2016 में नोटबंदी के बाद से ही भारत की अर्थव्यवस्था पटरी से उतर चुकी चुकी थी। उसके बाद जीएसटी शासन…
प्रताप भानु मेहता का लेख: मणिपुर; संघर्ष की आग में सुलगता लोकतंत्र
यह एक हैरान कर देने वाला तथ्य है कि लगभग 17 महीनों से, भारतीय गणराज्य ने मणिपुर में चल रहे…
प्रताप भानु मेहता का लेख: विपक्ष के पास BJP से मुकाबले के लिए सटीक भाषा और विचार क्यों नहीं है?
विपक्ष अभी भी एक असरदार आलोचना के लिए सटीक भाषा और अवसर की तलाश में जूझ रहा है। फिलहाल तो…
प्रताप भानु मेहता का लेख: दिल्ली अध्यादेश संघीय लोकतंत्र के लिए अशुभ और निर्लज्जता की पराकाष्ठा
दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण करने के लिए लाया गया भारत सरकार का अध्यादेश हद दर्जे की बेशर्मी भरा…
दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के साथ ही खुल गया है यूएपीए का ब्लैक बॉक्स
आसिफ तन्हा, देवांगना कलीता और नताशा नरवाल की जमानत के जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस जे भंभानी के पारित आदेश…
यूपी शासन मॉडल को चुनौती देना भारतीय लोकतंत्र के लिए जरूरी
उत्तर प्रदेश की जनसंख्या ब्राजील के बराबर है और यहां लोकसभा की 80 सीटें हैं। लेकिन भारतीय राजनीति में इसके…
न्यायिक बर्बरता के दौर में पहुंच गया है सुप्रीम कोर्ट!
राजनीति शास्त्र की भाषा में एक बात कही जाती है- लोकतांत्रिक बर्बरता। लोकतांत्रिक बर्बरता अमूमन न्यायिक बर्बरता से पलती है।…