राम मंदिर निर्माण में सीएसआईआर और इसरो समेत तमाम वैज्ञानिक संस्थाएं भी लगायी गयीं

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नई दिल्ली। अब यही सुनना बाकी रह गया था। मंदिर उद्घाटन से एक दिन पहले इसकी भी खबर आ गयी। देश के विज्ञान मंत्री ने आधिकारिक तौर पर बताया है कि मंदिर के निर्माण में विज्ञान से जुड़ी तमाम बड़ी संस्थाओं की बेहद महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इसमें सीएसआईआर से लेकर सरकारी विभाग डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नालॉजी यानि डीएसटी ने बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है। विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह का कहना है कि इन सभी ने राम मंदिर निर्माण के विभिन्न पहलुओं में बेहद जरूरी योगदान दिया है। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने कभी उद्योग को देश का सबसे बड़ा मंदिर करार दिया था और विज्ञान तथा शोध पर सबसे ज्यादा जोर देने की बात कही थी। लेकिन मोदी सरकार ने मंदिर निर्माण को लगता है सबसे बड़ा उद्योग बना दिया है। और इसमें अब देश की महत्वपूर्ण वैज्ञानिक संस्थाओं को भी लगा दिया गया है।

यहां तक कि इसरो को भी नहीं बख्शा गया है। जितेंद्र की मानें तो उसको भी एक अहम जिम्मेदारी दी गयी थी जिस पर वह पूरी तरह से खरा उतरा है।

सूर्य तिलक की व्यवस्था

जितेंद्र सिंह ने बताया कि रुड़की के सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट यानि सीएसआईआर ने मुख्य मंदिर के ढांचागत डिजाइन को बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसमें सूर्य तिलक के डिजाइन को बनाने, मंदिर की नींव के निर्माण और मुख्य मंदिर के ढांचागत स्वास्थ्य की निगरानी जैसे प्रमुख पहलू शामिल हैं। उन्होंने बताया कि सूर्य तिलक एक ऐसी चीज है जिसमें सूर्य की किरणें एक खास दिन को मूर्ति के माथे पर पड़ेंगी। यहां यह राम के जन्मदिन रामनवमी के दिन हो सकता है। जो आमतौर पर मार्च-अप्रैल में पड़ता है।

इसके साथ ही बंगलुरू स्थित डीएसटी से जुड़े इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स ने सूर्य की किरणों को त्रिकोणीय बनाने में तकनीकी सहयोग दिया है। सूर्य तिलक के लिए मूर्ति की पोजीशन को भी तय करने में मदद पहुंचायी है। 

सीएसआईआर के एक दूसरे इंस्टीट्यूट ने सोमवार के समारोह के लिए कमल के फूल को खिलाने की व्यवस्था की है। उनका कहना है कि कमल इस सीजन में नहीं खिलता है। यह केवल जम्मू-कश्मीर और कुछ खास हिमालयी इलाकों में ही उगता है। और वह भी केवल बरसात के मौसम में। उन्होंने बताया कि पालमपुर स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायरसोर् टेक्नॉलाजी ने हाल में एक ऐसी स्वदेशी तकनीकी विकसित की है जिसमें कमल का फूल साल भर खिलेगा। बगैर किसी मौसम का इंतजार किए।

इसके साथ ही भूकंप से सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए हैदराबाद स्थित सीएसआईआर की नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट ने अपना अहम योगदान दिया है। इसने मंदिर के डिजाइन और उसे भूकंप रोधी बनाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि मुख्य मंदिर को बनाने में किसी तरह के सीमेंट, लोहा या फिर स्टील का इस्तेमाल नहीं किया गया है।  

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