अपनी प्रासंगिकता को लेकर भ्रम का शिकार भारत: प्रताप भानु मेहता
2016 में नोटबंदी के बाद से ही भारत की अर्थव्यवस्था पटरी से उतर चुकी चुकी थी। उसके बाद जीएसटी शासन और 2020 में कोविड महामारी [more…]
2016 में नोटबंदी के बाद से ही भारत की अर्थव्यवस्था पटरी से उतर चुकी चुकी थी। उसके बाद जीएसटी शासन और 2020 में कोविड महामारी [more…]
यह एक हैरान कर देने वाला तथ्य है कि लगभग 17 महीनों से, भारतीय गणराज्य ने मणिपुर में चल रहे संघर्ष को गहराने और फैलने [more…]
विपक्ष अभी भी एक असरदार आलोचना के लिए सटीक भाषा और अवसर की तलाश में जूझ रहा है। फिलहाल तो यह उन्हीं लोगों से संवाद [more…]
दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण करने के लिए लाया गया भारत सरकार का अध्यादेश हद दर्जे की बेशर्मी भरा क़दम है। यह लोकतंत्र के [more…]
आसिफ तन्हा, देवांगना कलीता और नताशा नरवाल की जमानत के जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस जे भंभानी के पारित आदेश ने यूएपीए न्यायशास्त्र के पूरे [more…]
उत्तर प्रदेश की जनसंख्या ब्राजील के बराबर है और यहां लोकसभा की 80 सीटें हैं। लेकिन भारतीय राजनीति में इसके जबर्दस्त प्रभुत्व का कारण केवल [more…]
राजनीति शास्त्र की भाषा में एक बात कही जाती है- लोकतांत्रिक बर्बरता। लोकतांत्रिक बर्बरता अमूमन न्यायिक बर्बरता से पलती है। ‘बर्बरता’ शब्द के कई अवयव [more…]