हर कोई बीबा जाणदैकित्थों कहर घटावाँ आइयाँहर कोई बीबा जाणदैपई अग्गां कीन्हाँ लाइयाँहर कोई बीबा जाणदैमुहब्बतां कीवें टुट्टियाँहर कोई बीबा जाणदैपई इज्जतां कीन्हें लुट्टियाँहर कोई बीबा जाणदैराजा क्यों सी मौनहर कोई बीबा जाणदैकौण शहर डेहा सी ढौणहर कोई बीबा...
मुसीबतों में
अग्रसर हैं लड़कियां
ढूंढती सावन
ढूंढती हैं सावन के गीत
अग्रसर हैं लड़कियां...
आंखों में अनोखी मुराद
हक-सच दिल में धड़कता
दिल में दर्द की अकुलाहट
हशर की लालसा में जल रहे पांव
चौराहों पर जूझती
अग्रसर...
"नित्य-परिवर्तनशील अनंत/अदृश्य जगत में जनसमूह ऐसी अवस्था में पहुंच गए थे जहां वे एक ही समय में हरेक बात पर विश्वास कर रहे थे और इसके साथ ही किसी भी बात पर उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था।" -...
सवाल यह है कि जिनके पास काग़ज़ात नहीं होते, क्या वे इंसान नहीं होते? क्या केवल नक्शों, काग़ज़ों, अभिलेखों के आधार पर ही ज़मीन का मालिकाना हक़ हो सकता है? जिस ज़मीन के टुकड़े पर वह दशकों से रहता...
देश के दिहाड़ी मजदूरों की आत्महत्याओं के आंकड़े, उनकी दर्दनाक हालात बयान करते हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के हाल ही में 2021 के जारी किए आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ग में आत्महत्याओं का अनुपात अन्य वर्गों की तुलना...
सलमान रश्दी का उपन्यास 'मिडनाइट्स चिल्ड्रन' (आधी रात दी संतान) के मुख्य पात्र सलीम सिनाई का जन्म 14-15 अगस्त 1947 ठीक मध्यरात्रि में 14 अगस्त के समाप्त होने और 15 अगस्त के शुरू होने के समय होता है; जिस...
डर, डर मेरे दिल, डर,
डर, इतना डर, कि डर
बन जाये तेरा घर
डर में ही तेरा बचाव,
छुपाओ, अपने आप को छुपाओ
छुपाओ अपने आप को
जिस्म में, मकान में
कार्पोरेटी दुकान में
अपने आप को छुपाओ
मौन के तूफ़ान में
डर से भी डर
जीते-जी ही मर
डर,...
कौन बसाये गाँव रे भैयाकौन बसाये शहर?कौन गढ़े समय का घड़ाबाँधे कौन ये पहर?कौन घोलता अमृत प्यालाकौन पिये ये ज़हर?कौन तैरे नद सु़ख़न काबाँधे कौन ये बहर?
(नाटक 'हक' के आरंभिक बोल)
सर्वोच्च न्यायालय के अति-सम्माननीय जज साहब! आपने केंद्र सरकार...
शहरी आवास और विकास मंत्रालय/विभाग ने देश के जाने-माने कलाकारों, जो पिछले कई सालों से दिल्ली के सरकारी फ्लैटों में रह रहे हैं, को 31 दिसंबर तक घर खाली करने के आदेश दिए हैं। दशकों पहले सरकार ने दिल्ली...
सारी दुनिया में यह बहस खड़ी करने के लिए बड़े यत्न किए जाते हैं कि समाजवादी /साम्यवादी और वामपंथी मोर्चे पर पार्टियां बनाने और उनके द्वारा चुनाव लड़ने की कोशिश लोगों और वामपंथियों को कहीं न पहुंचाने वाली आवारा...