Friday, April 19, 2024

प्रेम सिंह

किसान आंदोलन: आगे का रास्ता

तीन कृषि कानूनों के विरोध में जारी किसान आंदोलन की दो उपलब्धियां स्पष्ट हैं : पहली, लोकतांत्रिक प्रतिरोध के लिए जगह बनाना। दूसरी, निजीकरण-निगमीकरण के दुष्परिणामों के प्रति जागरूकता का विस्तार करना। मौजूदा सरकार के तानाशाही रवैये, अपने विरोधी नागरिकों/संगठनों को बदनाम करने की...

घोड़े की गर्दन पर किसानों की गिरफ्त!

प्रत्येक व्यवस्था की अपनी अन्तर्निहित गतिकी (डाइनामिक्स) होती है, जिसके सहारे वह अपना बचाव और मजबूती करते हुए आगे बढ़ती है। भारत में निजीकरण-निगमीकरण के ज़रिये आगे बढ़ने वाली नवउदारवादी/वित्त पूंजीवादी व्यवस्था, जिसे नव-साम्राज्यवाद की परिघटना से जोड़ा जाता...

किसानों से भी ज्यादा डरे हुए हैं प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसान आंदोलन को लेकर विपक्ष पर लगातार हमला बनाए हुए हैं। उनका लगातार आरोप है कि विपक्ष अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन हासिल करने के लिए किसानों को कृषि कानूनों के खिलाफ गुमराह कर रहा है।...

राष्ट्रीय शिक्षा-नीति 2020: नव-उपनिवेशीकरण की दिशा में छलांग

नई राष्ट्रीय शिक्षा-नीति 2020 (यहां से आगे शिक्षा-नीति) में शिक्षा के निजीकरण से आगे शिक्षा का निगमीकरण (कारपोरेटाइजेशन) करते हुए, भारतीय शिक्षा के नव-उपनिवेशीकरण (नियो-कोलोनाइजेशन) की दिशा में एक लंबी छलांग लगाई गई है। शिक्षा-नीति के इस नए आयाम...

ताकि भारत न बने पाखंडी-राष्ट्र!

तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में जारी किसान आंदोलन के शुरू से ही केंद्र की भाजपानीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार और विपक्षी पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोपों का सिलसिला चल रहा है। किसान संगठनों द्वारा 8 दिसंबर को...

भारत में ‘गोदी मीडिया’ ही नहीं, ‘गोदी राजनीति’ भी अपने चरम पर

किसान संसार का अन्नदाता है, लेकिन आज की व्यवस्था में वह स्वयं प्राय: दाने-दाने को तरस जाता है। उसकी कमाई से कस्बों से लेकर नगरों में लोग फलते-फूलते हैं, पर उसके हिस्से में आपदाएं ही आती हैं। सूखे की...

एग्जिट पोलः बिहार में ‘मोदीशाही’ से मुक्त होने पर मुहर

बिहार विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण का मतदान पूरा होने पर ज्यादातर एग्जिट पोल में राष्ट्रीय जनता दल (राजग) के नेतृत्व वाले महागठबंधन को सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से आगे अथवा कड़ी टक्कर में दिखाया है। महागठबंधन के...

रघुवंश प्रसाद सिंह : खाद बनने वाले समाजवादी

निगम भारत पर जल्दी से जल्दी डिजिटल हो जाने का नशा सवार है। ऐसे माहौल में रघुवंश बाबू ने 10 सितम्बर को एक सादा कागज़ पर हाथ से लिख कर अपना इस्तीफ़ा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद...

क्या भारत समाजवादी के बिना धर्मनिरपेक्ष गणतंत्र हो सकता है?

5 अगस्त 2020 को अयोध्या में राम-मंदिर के भूमि-पूजन की घटना बहुसंख्यक साम्प्रदायिकता की राजनीतिक-सामाजिक स्वीकृति पर मुहर कही जा सकती है। इस घटना पर संविधान और भारतीय गणतंत्र के हवाले से जितने लेख/न्यूज़-स्टोरी/सम्पादकीय/पार्टी-विज्ञप्तियां/टिप्पणियां आदि देखने में आए, उनमें...

भारत छोड़ो आंदोलन की चेतना के मायने

अगस्त क्रांति के नाम से मशहूर और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में मील का पत्थर माने जाने वाले भारत छोड़ो आंदोलन की 78वीं सालगिरह 9 अगस्त, 2020 को है। भारतीय जनता की स्वतंत्रता की तीव्र इच्छा से...

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लोकतंत्र का संकट राज्य व्यवस्था और लोकतंत्र का मर्दवादी रुझान

आम चुनावों की शुरुआत हो चुकी है, और सुप्रीम कोर्ट में मतगणना से सम्बंधित विधियों की सुनवाई जारी है, जबकि 'परिवारवाद' राजनीतिक चर्चाओं में छाया हुआ है। परिवार और समाज में महिलाओं की स्थिति, व्यवस्था और लोकतंत्र पर पितृसत्ता के प्रभाव, और देश में मदर्दवादी रुझानों की समीक्षा की गई है। लेखक का आह्वान है कि सभ्यता का सही मूल्यांकन करने के लिए संवेदनशीलता से समस्याओं को हल करना जरूरी है।