पुचकारने से नहीं मानते भेड़िये

देर आयद की कहावत के पहले दो शब्दों को व्यवहार में उतारते हुए आखिरकार देश की सबसे बड़ी अदालत ने…

कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना साधते; सीकरी के असाधु और असंत

कुनबे की हड़बड़ी कुछ ज्यादा ही बढ़ी दिख रही है; उन्मादी ध्रुवीकरण को तेज से तेजतर और उसके तरीकों को…

जचगी व्हाइट हाउस में उधर और सोहर का शोर इधर

इस बार 5 नवम्बर को सभी को चौंकाते हुए, जो आदमी, अमरीका के राष्टपति का चुनाव जीता है वह निर्लज्ज…

ध्वंस और अमानवीकरण की महापरियोजना

देश और दुनिया में जो अघट घट रहा है उसे एक आयामी रूप में मतलब जैसा है सिर्फ वैसा, जितना…

देश की एकता पर लपकते शिखा से पादुका तक पैने होते नाखून

जाति जनगणना के सवाल पर मनु-जायों का कुनबा बिलबिलाया हुआ है । न उगलते बन रहा है न निगलते !!…

राम रहीम के बाद लारेंस बिश्नोई: भाजपा के नए आराध्य, संघियों के नए ‘पां-पां’

जैसे कोई खिलाड़ी किसी बड़े मुकाबले को जीतकर आने के बाद अपनी ट्रॉफी दिखाते हुए खुशी और संतुष्टि के साथ मीडिया…

कासगंज की रामलीला में शम्बूक का आत्मवध

शम्बूक को लेकर अनेक रामकथाओं में दर्ज प्रसंग से रूप में थोड़ा अलग किन्तु सार में यथावत पूर्ववत मंचन उत्तर…

रासपुतिन बोये, रोपे जायेंगे तो रंगा बिल्ला ही लहलहाएंगे

यह निर्भया काण्ड से बहुत पहले की बात है। 1978 में दिल्ली में हुई एक बर्बरता से पूरा देश हिल…

मासूम कृतार्थ की बलि के शरीके जुर्म और भी हैं

हाथरस मुख्यालय से कोई 35 किलोमीटर दूर सहपऊ कस्बे के करीब के गांव रसगवां में एक 11 साल के मासूम…

बीजेपी की भेड़ की खाल ओढ़कर घाटी में घुसने की मंशा

चुनावों में सहूलियतों और राहतों का एलान बुरी बात नहीं है। लोकतंत्र में यही वक़्त होता है, जब लोक से…