेश बघेल ने सुना उसे!

आप पत्रकार हैं तो यह फोटो देखें, नहीं हैं तो भी देखें। यह वरिष्ठ पत्रकार की है। इनकी बेरहमी से पिटाई हुई है। थाने से निकाल कर। यह घटना छत्तीसगढ़ के कांकेर की है। कांग्रेस के शीर्ष पर बैठीं...

दक्खिन की तरफ बढ़ते हरिवंश!

हिंदी पत्रकारिता में हरिवंश उत्तर से चले थे। अब दक्खिन पहुंच गए हैं। पर इस यात्रा में उन्होंने जो पुण्य कमाया था वह गवां तो नहीं दिया! समाजवादी धारा वाले रहे। युवा तुर्क चंद्रशेखर का कामकाज संभाला तो बहुत...

संपूर्ण क्रांति दिवस के मौके पर: मंच पर गांधी थे नीचे मैं वालंटियर -पारीख

मुंबई। देश का माहौल बदला हुआ है। आजादी के समय गांधी, नेहरु और पटेल थे। बोस थे तो जेपी और लोहिया भी थे। फिर चौहत्तर आया तो जेपी सामने थे। अब वैसे कद्दावर और समर्पित जननेता तो नहीं हैं...

एक विद्रोही का ऐसे असमय जाना !

अजीत जोगी अचानक ऐसे चले जाएंगे यह उम्मीद तो नहीं थी। अपना नाता दो दशक से पुराना रहा। इंडियन एक्सप्रेस ने सन 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद मुझे ब्यूरो के वरिष्ठ संवाददाता की जिम्मेदारी देकर भेजा था।...

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अपरेंटिसशिप गारंटी योजना भारतीय युवाओं के लिए वाकई गेम-चेंजर साबित होने जा रही है

भारत में पिछले चार दशकों से उठाए जा रहे मुद्दों में बेरोजगारी 2024 में प्रमुख समस्या के रूप में सबकी नजरों में है। विपक्षी दल कांग्रेस युवाओं के रोजगार पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, वहीं भाजपा के संकल्प पत्र में ठोस नीतिगत घोषणाएँ नहीं हैं। कांग्रेस हर शिक्षित बेरोजगार युवा को एक वर्ष की अपरेंटिसशिप और 1 लाख रूपये प्रदान करने का प्रस्ताव रख रही है।