युद्ध संबंधी कंटेंट से सावधान! ये ख़तरनाक हो सकता है

इस समय भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को लेकर और खासतौर पर एयरस्ट्राइक के बाद बहुत तरह की सूचनाएं, वीडियो और फोटो आदि सोशल मीडिया पर तैर रहे हैं, इनमें बहुत सारी सूचनाएं भ्रामक हैं, वीडियो फेक हैं और इसमें पाकिस्तानी प्रोपेगेंडा भी शामिल है। इस तरह के कंटेंट को साझा करने से पहले से कई बार सोचिए, क्योंकि इसे साझा करना ख़तरनाक साबित हो सकता है। कैसे ख़तरनाक साबित हो सकता है? आइये, समझते हैं। 

मैं आपको दो उदाहरण देता हूं, जो ये समझने में आपकी मदद करेंगे कि भ्रामक सूचनाएं किस तरह युद्ध को प्रभावित कर सकती हैं और पासा तक पलटने की नौबत ला देती हैं। एक उदाहरण महाभारत से है और दूसरा रूस-युक्रेन युद्ध से है।

अश्वत्थामा मारा गया

युद्ध पर भ्रामक सूचनाओं के असर का एक क्लासिक उदाहरण महाभारत में मिलता हैं। महाभारत युद्ध के दौरान रणक्षेत्र में एक झूठ फैलाया गया कि अश्वत्थामा मारा गया। इस झूठ ने द्रोणाचार्य को पूरी तरह से पस्त कर दिया, उन्होंने शस्त्र त्याग दिए और परिणामस्वरूप द्रौणाचार्य का वध कर दिया गया। ये झूठ या कहें कि आधा सच और आधा झूठ यानी भ्रामक सूचना युधिष्ठिर के द्वारा प्रचारित की गई, जिनके बारे में धारणा थी कि वो झूठ नहीं बोलते, यानी भरोसेमंद स्रोत के द्वारा। आधी-अधूरी सूचनाएं और स्रोत को लेकर अंधापन किस तरह घातक होता है, इस उदाहरण से समझा जा सकता है। ये घटना बताती है कि भ्रामक सूचनाएं किस तरह से युद्ध को प्रभावित कर सकती हैं। अब एक और उदाहरण देखिये, जो रूस-युक्रेन युद्ध के दौरान का है।

रूस-युक्रेन युद्ध के दौरान डीपफ़ेक वीडियो

आज से तीन साल पहले, जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध तेज था, उस वक्त यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की का डीपफ़ेक वीडियो वायरल किया गया। इस डीपफ़ेक वीडियो में जेलेंस्की यूक्रेन की सेना को हथियार छोड़कर, आत्मसमर्पण करने की अपील करते नजर आ रहे थे। सोचकर देखिये, जब देश युद्धरत है ऐसे में अगर राष्ट्रपति का ऐसा वीडियो वायरल हो जाए, जिसमें वो सैनिकों को आत्मसमर्पण करने की अपील करते नजर आ रहे हों तो, क्या हो सकता है। युद्ध का पासा पलट सकता है, सैनिकों का मनोबल टूट सकता है और देश के नागरिकों में बेचैनी और अशांति फैल सकती है। बाद में जेलेंस्की ने एक वीडियो जारी करके यूक्रेन के लोगों को बताया कि ये वीडियो डीपफ़ेक है और झांसे में ना आएं।

इन दोनों उदाहरणों से आप समझ सकते हैं कि तनाव की स्थिति में हमें सूचनाओं को लेकर सतर्क और सावधान रहने की क्यों जरूरत है। हमें ये समझने की जरूरत है कि भ्रामक सूचनाएं और फ़ेक वीडियो/फोटो ना सिर्फ नफरत का सबब बनते हैं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी ख़तरा बन सकते हैं।

देश में लॉ एंड आर्डर की स्थिति बिगाड़ सकते हैं और अराजकता फैला सकते हैं। तो फिलहाल, युद्ध संबंधी कंटेंट को लेकर संयम बरतिये, हड़बड़ी में किसी भी वीडियो/फोटो को फारवर्ड ना करें, चाहे वो आपको सत्य ही लगता हो। याद रखिये ये डीपफ़ेक और एआई का युग है और लोग वेरिफिकेशन के कौशल से लैस नहीं है। सूचनाओं को लेकर अरजेंसी मोड से तुरंत निकल जाइये और धीरज से काम लीजिये।

(राज कुमार स्वतंत्र पत्रकार एवं फ़ैक्ट-चेकर हैं।)

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