Thursday, April 18, 2024

विक्रम सिंह

हिंदू राष्ट्र निर्माण के लिए नरेंद्र मोदी उड़ा रहे हैं, धर्मनिपेक्षता की धज्जियां 

28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री ने देश में एक बड़ी लकीर खींच दी है। इसके तमाम पहुलओं के बारे में काफी चर्चा हो चुकी है। एक धर्मनिरपेक्ष देश के प्रधानमंत्री ने धर्मनिरपेक्षता की...

मोदी सरकार के 9 वर्ष: साल दर साल रोजी-रोटी का संकट गहराता गया

आज चाहे देश में कोई भी इसे गंभीरता से न लेता हो, चाहे यह अपना (कटाक्ष करने के लिए भी) यथार्थ खो चुका हो लेकिन 2014 के आम चुनाव में नरेन्द्र मोदी और भाजपा की कामयाबी में दो करोड़...

बृजभूषणों के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक बन चुका है महिला पहलावानों का संघर्ष     

महिला पहलवानों के यौन शोषण के खिलाफ आन्दोलन के बारे में बहुत कुछ लिखा- कहा जा चुका है। असल में यह आन्दोलन एक मुश्किल चरण पहले ही पार कर चुका है जहां उसका सामना हुआ भाजपा और उसके प्रचार...

क्यों जुट रहे हैं दिल्ली में 5 अप्रैल को देशभर के मजदूर-किसान?

17 मार्च 2023 को महाराष्ट्र के जालना जिले के परतूर तहसील में आशा रमेश सोलंकी गन्ने के खेत में काम कर थी। वह गर्भवती थी लेकिन बागेश्वरी शुगर फैक्ट्री के लिए खेत में गन्ना काटने का काम करने के लिए...

मनरेगा पर सरकार का चौतरफा हमला

बेरोजगारी और आर्थिक मंदी के इस दौर में मनरेगा की ग्रामीण भारत में बहुत अहम भूमिका है। मनरेगा ग्रामीण परिवारों को सौ दिन का रोजगार देकर न केवल उनके लिए आजीविका सुरक्षा सुनिश्चित करता है बल्कि नागरिको की खरीद...

ज़मीन की कमी नहीं, शासकों का वर्ग हित है देश में भूमिहीनता का मुख्य कारण 

आजादी के 75 वर्षों के बाद भी एक तरफ बड़ी जमींदारी और दूसरी तरफ भूमिहीनता का उच्च स्तर भारत के कृषि प्रधान समाज की विशेषता है। यह केवल दावा नहीं है बल्कि देश की सच्चाई है जिसकी पुष्टि भारत...

खाद्यान्न की कमी नहीं बल्कि पूंजीवादी मुनाफा है बढ़ती भुखमरी का कारण

प्रकृति की गोद में आदि मानव के रूप में अपना जीवन शुरू कर आधुनिक इंसान ने अथाह प्रगति कर ली है। प्रकृति से संघर्ष की प्रक्रिया में संसाधनों को अपने जीवन को सुरक्षित करने के लिए उपयोग करने में...

आरक्षण कोई गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम नहीं है

जब भी हमारे देश में जाति, जातिगत हिंसा और जातिगत भेदभाव की बात शुरू होती है तो यह आरक्षण तक पहुंच जाती है और अंतत: जनता के इतने बड़े हिस्से का ऐतिहासिक उत्पीड़न चर्चा से गायब हो जाता है...

संविधान दिवस के नाम पर मनु के विचार की जयकार

हमने अपने देश की स्वाधीनता एक लम्बी लड़ाई के बाद हासिल की है जिसमे देश के सभी समुदायों ने अपना योगदान दिया है। इस लम्बे और बलिदानों से भरे स्वाधीनता आंदोलन में हम केवल अंग्रेजो के खिलाफ ही नहीं...

आजादी का अमृत महोत्सव में कहाँ है खेतिहर मज़दूर

आज़ादी का ख्याल ही बहुत खूबसूरत है। हालांकि यह बात अलग है कि हमारे देश में आज़ादी के 75 वर्ष तक पहुंचते पहुंचते 'आज़ाद ख्याल' नाक़ाबिल-ए- बर्दाश्त हो गया है। अगस्त महीने में हमारे देश में आज़ादी का उत्सव...

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