लोकतंत्र की आत्मा होते हैं शांतिपूर्ण और अहिंसात्मक आंदोलन

बदलते दौर के हिसाब से उभरते बुनियादी अधिकारों और स्वतंत्रता, समानता, न्याय जैसी संकल्पनाओं को अपने सीने में सहेजे समेटे…

किसानों-मेहनतकशों से अकड़ दिखाने वाले शासक हुए हैं जमींदोज

चंपारण, खेड़ा, बारदोली और बिजौलिया जैसे अनगिनत ऐतिहासिक आंदोलनों के वंशबीजों के साथ सरकार को सहानुभूति, सदाशयता, उदारता और गहरी…