26 जनवरी,1950 को हमारे संविधान निर्माताओं ने जिस लोकतांत्रिक, समावेशी और आधुनिक मूल्यों वाले समाज का खाका खींचा था, उसे बनाने की जिम्मेदारी सरकारों पर डाला था। ताकि 'राज्य' सदियों से तमाम पूर्वाग्रहों से ग्रसित, विभिन्न आधारों पर विभाजित...
कोई निर्वाचित सरकार कानून बनाकर कैसे अपने ही नागरिकों की आज़ादी छीन सकती है तथा कैसे संवैधानिक व्यवस्था में “विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया” का उपयोग करके एक स्टेट ‘अथॉरिटेरिएन स्टेट’ में तब्दील हो सकता है इसका ज्वलंत उदाहरण है...