नई दिल्ली। देश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) सेक्टर किस हाल में हैं, ये समझने के लिए सिर्फ इतना ही जानना काफी है कि कंसोर्टियम ऑफ इंडियन एसोसिएशन (CIA) के एक सर्वे में ये बात सामने आई है कि बीते पांच सालों में इस सेक्टर से जुड़े 72% लोगों ने माना कि उनका काम धंधा या तो स्थिर रहा, घटा या फिर ठप्प पड़ गया है। इस सर्वे में 76 फीसदी लोगों ने ये भी कहा कि वो प्रॉफिट नहीं बना पा रहे हैं और बैंक से फायनेंस मिलना एक बड़ी चुनौती है। 45% लोगों ने कहा कि बिजनेस शुरू करने या चलाने या बंद करने में उन्हें कठिनाई हो रही है और ‘इज़ ऑफ डूइंग’ नहीं है।
हालांकि 21 फीसदी लोगों ने ये बात स्वीकारी की कोविड 19 के दौरान सरकार से उन्हें पर्याप्त मदद मिली। सबसे खास बात ये है कि सर्वे में शामिल 87 फीसदी लोग इस बजट से बेहद निराश दिखे।
दरअसल इस सर्वे का मकसद हाल ही में केंद्रीय बजट को लेकर इस सेक्टर से जुड़े लोगों की राय जानना था। साथ ही ये इसके ज़रिये ये जानने की भी कोशिश की गई कि क्या बजट से उनकी उम्मीदें पूरी हुई या नहीं। सीआईए (CIA) ने एक बयान जारी कर कहा कि अगर इसके मद्देनज़र अलग से माइक्रो इंटरप्राइज़ेज़ मिनिस्ट्री बनाई जाए तो सेक्टर से जुड़ी कई मुश्किलों का हल निकालने में आसानी हो सकती है।
सीआईए (CIA) ने आगे ये भी कहा कि सरकार बार-बार ‘इज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ पर ज़ो देती रही है लेकिन इसके बावजूद छोटे और मझोले बिजनेस से जुड़े लोगों को उलझे और भारी भरकम नियमों से जूझना पड़ता है। इसके साथ ही एमएसएमई डेवलेपमेंट एक्ट 2006 में संशोधन की ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया गया है और ये भी कहा गया है कि जीएसटी एक्ट में बदलाव किया जाने चाहिए जिससे कि ये कानून बिजनेस फ्रेंडली हो सके।
वहीं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस रिपोर्ट को लेकर पीएम मोदी पर हमला बोला है। राहुल ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए ट्वीट कर इसे ‘मित्र काल’ की कहानी कहा। उन्होंने रिपोर्ट के आंकड़ों को ट्वीट में डालते हुए कहा कि जिस जादू से एक ‘मित्र’ को दुनिया में दूसरा सबसे अमीर बनाया, वही जादू छोटे व्यापारों पर क्यों नहीं चलाया?
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