Author: विशद कुमार
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झारखंड : यूनिवर्सल पेंशन योजना बना चूचू का मुरब्बा
झारखंड में भ्रष्टाचार इतना हावी है कि उम्र के अंतिम पड़ाव में दाखिल हो चुके यानी वृद्धों को मिलने वाला वृद्धा पेंशन का आलम यह है कि राज्य के कई वृद्ध जहां आधार कार्ड में हुई गड़बड़ी के कारण वृद्धा पेंशन से वंचित हैं, वहीं कई लोगों का वृद्धा पेंशन उनके मरने के बाद भी…
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विलुप्त प्राय बिरहोर का शब्दकोश तैयार कर देव कुमार ने रचा नया इतिहास
37 वर्षीय एक युवा देव कुमार, आत्मविश्वास से लवरेज, जो कुड़मी समुदाय से आते हैं। ये झारखंड की राजधानी राँची जिले के ओरमांझी प्रखंड के हेठ नगडू गाँव के एक किसान अघनु महतो की दो बेटियों के बाद तीसरी संतान हैं, इनसे छोटे एक भाई और एक बहन हैं। इन्होंने मैट्रिक परीक्षा राज्य संपोषित विद्यालय,…
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झारखंड में कुर्मी-कुड़मी व आदिवासी आमने सामने, अनुसूचित जनजाति में आरक्षण की मांग पर बवाल
झारखंड में 2019 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की बहुमत हासिल होने और एनडीए सरकार के मुख्यमंत्री रहे रघुवर दास की करारी हार के बाद हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बने, तब से हेमंत कई राजनीतिक संकट से गुजर चुके हैं। 2022 के शुरूआत में सरकारी नौकरियों के लिए होने वाली परीक्षाओं में क्षेत्रीय भाषा के रूप…
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झारखंड: कौन खा गया गरीबों का राशन?
27 सितम्बर को पश्चिमी सिंहभूम ज़िला के विभिन्न प्रखंडों से आए सैकड़ों राशन कार्डधारियों ने राशन चोरी और प्रशासनिक उदासीनता के विरुद्ध चाईबासा पुराना उपायुक्त कार्यालय के समक्ष धरना दिया। धरना का आयोजन खाद्य सुरक्षा जन अधिकार मंच, पश्चिमी सिंहभूम द्वारा किया गया था। धरने में सदर, टोंटो, खूंटपानी, तांतनगर, चक्रधरपुर, सोनुआ, हाटगम्हरिया, कुमारडुंगी, मनोहरपुर…
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दुमका में डायन बिसाही का आरोप लगाकर पीटा, मैला पिलाया और गर्म लोहे से दागा, आरोपी गिरफ्तार
झारखंड में अंधविश्वास इस तरह हावी है कि डायन बिसाही और ओझागुनी के नाम पर प्रताड़ना और हत्याओं का सिलसिला थमता नहीं दिख रहा है। आए दिन ऐसी घटनाएं खबरों की सुर्खियां बनती रही हैं। राज्य में अंधविश्वास की जड़ें इतनी मजबूत हैं कि डायन-बिसाही व ओझागुनी के नाम पर प्रताड़ना व हत्याएं आम बात…
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झारखंड में 1932 की खतियान आधारित स्थानीयता की सार्थकता
झारखंड सरकार ने स्थानीयता को 1932 के खतियान का आधार और पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण पर कैबिनेट की मुहर के बाद जहां राष्ट्रीय स्तर पर पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण चर्चा के केंद्र में रहा वहीं झारखंड में 1932 पर चर्चा जोर पकड़ता जा रहा है। कैबिनेट ने स्थानीय निवासी की परिभाषा, पहचान और…