Saturday, April 27, 2024

विक्रम सिंह

संसदीय समिति ने माना: बजट की कमी कर मनरेगा को ख़त्म करने की भाजपा सरकार की साजिश

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के वर्किंग पेपर नंबर 107 में ग्रामीण भारत में नागरिकों की क्रय शक्ति में नकारात्मक रुझान का जिक्र किया है। इसमें कहा गया है कि "भारतीय श्रम ब्यूरो द्वारा प्रकाशित ग्रामीण मासिक...

दलित अधिकार और सामाजिक न्याय के लिए 4 दिसंबर को दिल्ली में 100 से ज्यादा संगठनों की रैली

हमारे देश में शोषण की व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हथियार है जाति व्यवस्था, जो शोषितों को अपने उत्थान के अवसरों तथा साधनों से महरूम कर देती है। सदियों की जाति व्यवस्था ने जहां शोषित जातियों को आर्थिक और सामाजिक...

नांदेड़: दर दर भटक रहे 67 खानाबदोश परिवार, सिर्फ मतदान के समय माने जाते हैं नागरिक

नांदेड़, महाराष्ट्र। हर नागरिक के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता के समर्थन में दावा किया जाता है कि सरकार के पास प्रत्येक नागरिक की जानकारी है और इसका मकसद नागरिकों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करना है। अदालतों के फैसलों...

शहीद-ए-आज़म भगत सिंह: नारा तब भी इंकलाब था- नारा आज भी इंकलाब है

'जो कोई भी कठिन श्रम से कोई चीज़ पैदा करता है, उसे यह बताने के लिए किसी खुदाई पैगाम की जरुरत नहीं कि पैदा की गयी चीज़ पर उसी का अधिकार है' यह शब्द जो अपनी जेल डायरी के...

किसानों के मुद्दे पर चर्चा के दौरान भी होती है महिला खेत मज़दूरों की अनदेखी

कई लोग ऐसा मानते है कि कृषि के अविष्कार से महिलाएं करीब से जुड़ी रही है। कई सामाजिक वैज्ञानिक तो यहां तक मानते है कि महिलओं ने ही कृषि की खोज की होगी। लेकिन बाद के दौर में कृषि...

हर बीते दिन के साथ बेनकाब हो रहा भाजपा-कॉर्पोरेट का नापाक गठजोड़

एक साल लंबे चले ऐतिहासिक किसान आंदोलन की, किसान विरोधी तीन कानूनों को वापस करवाने के साथ दूसरी सबसे बड़ी उपलब्धि थी जनता में सरकार और कॉर्पोरेट के नापाक गठजोड़ को बेनकाब करना। अगर हम याद करें तो किसान...

मनरेगा: न रहेंगे जॉब कार्ड, न मजदूर मांगेंगे काम

नई दिल्ली। एक तरफ जहां उच्च बेरोजगारी और ग्रामीण आर्थिक हालात की कठिन परिस्थितियों में मनरेगा अपनी उपयोगिता साबित कर रहा है वहीं वर्तमान सरकार की मनरेगा पर लगातार हमले करने के लिए आलोचना हो रही है। वैसे तो...

मराठवाड़ा में ज़मीन से बेदखली के खिलाफ संघर्ष

"पिता जी तो ताउम्र ज़मीन के लिए लड़ते रहे और चले गए, शायद हम भी इसी तरह चले जायेंगे।" यह शब्द है महाराष्ट्र के जालना ज़िले के परतूर तालुका में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हुए हरीभाऊ सीताराम भिसे के।...

समान नागरिक संहिता: एकरूपता से नहीं भेदभाव खत्म करने से होगा महिला सशक्तिकरण

हमारे देश में भरपूर अन्न पैदा होने के बावजूद करोड़ों लोग भूखे रहने के लिए मज़बूर हैं। देश के 224.3 मिलियन लोग यानि भारत की आबादी का 16 प्रतिशत अल्पपोषित है, प्रजनन आयु की 53 प्रतिशत महिलाएं भी एनीमिया...

मोदी राज में 40 हजार खेत मजदूरों ने की आत्महत्या, सर्वसमावेशी केंद्रीय कानून की जरूरत

देश को एक नया संसद भवन मिल गया है। हालांकि इस नए भवन के उद्घाटन से नरेंद्र मोदी सरकार का भारतीय लोकतंत्र और संसद के प्रति रुख का पता चलता है। इसके बनने में भी तानाशाही प्रक्रिया अपनाई गई...

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ग्राउंड रिपोर्ट: किसानों की जरूरत और पराली संकट का समाधान

मुजफ्फरपुर। “हम लोग बहुत मजबूर हैं, समयानुसार खेतों की जुताई-बुआई करनी पड़ती है। खेतों में सिंचाई तो स्वयं कर...