Sunday, June 4, 2023

रविंद्र पटवाल

बंग्लोर एयरपोर्ट पर ‘कामरा कांड’: तीन लड़कियों ने दिखाए कर्नाटक के एक संघी ट्रोल को दिन में 13 तारे

हमारी पीढ़ी तो क्या ख़ाक बदलेगी। लेकिन लगता है नई पीढ़ी में इस बीच काफी बदलाव आया है। हाल के वर्षों में जब लगा कि फासीवाद के डैने पूरे भारतीय आसमान को अपनी आगोश में ले लेंगे, तो ऐसे...

गहन अंधकार में एक-दूसरे का हाथ थामे उजास की ओर कदम बढ़ाने का समय

आज आपसे दिल की बात बताता हूं।हर इंसान जवानी में क्रांतिकारी होता है। फिर हर किसी की जिंदगी में जो आगे परिस्थितियां मिलती हैं, उसके अनुसार उसका जीवन व्यवस्थित होने लगता है। आज हममें से कई मित्र काफी संवेदनशील...

देश में कहीं वसंत का वज्रनाद न फूट पड़े

जब शाहीन बाग़ में पहले दिन धरना शुरू हुआ था, तभी मुझे अंदर से अहसास हो गया था कि हो न हो यह एक मिसाल बनने जा रहा है। बाद में Nikhil Walia ने जब कहा कि भारत बंद...

जनता तो जिंदा रह लेगी, सरकार का क्या होगा?

GST कल से 18% की जगह 40% होने की संभावना है। आप सोच रहे हो सरकार प्याज के दाम 150 रूपये से 40 रूपये किलो कर दे, तो हफ्ते में आप भी 2 किलो प्याज खरीद लें। लेकिन वो...

एनकाउंटर का यह जश्न पूरे समाज पर पड़ सकता है भारी

हैदराबाद की घटना के बाद पुलिस एनकाउंटर से अगर किसी को सबसे अधिक ख़ुशी मिली है तो वह उस लड़की के मां-बाप को नहीं बल्कि हमारे समाज के ठेकेदारों को, मीडिया प्रबंधकों को मिली होगी। निश्चित ही वे इस बात के लिए...

माफ करिये निर्मला जी! हमारा राष्ट्रहित आपके राष्ट्रहित से मेल नहीं खाता

मेरा का नेटवर्क आज काम नहीं कर रहा है. किसी तरह 2 जी पर अब काम कर रहा है। इसका मतलब क्या हो सकता है? क्या आईडिया का आईडिया गुल होने वाला है? निर्मला सीतारमण शायद इस पर भी कह दें, कि...

तमाम बहकावों के बीच, बेचैन होता समाज

यह दौर बेहद पीड़ादायी है, सभी के लिए। उनके लिए भी जो समझ रहे हैं कि वे राज कर रहे हैं, और जो सताए जा रहे हैं, उनका तो कहना ही क्या।  समाजवाद के बारे में पिछले तीन दशकों से...

संकटग्रस्त पूंजीवाद फटने को तैयार

संकटग्रस्त पूंजीवाद अब दुनिया के कुछ हिस्सों में फटने को तैयार है, और भारत जैसे देश में खुद को तैयार कर रहा है, जहां पूरी दुनिया में असंतोष की लहर व्याप्त है वहीं लातिन अमरीका असंतोष के ज्वालामुखी के...

दिल्ली में महिलाओं के लिए मुफ्त बस सेवा: क्या विज्ञापनों से बेहतर नहीं है ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का यह तरीका?

बस में यात्रियों के चढ़ते ही बस कंडक्टर ने सबसे पहले गुलाबी टिकट निकाल कर आवाज दी, “अपने अपने पास लेते हुए जाना।” इसका कारण भी है। कई महिलाओं को नहीं पता कि एक बार इस पिंक टिकट को लेने भर...

अभिजीत बनर्जी अगर भारत में ही रहने का निर्णय लिए होते, तो आज क्या होता ?

कल से ही देश के सभी अंग्रेजी और हिंदी समाचारपत्रों, टीवी न्यूज़ और सबसे अधिक सोशल मीडिया में अर्थशास्त्र के क्षेत्र में इस साल के नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी की पूरे जोर-शोर से चर्चा है। ट्विटर पर एक साथ इतनी जानकारी...

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