अमित शाह की टिप्पणी के बाद बैकफुट पर बीजेपी, गृहमंत्री का पोस्टर फूंकने पर बीएचयू के तीन छात्र गिरफ्तार, उबल रहा पूर्वांचल

Estimated read time 1 min read

वाराणसी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हालिया बयान ने जहां एक तरफ संसद और राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बनारस में यह मुद्दा काफी गरम हो गया है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के सिंहद्वार पर शाह की तस्वीर जलाने को लेकर एक नया बखेड़ा खड़ा हो गया।

इस मामले में पुलिस ने बीएचयू के तीन छात्रों को गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तारी के बाद लंका थाने पर कांग्रेस कार्यकर्ता जुटे और उन्होंने इस कार्रवाई का कड़ा विरोध किया। कांग्रेस का आरोप है कि ये छात्र गांधीवादी तरीके से विरोध कर रहे थे, लेकिन सरकार के दबाव में उन पर कार्रवाई की गई।

संविधान पर चर्चा के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि, “अभी एक फ़ैशन हो गया है.. अंबेडकर , अंबेडकर , अंबेडकर… । इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।”

इस कथन को लेकर विपक्ष ने इसे बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर का अपमान बताया और संसद की कार्यवाही ठप कर दी। इस मामले में अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सफाई दी और कहा कि जिन्होंने जीवन भर बाबा साहेब का अपमान किया, उनके सिद्धांतों को दरकिनार किया, सत्ता में रहते हुए उन्हें भारत रत्न नहीं दिया, आरक्षण के सिद्धांतों की धज्जियां उड़ाईं, वे आज अंबेडकर के नाम पर भ्रांति फैला रहे हैं।”

दूसरी ओर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सोशल मीडिया पर यह स्पष्ट किया कि उनकी सरकार ने बाबा साहेब के सम्मान में कई ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। इस बीच, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अमित शाह के बयान को संविधान और अंबेडकर का अपमान बताया।

खड़गे ने कहा, “अमित शाह का बयान उनकी आरएसएस की विचारधारा को दर्शाता है, जो संविधान का सम्मान नहीं करती। समूचा विपक्ष उनका इस्तीफा मांगता है।” उधर, बीएसपी प्रमुख मायावती ने इसे कांग्रेस और बीजेपी की दोहरी राजनीति बताया और कहा, “दोनों पार्टियां अंबेडकर के नाम पर सिर्फ़ राजनीति कर रही हैं।

तीन छात्र गिरफ्तार, कांग्रेस ने किया विरोध

अंबेडकर के अपमान के मुद्दे पर पूर्वांचल में सर्वाधिक बवाल हो रहा है। मोदी के बनारस में गुरुवार को छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया। विरोध के दौरान उन्होंने सिंहद्वार के पास अमित शाह की तस्वीर जलाई। इसी घटना को लेकर वाराणसी पुलिस ने सख्त कार्रवाई करते हुए तीन छात्रों- सुमन आनंद, विपिन कुमार और रोहित को गिरफ्तार कर लिया।

इस घटना के बाद कांग्रेस के महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे अपने कार्यकर्ताओं के साथ लंका थाने पहुंचे। उन्होंने आरोप लगाया कि “हमारे साथी शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध दर्ज करा रहे थे। वे बाबा साहेब के अपमान के खिलाफ आवाज उठा रहे थे। लेकिन सरकार के दबाव में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।”

प्रदर्शन करते हुए कांग्रेस कार्यकर्ता

राघवेंद्र चौबे ने बताया कि गिरफ्तार छात्रों में से सुमन आनंद की अगले दिन परीक्षा थी, फिर भी उन्हें थाने में बंद रखा गया। उन्होंने कहा, “जब बीजेपी युवा मोर्चा के कार्यकर्ता कांग्रेस कार्यालय के बाहर राहुल गांधी का पुतला जलाकर चले गए, तब उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। लेकिन जब हमारे साथी गांधीवादी तरीके से प्रदर्शन कर रहे थे, तो उन्हें रातभर थाने में बंद रखा गया।”

चौबे ने पुलिस कार्रवाई को पक्षपातपूर्ण बताते हुए कहा, “हम आज अपने साथियों की जमानत कराएंगे और उच्च अधिकारियों से मिलकर ज्ञापन देंगे। यह सरकार लोकतांत्रिक विरोध को दबाने की कोशिश कर रही है, लेकिन हम अपने साथियों को न्याय दिलाने के लिए लड़ेंगे।”

पुलिस ने इस मामले में छात्रों पर शांति भंग करने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप लगाए हैं। पुलिस का कहना है कि प्रदर्शन के दौरान कानून व्यवस्था बिगड़ने की स्थिति बनी, जिसके चलते कार्रवाई करनी पड़ी।

लंका थाना के थाना प्रभारी शिवाकांत मिश्रा ने इस मामले में पुलिस की कार्रवाई पर जानकारी देते हुए कहा कि गुरुवार को कुछ लोग गृहमंत्री अमित शाह के पोस्टर और बैनर लेकर मालवीय गेट के पास पहुंचे। यह जगह BHU के पास बहुत व्यस्त है, जहां मरीजों का आना-जाना होता है, एंबुलेंस का आगमन होता है और अन्य लोगों का भी आवागमन रहता है।

ऐसे में इन लोगों ने सार्वजनिक स्थान पर आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया और धार्मिक उन्माद फैलाने की कोशिश की। इसके अलावा, उन्होंने रास्ता रोककर भाषण भी दिया, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई।

पुलिस ने उन्हें कई बार समझाने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं माने। अंततः पुलिस ने उनके खिलाफ मुकदमा पंजीकृत किया और सुमन आनंद, विपिन कुमार और रोहित बिहारी को गिरफ्तार कर लिया।

बनारस में अलर्ट जारी

गृहमंत्री अमित शाह के बयान पर विवाद बढ़ने के बाद वाराणसी में राजनीतिक तनाव और विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है। शुक्रवार को भीम आर्मी ने इस मुद्दे पर जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और ‘अमित शाह माफी मांगो’, ‘राहुल गांधी जिंदाबाद’ जैसे नारे लगाए।

प्रदर्शन में कांग्रेस के नेता भी शामिल हुए। कांग्रेस जिलाध्यक्ष राजेश्वर पटेल और महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे ने भी अपने कार्यकर्ताओं के साथ भीम आर्मी के साथ इस विरोध प्रदर्शन में भाग लिया। विरोध कर रहे लोगों ने पहले वरुणापुल के पास स्थित भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और फिर नारेबाजी करते हुए जुलूस के रूप में जिला मुख्यालय की ओर बढ़े।

कलेक्ट्रेट पहुंचने पर भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने कलेक्ट्रेट में घुसने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक लिया। कलेक्ट्रेट के बाहर भी अमित शाह के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की गई। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि “भीमराव अंबेडकर का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान।”

गृहमंत्री अमित शाह द्वारा बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर पर की गई टिप्पणी के बाद उत्तर प्रदेश में गुरुवार को विरोध प्रदर्शन हुए।

वाराणसी में समाजवादी छात्रसभा के कार्यकर्ताओं ने शाह का पुतला फूंकने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक लिया और पुतला छीन लिया। इसके बाद छात्रों के साथ धक्का-मुक्की भी हुई। पुलिस ने छात्रों को पकड़कर सिगरा थाने ले जाकर बंद कर दिया।

बनारस में गिरफ्तारी देते सपा कार्यकर्ता

इसके साथ ही मेरठ में समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कलेक्ट्रेट घेर लिया और विरोध जताया। वहीं, आजमगढ़ में सपा कार्यकर्ताओं ने शाह का पुतला फूंका और राष्ट्रपति से मांग की कि उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाए।

सहारनपुर में भीम आर्मी के जिला अध्यक्ष सनी गौतम ने चेतावनी दी कि यदि गृहमंत्री माफी नहीं मांगते तो पूरे देश में आंदोलन किया जाएगा। कानपुर में भी वकीलों ने शाह का पुतला जलाया और नारेबाजी की।

वाराणसी में समाजवादी छात्रसभा के कार्यकर्ताओं ने शाह का पुतला जलाने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने तुरंत हस्तक्षेप किया और पुतला छीन लिया। इस दौरान छात्रों और पुलिस के बीच जमकर धक्का-मुक्की हुई।

काशी विद्यापीठ के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष विमलेश यादव ने कहा कि “गृहमंत्री का बयान बाबा साहेब का अपमान करने वाला था और यह अक्षम्य है। बाबा साहेब ने ही इस देश का संविधान तैयार किया था और देश उनका सम्मान करता है। ऐसे में गृहमंत्री का बयान भाजपा और उनकी मानसिकता को साफ तौर पर दर्शाता है।”

गिरफ्तार तीनों छात्र

सपा कार्यकर्ता भी सड़कों पर उतर आए और अमित शाह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। भेलूपुर में स्थित अंबेडकर प्रतिमा के पास कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी की और संविधान निर्माता को फूलमाला पहनाकर उनकी आरती उतारी। सपा के राष्ट्रीय महासचिव सत्य प्रकाश सोनकर ने कहा, “अमित शाह ने संसद में बाबा साहेब का अपमान किया है।

उन्हें संसद में आकर माफी मांगनी चाहिए।” सपा के पूर्व पार्षद वरुण सिंह ने कहा कि “बाबा साहेब का नाम लेना कोई फैशन नहीं है, यह समानता, स्वतंत्रता और सामाजिक परिवर्तन की उस क्रांति का प्रतीक है, जिसे बाबा साहेब ने स्थापित किया।”

आजमगढ़ में भी विरोध

आजमगढ़ में भी सपा कार्यकर्ताओं ने गृहमंत्री अमित शाह का पुतला फूंकते हुए विरोध प्रदर्शन किया। कलेक्ट्रेट में जिले के अधिकारियों को राष्ट्रपति के नाम संबोधित ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें मांग की गई कि अमित शाह को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाए। छात्र सभा के नेता कुणाल मौर्य ने कहा, “शाह का बयान बहुत ही दुखद है और यह लोकतंत्र के प्रति उनकी नफरत को दिखाता है।”

सपा के जिला अध्यक्ष हवलदार यादव और पूर्व मंत्री चंद्रदेव राम करेली ने कहा कि “शाह सत्ता के मद में पागल हो गए हैं और उन्होंने लोकतंत्र के मंदिर में बैठकर बाबा साहेब का अपमान किया है। यह स्थिति बहुत ही दुखद है और हम राष्ट्रपति से उनकी बर्खास्तगी की मांग करते हैं।”

गाजीपुर में प्रदर्शन

गाजीपुर में जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रामराज सिंह गोंड के नेतृत्व में आज स्वर्ण जयंती चौक पर गृहमंत्री अमित शाह द्वारा संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर पर दिए गए विवादित बयान के खिलाफ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने अमित शाह के पोस्टर जलाए और उनके बयान को देश के संविधान और आम जनता का अपमान करार दिया।

गौरतलब है कि बुधवार को संसद में गृहमंत्री अमित शाह ने डॉ. भीमराव अंबेडकर के खिलाफ विवादित बयान दिया, जिसके बाद कांग्रेस ने इसका विरोध किया और इसे सिर्फ डॉ. अंबेडकर का ही नहीं, बल्कि इस देश के संविधान का भी अपमान बताया। कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि अमित शाह का बयान दलित, आदिवासी, पिछड़े और गरीब वर्ग के लोगों का अपमान है।

जिला अध्यक्ष रामराज सिंह गोंड ने कहा कि गृहमंत्री अमित शाह का बयान न केवल संविधान का अपमान है, बल्कि यह देश के दलित, आदिवासी, पिछड़े और आम जनमानस का भी अपमान है। उन्होंने गृहमंत्री से माफी की मांग की और कहा कि उन्हें इस कृत्य के लिए देश से माफी मांगनी चाहिए।

प्रदेश सचिव इंजीनियर जितेन्द्र पासवान ने कहा कि गृहमंत्री का यह बयान न केवल दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों का अपमान है, बल्कि यह हमारे भगवान का भी अपमान है। उन्होंने कहा कि इस बयान का खामियाजा आने वाले दिनों में भाजपा को भुगतना पड़ेगा।

जिला उपाध्यक्ष जगदीश मिश्रा ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि गृहमंत्री को इस बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए और नैतिकता के आधार पर इस्तीफा भी देना चाहिए। अनुसूचित प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष अनिल ने कहा कि हमारा देश डॉ. अंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान से चलता है, न कि मनुस्मृति से।

इस प्रदर्शन में जिला महासचिव राजबली पांडे, दयाशंकर पांडे, यूथ कांग्रेस जिलाध्यक्ष शशांक मिश्रा, पिछड़ा प्रकोष्ठ के नेता, महिला जिलाध्यक्ष स्वेता सिंह समेत कई कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। साथ ही ब्लॉक अध्यक्ष अमरेश देव पांडे, निगम मिश्रा, लल्लूराम पांडे, दीपू पांडे, शीतला पटेल, राहुल सिंह पटेल और भारतीय भाकपा माले के कलीम अंसारी ने भी इस प्रदर्शन में हिस्सा लिया।

मऊ में उग्र प्रदर्शन

वहीं, मऊ में समाजवादी पार्टी (सपा) छात्र सभा के कार्यकर्ताओं ने गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ जोरदार नारेबाजी और प्रदर्शन किया। इस दौरान सपाइयों ने अमित शाह का पुतला जलाने की कोशिश की, लेकिन पुलिस की तत्परता ने इसे नाकाम कर दिया। सपा के कार्यकर्ताओं ने जिलेभर में जगह-जगह प्रदर्शन करते हुए अमित शाह के बयान का विरोध किया।

बीते मंगलवार को राज्यसभा में संविधान पर चर्चा करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने डॉ. भीमराव अंबेडकर का जिक्र किया था, जिसके बाद उनका बयान विवादों में घिर गया। इसके विरोध में मऊ में सपा कार्यकर्ताओं ने विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शन किए और पुतला जलाने का प्रयास किया।

प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने स्थिति को बिगड़ते हुए देखा और लगभग 20 कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेकर थाने भेज दिया। सपा कार्यकर्ताओं ने सरकार विरोधी नारे लगाए और गृहमंत्री अमित शाह से इस्तीफा देने की मांग की।

सपा छात्र सभा के जिलाध्यक्ष सहित अन्य नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि अमित शाह ने ऐसा कृत्य फिर से किया, तो पार्टी और उसके कार्यकर्ता इसका विरोध जारी रखेंगे। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि अमित शाह ने डॉ. अंबेडकर का अपमान किया है, जो समाज में समरसता लाने के लिए संविधान निर्माता थे।

घटनाक्रम के बाद नगर कोतवाल अनिल कुमार सिंह ने मौके पर पहुंचकर प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया और स्थिति को शांत किया।

पश्चिम यूपी में सड़क पर उतरा विपक्ष

मेरठ में कांग्रेस, सपा, आम आदमी पार्टी (आप) और वकीलों ने एकजुट होकर गृहमंत्री अमित शाह के बयान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने कमिश्नरी चौराहे से लेकर कलेक्ट्रेट तक मार्च निकाला और गृहमंत्री से सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने की मांग की।

कलेक्ट्रेट पहुंचने पर विपक्षी दलों के नेताओं ने जोरदार नारेबाजी की और अमित शाह के बयान को संविधान और बाबा साहेब अंबेडकर का अपमान बताया। वकीलों ने भी इस प्रदर्शन में भाग लिया और कलेक्ट्रेट में गृहमंत्री के खिलाफ अपनी आवाज उठाई।

मेरठ में प्रदर्शन

सहारनपुर में भीम आर्मी के जय भीम संगठन के जिला अध्यक्ष सनी गौतम ने गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “गृहमंत्री को माफी मांगनी चाहिए, वरना आने वाले समय में हम अपनी ताकत का एहसास करा देंगे।

संविधान को लगातार दरकिनार किया जा रहा है और देश में संविधान के विपरीत काम किया जा रहा है। केंद्र और राज्य सरकार मुंह में दही जमाए बैठी हैं। हमें किसी और के भगवान की आवश्यकता नहीं है, हमारे भगवान तो डॉक्टर भीमराव अंबेडकर हैं।”

गौतम ने कहा कि अमित शाह का बयान न केवल संविधान का अपमान है, बल्कि यह देश के लाखों-करोड़ों दलितों और पिछड़े वर्गों के अधिकारों का हनन भी है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर गृहमंत्री माफी नहीं मांगते तो यह आंदोलन और भी तेज होगा और पूरे देश में फैल जाएगा।

इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने अमित शाह के खिलाफ नारेबाजी की और गृहमंत्री को अपनी बात सार्वजनिक रूप से रखने की चुनौती दी। साथ ही, उन्होंने संविधान और बाबा साहेब अंबेडकर के योगदान को याद करते हुए सरकार से एक सकारात्मक कदम उठाने की अपील की।

(आराधना पांडेय स्वतंत्र पत्रकार हैं)

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author