बंगाल में मोदी-शाह ने अपनी सारी शक्ति झोंक दी थी । किसी भी मामले में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी । पर जब जनता डट जाए तो क्या होता है, बंगाल इसका उदाहरण है ।
अब तो साफ़ है कि...
यूपी को लेकर बीजेपी की बेचैनी बुरी तरह से बढ़ गई है । अपने सारे सूत्रों से वह यह जान चुकी है कि चीजें अभी जैसी हैं, वैसी ही छोड़ दी जाएं तो चुनाव में उसके परखच्चे उड़ते दिखाई...
राष्ट्रपति शी जिन पिंग ने चीन में कुछ बड़ी टेक कंपनियों से शुरू करके इजारेदार पूंजी पर लगाम की दिशा में जो कार्रवाइयां शुरू की हैं, वे सिर्फ आर्थिक क्षेत्र में नहीं, समग्र रूप में चीन के समाज के...
कल के टेलिग्राफ में प्रभात पटनायक का एक लेख है — A Promethian moment ( The farmer’s agitation challenges theoretical wisdom)। बंधन से मुक्ति का क्षण; किसानों के आंदोलन ने सैद्धांतिक बुद्धिमत्ता को ललकारा है।
जाहिर है, यह किसान आंदोलन...
पिछली 29 अगस्त को वीडियो पत्रकार अजित अंजुम ने अपने यूपी चुनाव और किसान आंदोलन संबंधी कवरेज के बीच अचानक ही हिंदी के हाल में प्रकाशित एक ‘क्राइम थ्रिलर’ ‘पिशाच’ पर चर्चा की। इसके लेखक संदीप पालीवाल के साथ...
‘सत्य हिंद’ वेब पोर्टल पर ‘आशुतोष की बात’ कार्यक्रम में दो दिन पहले की एक लगभग डेढ़ घंटा की चर्चा को सुना जिसका शीर्षक था— ‘हिंदुत्व पर बहस से डरना क्यों’। संदर्भ था ‘विश्व हिंदुत्व को ध्वस्त करने’ के...
अफ़ग़ानिस्तान में हामिद करजई और अब्दुल्ला अब्दुल्ला जैसे नेताओं से पहले वार्ता और उसके बाद उन्हें नज़रबंद करने का वाक़या यह सवाल उठाता है कि उस देश में किसी सर्वसमावेशी सरकार का गठन कैसे संभव होगा जहां किसी भी...
ऐसा लगता है कि जैसे बंगाल में सीपीआई(एम) अपना सब कुछ लुटा कर अब होश में आने की तरह की अपनी एक करुण दशा का परिचय दे रही है। उसमें स्वाभाविक तौर पर एक आत्मालोचना का सिलसिला शुरू हुआ...
तीन महीने बाद, 30 नवंबर के दिन भारत की अद्वितीय इतिहासकार रोमिला थापर नब्बे की उम्र में प्रवेश करेंगी। उनके नब्बेवें जन्मदिन की अगुवाई में गोपालकृष्ण गांधी का आज के ‘टेलिग्राफ’ का लेख ‘प्राचीन भारतीय अध्ययन की साम्राज्ञी: इतिहास...
प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने की चर्चा गर्म है। कोई नहीं जानता कि सचमुच ऐसा होगा। इस संशय के पीछे प्रशान्त किशोर का अपना इतिहास ही एक बड़ा कारण है। अब तक वे कई पार्टियों के चुनाव...