नई दिल्ली। सीबीआई ने शुक्रवार 2 फरवरी को पूर्व आईएएस और मानवाधिकार कार्यकर्ता हर्ष मंदर के घर और उनके एनजीओ की तलाशी ली। एजेंसी ने मंदर के एनजीओ के खिलाफ विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम के कथित उल्लंघन का मामला दर्ज किया है। जांच एजेंसी ने इस मामले में कई लोगों से पूछताछ भी की। इस बात की जानकारी सीबीआई अधिकारियों ने दी।
हर्ष मंदर यूपीए सरकार के दौरान सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के पूर्व सदस्य रह चुके हैं। उन्होंने एनजीओ अमन बिरादरी की स्थापना की है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एनजीओ पर बड़ी मात्रा में विदेशी फंडिंग लेने की शिकायत की है। जिसके बीद सीबीआई हरकत में आ गई और एनजीओ के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी।
ऐसा लगता है कि आगामी लोकसभा चुनाव से पहले देश के सभी विपक्षी नेताओं और विपक्ष से जुड़े लोगों के खिलाफ सरकार के इशारे पर ईडी और सीबीआई ने जंग छेड़ दी है।
इससे पहले 17 जनवरी को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर की बेटी यामिनी की एनजीओ सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च पर भी बड़ी कार्रवाई की थी। गृह मंत्रालय ने सीपीआर पर नियमों की अवहेलना करने और विदेशी फंडिंग लेने का आरोप लगाते हुए उसका फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (FCRA) रद्द कर दिया। यामिनी अय्यर के नेतृत्व में चलने वाली सीपीआर देश का एक मशहूर थिंक टैंक है।
वहीं जमीन घोटाले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी ने बुधवार 31 जनवरी को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी से पहले हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।
ईडी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के भी पीछे पड़ी हुई है। आबकारी घोटाला मामले में ईडी ने केजरीवाल को पूछताछ के लिए पांचवीं बार सम्मन भेजा है। लेकिन केजरीवाल इस बार भी ईडी के सामने पेश नहीं हुए। उनका कहना है कि ईडी की कार्रवाई राजनीति से प्रेरित है। पूछताछ तो सिर्फ बहाना है ईडी मुझे गिरफ्तार करना चाहती है ताकि मैं आगामी लोकसभा चुनाव में प्रचार ना कर सकूं।
(‘द टेलिग्राफ’ में प्रकाशित खबर पर आधारित।)
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