अपनी मौत के पहले नवलनी ने संघर्ष की गाथा से भरपूर अपनी जीवनी लिखी थी

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रूस के बहादुर नेता एलेक्सी नवलनी (Aleksei Navalny) ने जेल में अपनी हत्या के पहले अपनी जीवनी लिखी। जीवनी में वे अपने संघर्ष की गाथा कहते हैं और यह बताते हैं कि कैसे उनकी हत्या के अनेक प्रयास किए गए। अपने जेल के जीवन में उन्होंने अपने संस्मरण और अपने संघर्ष की गाथा लिखी है जो दुनिया के पाठकों तक पहुंच गई है। उनकी जीवनी की गाथा का शीर्षक है ‘‘पेट्रिओट’’ (देशभक्त)। इसका पहला संस्करण ही लगभग 5 लाख प्रतियों का था और जिसका प्रकाशन दुनिया के अनेक देशों में एक साथ हुआ था।

नवलनी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण आलोचक और विरोधी थे। पुतिन ने अनेक बार उन्हें मरवाने, उनको शारीरिक नुकसान पहुंचाने, बार-बार उनको गिरफ्तार करने और बार-बार उन्हें जेल में डालने के प्रयास किए। उन्हें गिरफ्तार कर आबादी से हजारों मील दूर जेल में रखा जाता था, जहां उनकी मृत्यु मात्र 47 वर्ष में हुई। उन जैसा बहादुर और साहसी व्यक्ति दुनिया के कम देशों में पाये जाते हैं।

उनकी बहादुर पत्नी के अनुसार उनकी जीवनी उन्हीं के शब्दों में लिखी गई है और वह पुतिन की तानाशाही जिंदगी को आईना दिखाती है। उनकी पत्नी यूलिया का दावा है कि उनकी जीवनी रूस के करोड़ों लोगों को पुतिन की तानाशाही के विरूद्ध संघर्ष करने के लिए प्रेरित करती रहेगी।

उनकी पत्नी कहती हैं ‘‘यह पुस्तक जहां उनकी जीवनी कहती है वहीं यह भी बताती है कि तानाशाही के विरूद्ध उनका संघर्ष पूरी प्रतिबद्धता के साथ था। उन्होंने इस संघर्ष में अपना पूरा जीवन झोंक दिया था। इस किताब के पन्नों के माध्यम से पाठक जान सकेंगे कि मैं अपने जीवन साथी से कितना प्यार करती थी। मैंने उन्हें हमेशा न झुकने वाला साहस का प्रतीक माना। उनमें अद्भुत शक्ति थी। उनकी किताब पढ़ना उनकी स्मृति को जारी रखना है। उनकी जीवनी इस बात की प्रतीक है कि दुनिया में हर व्यक्ति को सम्मान के साथ जीने का हक़ है और उस सम्मान में कोई भी व्यक्ति हस्तक्षेप नहीं कर सकता।’’

किताब के प्रकाशक ने प्रकाशन के अवसर पर कहा कि परिवर्तन को कोई नहीं रोक सकता। आज़ादी के लिए किया जाने वाला परिवर्तन मानव मात्र का अधिकार है। नवलनी ने पूरी किताब खुद ही लिखी, उसके कुछ हिस्से को उन्होंने अपनी पत्नी के सहयोग से लिखा। उनकी पत्नी किताब के संपादन में प्रकाशकों के साथ सहयोग करती रहीं और किताब की अंतिम प्रतिलिपि उनके सहयोग से ही तैयार हुई।

यह महत्वपूर्ण क्रांतिकारी किताब दुनिया की 11 भाषाओं में प्रकाशित हो चुकी है। किताब का रूसी संस्करण भी शीघ्र ही आने वाला है। उनके संस्मरणों का यह संघर्ष अत्यंत संवेदनशील और प्रेरणा देने वाला है। नवलनी के समर्थक और उनकी वृहत टीम के सदस्य जो आज भी संघर्षरत हैं और इसलिए वे रूसी शासकों की आंखों के कांटे हैं। यूक्रेन में जारी युद्ध के संदर्भ में उनके ऊपर पूरी नज़र रखी जा रही है।

नवलनी ने इस किताब को लिखने का काम 2020 से प्रारंभ किया था। यह वह समय था जब उनकी हत्या करने के लिए उन्हें ज़हर दिया गया था और वे इस ज़हर के दुष्प्रभाव से निकल रहे थे। उन्हें ज़हर देने की हरकत को पश्चिमी के अनेक खुफिया जानकारों ने बताया कि वह सचमुच उनको जान से मारने का प्रयास था। उनकी किताब में उनकी युवा अवस्था, एक राजनीतिज्ञ कार्यकर्ता के रूप में उनका उभार, उनका विवाह, उनका पारिवारिक जीवन, उनका राजनीतिक कैरियर, उनको मारने के विभिन्न हमलों का विवरण और उन लोगों की भी हत्या करने के प्रयास करने के विवरण शामिल हैं।

नवलनी रूस के राष्ट्रपति का चुनाव लड़ना चाहते थे परंतु एक उच्च अदालत के निर्णय के अनुसार उन्हें ऐसा करने से रोका गया। लोग जानते थे कि यह भी शासकों द्वारा बनाया गया एक षड़यंत्र था। यद्यपि वे चुनाव नहीं लड़ पाये। परंतु वे अपने प्रभाव की सीमाओं को बढ़ाने के लिए अनेक गतिविधियां करते थे और इसके लिए वे पूरे रूस के विभिन्न क्षेत्रों में आंदोलन करते रहते थे।

उन्होंने अपनी किताब का बड़ा हिस्सा जर्मनी में लिखा। यहां वे ज़हर देने के दुष्प्रभाव से स्वास्थ्य लाभ कर रहे थे। वर्ष 2021 के फरवरी माह में वे रूस वापस आ गए, यह जानते हुए कि उन्हें फिर से गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया जायेगा। उन्हें हवाई अड्डे पर ही गिरफ्तार कर लिया गया और एक झूठे मामले में उन्हें फंसा दिया गया। सारी दुनिया में लोगों को यह समझ में आ गया था कि यह तानाशाह पुतिन की एक और हरकत थी।

2023 में उनके विरूद्ध अनेक आरोप लगाकर उन्हें 19 वर्ष की सज़ा दे दी गई। जेल में उन्हें अनेक प्रकार से सताया जाता था-समय पर दवाईयां नहीं देना, एक ऐसे सेेल में रख देना जहां प्रकाश भी नहीं पहुंचता था। रूस आने के पहले उन्हें पूरा भरोसा था कि उन्हें जेल में डाल दिया जायेगा, परंतु दूसरे देश में रहकर संघर्ष करना उनकी आत्मा को कचोटता था। उन्हें यह कदापि अच्छा नहीं लगता था कि मैं अपने देश के बाहर रहकर तानाशाही का विरोध करूं।

उन्होंने कहा कि ‘‘मुझे यह कदापि अच्छा नहीं लगता कि मैं अपनी आस्था और अपने देश से दूर रहूं। संघर्ष यदि करना है तो अपने देश के भीतर ही रहकर किया जाना चाहिए।’’ उन्होंने अपनी मृत्यु के पहले कहा ‘‘मैं एक या दो सेकण्ड के लिए भी यह नहीं सोच सकता कि यदि मेरे सिद्धांत और मेरे उसूल सच्चे हैं तो मैं उनके लिए क्यों न सीना ताने लड़ूं और आवश्यक हो तो उसके लिए बड़े से बड़ा त्याग करने को तैयार हूं।’’

नवलनी के रूस वापस आते ही पूरे देश में बड़े-बड़े प्रदर्शन हुए, परंतु उन सभी को दबा दिया गया। रूस में स्वतंत्र मीडिया को पूरी तरह से चुप करवा दिया गया और सत्ता के आलोचकों का मुंह बंद कर दिया गया। परंतु ऐसे वातावरण में भी नवलनी चुप नहीं रहे और अपनी आवाज़ उठाते रहे और यह बताने से नहीं चूके कि वे स्वतंत्र समाज के सबड़े बड़े समर्थक हैं।

नवलनी जेल रहने में के बाद भी सोशल मीडिया से जुड़े रहे और तानाशाह के विरूद्ध अपनी बातें कहते रहे। उनके साथी और समर्थक रूस के शासकों के भ्रष्टाचार की पोल खोलते रहे। इस दरम्यान नवलनी अपनी जीवनी लिखते रहे।

रूस के भीतर जब उनकी मृत्यु या हत्या हुई तो लाखों लोगों ने उन्हें बिदाई थी। बिदाई देने वाले जानते थे कि उन्हें गिरफ्तार किया जायेगा और उन्हें गिरफ्तार किया भी गया। मॉस्को में चर्च के सामने हज़ारों लोग नारे लगा रहे थे ‘‘मोहब्बत डर से भी ज़्यादा ताकतवर है, थैंक्यू नवलनी।’’

उनकी हत्या के बाद जो उनके सिद्धांतों के लिए संघर्ष कर रहे हैं उन्हें अनेक प्रकार की धमकियां दी जाती हैं और उन पर हमले भी किये जाते हैं। पिछले महीने ल्यूनिड वॉल्कोव पर भयंकर हमला किया गया। उनके निवास के आसपास अश्रु गैस के गोले छोड़े गये। नवलनी जानते थे कि वे कांटों के रास्ते पर चल रहे हैं उसके बावजूद उनके उत्साह में कमी नहीं आई और वे अपने अभियान में जुड़े रहे। वे कहते थे कि ‘‘मैं आने वाली मुसीबतों के बारे में सोचता नहीं हूं।’’ सीबीएस जो एक बड़ी समाचार एजेंसी है को बातचीत करते हुए नवलनी ने बताया कि मैं जानता हूं कि जो काम मैं कर रहा हूं वह खतरों से भरपूर है परंतु इसके अलावा कोई रास्ता भी तो नहीं है।

(एलएस हरदेनिया स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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