Tuesday, October 3, 2023

अनिल जैन

महामारी और लोगों की मौत को नियति मान लिया है सरकार ने!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह मान लिया है और देश को भी बता दिया है कि कोरोना महामारी का स्वास्थ्य सेवाओं के स्तर पर मुकाबला करने के लिए उनकी सरकार जितना कर सकती थी, वह कर चुकी है। अब...

महाराष्ट्र में संकट टला लेकिन सवाल अब भी शेष हैं!

भारत के संविधान में चुनाव आयोग को एक स्वतंत्र संवैधानिक निकाय का दर्जा दिया गया है, लेकिन उसकी कार्यप्रणाली पर अक्सर सवाल उठते रहे हैं। 1990 के दशक में टीएन शेषन और इस सदी के प्रारंभ में जेएम लिंगदोह...

मोदी ही नहीं, केजरीवाल के लिए भी एक अवसर है यह कोरोना काल

दिल्ली में विधानसभा चुनाव के पहले से ही धर्मनिरपेक्ष राजनीति से किनारा कर नरम हिंदुत्व की राजनीति का दामन थाम चुकी आम आदमी पार्टी कोरोना महामारी के दौर में भी अपनी नई छवि को लेकर बेहद सतर्क है। पार्टी...

भारत की घटनाओं पर वैश्विक प्रतिक्रिया और प्रधानमंत्री की अपील के मायने

भारत में कोरोना महामारी की आड़ में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ जिस तरह सरकारी और गैरसरकारी स्तर पर सुनियोजित नफरत-अभियान और मीडिया ट्रायल चलाया जा रहा है, उसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिक्रिया होने लगी है। कुछ दिनों पहले विश्व...

एक बार फिर प्रधानमंत्री बोले तो बहुत, लेकिन कहा कुछ नहीं

कोरोना काल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर देश से मुखातिब हुए। पिछले एक महीने के दौरान राष्ट्र के नाम उनका यह चौथा औपचारिक संबोधन था, जिसमें कोरोना संक्रमण के खौफ और लॉक डाउन के चलते तमाम तरह...

क्या इस कोरोना काल में भी भारत दुनिया का सबसे खुशहाल देश है?

कोरोना संक्रमण से बचाव के उपाय के तौर पर लॉक डाउन से पहले 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के दौरान जब लोग ताली, थाली, शंख, घंटी और ढोलक बजाते हुए सड़कों पर निकल आए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने...

जिसके हाथ में होगी दीया-बाती, वही देशभक्त कहलाएगा!

कोरोना वायरस संक्रमण की वैश्विक चुनौती के इस दौर में दुनिया के तमाम देशों के राष्ट्राध्यक्ष अपने-अपने देशों में स्वास्थ्य सेवाओं और आपदा प्रबंधन तंत्र को ज्यादा से ज्यादा सक्रिय और कारगर बनाने में जुटे हुए हैं। इस सिलसिले...

जनता कर्फ्यू बनाम कोरोना महोत्सव

यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा, शास्त्रं तस्य करोति किं। लोचनाभ्याम् विहिनस्य दर्पण: किं करिष्यति।। अर्थात जिसके पास स्वयं की बुद्धि नहीं है, उसका शास्त्र भी कल्याण नहीं कर सकते। जैसे नेत्रहीन व्यक्ति के लिए दर्पण किसी काम का नहीं होता। आज...

यह तो हैरान करने वाला रवैया है सुप्रीम कोर्ट का

पिछले कई दिनों से न्यायपालिका की विश्वसनीयता और निष्पक्षता पर सवाल यूं ही नहीं उठ रहे हैं। न्यायपालिका का एक बड़ा और प्रभावशाली हिस्सा खुद ही महत्वपूर्ण और संवेदनशील मसलों पर अपने चलताऊ रवैये से अपनी भूमिका पर लोगों...

ज्योतिरादित्य क्या अपनी दादी का इतिहास दोहरा सकेंगे?

मध्य प्रदेश की राजनीति में इस समय करीब आधी सदी पुराने नाटक का दोबारा मंचन हो रहा है। इस नाटक के मुख्य किरदार ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा पिछले छह महीने से रची जा रही इस नाटक की पटकथा भी करीब-करीब...

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