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संस्कृति-समाज

पुस्तक समीक्षा : ‘झारखंड के चमकते सितारे’ एक उपयोगी दस्तावेज़ है

भारतीय स्वाधीनता संग्राम के आरंभिक काल में ही झारखंड क्रांतिकारियों की भूमि रहा है। संताल हूल और बिरसा मुंडा आंदोलन का इतिहास गौरवशाली है। आजादी [more…]

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बीच बहस

पुस्तक समीक्षा: ‘गूँगी रुलाई का कोरस’ यानी संगीत के बहाने समाज की चीर-फाड़

रणेंद्र का ताजा उपन्यास ‘गूंगी रुलाई का कोरस’ चर्चा में है। राजकमल प्रकाशन से आया यह उपन्यास अमेजन पर उपलब्ध है। रणेंद्र ने झारखंड में [more…]

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राजनीति

क्या ऐसे समर्थक ‘बोझ‘ होते हैं?

वह आंदोलनों का सच्चा समर्थक है। खुद भी आंदोलनकारी रहा है। अब भी आंदोलनकारी ही है। जीवन भर उसने तन, मन और धन लगाकर एक [more…]

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संस्कृति-समाज

इतनी सी बातः सांसों की भी सुनो

दुनिया तो बसते-बसते बसी है। कोई हजारों या लाखों साल में बनी है दुनिया। पेड़, पहाड़, जंगल, नदियां, पशु, पक्षी और तितलियां। तरह-तरह के फल-फूल [more…]

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संस्कृति-समाज

इतनी सी बातः जब छुपाने को कुछ न हो

खबर आई कि सुप्रीम कोर्ट भी अब आरटीआई के दायरे में आएगा, लेकिन यह अधूरी या भ्रामक खबर है। सच यह है कि वर्ष 2005 [more…]

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संस्कृति-समाज

इतनी सी बातः ताकि कुछ शेष ‘न’ रहे

जिंदगी दोबारा नहीं मिलती। जो करना हो, इसी जीवन में करना पड़ता है। कुछ लोग जीवन भर एक ही काम करते रहते हैं। कुछ ऐसे [more…]