प्रतापगढ़: दलित युवती के रेपिस्टों व हत्यारों के गिरफ्तारी की मांग, भाकपा-माले ने जारी की घटना की जांच रिपोर्ट

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लखनऊ। भाकपा-माले की राज्य इकाई ने प्रतापगढ़ जिले में रानीगंज थाना क्षेत्र के दुर्गागंज बाजार स्थित एक निजी अस्पताल में काम करने वाली दलित युवती (22 वर्ष) की ड्यूटी के दौरान गैंगरेप व हत्या की घटना की जांच के लिए गठित नौ सदस्यीय टीम की रिपोर्ट आज यहां जारी कर दी।

राज्य सचिव सुधाकर यादव ने जांच रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि योगी सरकार में अपराध चरम पर हैं। अपराधियों को मिल रहे संरक्षण के चलते महिलाओं व कमजोर वर्गों पर हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं। गरीबों की आवाज दबा देने, पुलिस द्वारा मामले को उलट देने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई न होने से जनाक्रोश बढ़ रहा है। न्याय की मांग के लिए प्रतिवाद करने पर जनता का दमन हो रहा है। यूपी पुलिस निरंकुश हो गई है। प्रदेश में अपराधी-दबंग-पुलिस गठजोड़ राज है। आम जनता बेहाल है। दलितों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं को खास निशाना बनाया जा रहा है। न्याय, मानवाधिकार, संविधान व लोकतंत्र की कोई पूछ नहीं बची है। 

भाकपा -माले की राज्य समिति के सदस्य व एक्टू राज्य सचिव अनिल वर्मा के नेतृत्व में जांच टीम ने प्रतापगढ़ में रानीगंज थाना के बांसी अधारगंज गांव स्थित मृतका के घर जाकर शोक संतप्त परिवार से भेंट की। मृतका की दिव्यांग मां, छोटी बेटी व परिजनों ने बताया कि उनकी 22 वर्षीय बेटी ‘मां मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल’ में चार साल से काम कर रही थी। उसके पिता की मौत लगभग 15 वर्ष पहले हो चुकी थी। बेटी गुरुवार (27 मार्च) की शाम साढ़े छह बजे साइकिल से ड्यूटी करने अस्पताल गई थी। 

जांच टीम को परिजनों ने बताया कुछ देर बाद अस्पताल से उसकी मां व चाचा के पास फोन आया कि आपकी बेटी का तबियत खराब है, आप अस्पताल आ जाइए। जब मां अस्पताल पहुंचीं, तो उनको अस्पताल के गेट के अंदर नहीं जाने दिया गया। कुछ देर बाद अस्पताल के संचालक ने कहा कि बेहतर इलाज के लिए प्रतापगढ़ ले जाना होगा। एम्बुलेंस पर मां को बैठने के लिए कहा गया। लेकिन एम्बुलेंस को प्रतापगढ़ न ले जाकर उनके घर पर ले जाया गया और बताया गया कि बेटी की मौत हो गई है। 

यह सुनते ही परिवार वालों को गुस्सा आ गया और उन्होंने लाश को एंबुलेंस से उतरने नहीं दिया। थोड़ी देर में पुलिस भी आ गई। पुलिस और परिजनों में तीखी बहस हुई। उस समय अस्पताल वालों ने कहा कि लड़की घर से ही जहर खाई हुई थी, जिसके चलते अस्पताल में उसकी मौत हुई। परिजनों के अनुसार यह मंनगढंत कहानी थी।घटना की खबर फैलते ही घर के आसपास के लोग जुट गए।

परिजनों ने जांच टीम को बताया कि मृत लड़की के गले पर चोट का निशान था। कुर्ती समेत नीचे के कपड़े फटे थे। उसके साथ गलत काम होने की आशंका जताई। पूरी रात घर पर लड़की का शव पड़ा रहा। पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद एफआईआर दर्ज करने की बात कही।

एफआईआर दर्ज न होने से परेशान पीड़ित परिवार व गांव के लोग सुबह शव के साथ अस्पताल गेट पर पहुंच गए और न्याय की मांग करने लगे। इस पर कई थानों की पुलिस आ गई। बिना बातचीत किये बर्बर तरीके से पुरुष पुलिस ने महिलाओं समेत गांव के लोगों को पीटा। यहां तक कि न्याय मांग रहे मृतका के परिवार के लोगों और उसकी बहन (12वी की छात्रा) को भी लाठियों से पीटा, जिसके कारण उसे गंभीर चोट आई।

दोषियों के खिलाफ कार्रवाई न किये जाने से ग्रामीण आक्रोशित हुए और उनका गुस्सा फूटा, जिससे कुछ पुलिस वालों को चोट आई। पुलिस ने लाठीचार्ज व दमन के बाद शव को कब्जे में ले लिया। परिवार की बिना सहमति के आनन-फानन में ही पुलिस ने घर के पास उसको दफना दिया। इसके बाद पुलिस ने 200 अज्ञात ग्रामीणों पर एफआईआर दर्ज कर दी, जो ऑनलाइन दिख भी रहा है। लेकिन पीड़ित परिवार के तरफ से दर्ज एफआईआर ऑनलाइन नहीं दिखाई जा रही है। 

जांच टीम को ग्रामीणों से बातचीत में पता चला कि अस्पताल के अंदर संदिग्ध गतिविधियों का संचालन होना परिलक्षित होता है। अभी तक तीन लोगों की गिरफ्तारी हुई है। गैंगरेप व मर्डर की घटना में कितने लोग शामिल हैं, यह निष्पक्ष जांच के बाद ही पता चल पाएगा।

जांच टीम ने बताया कि मृतका निहायत ही गरीब परिवार से थी। 15 साल पहले पति की मृत्यु के बाद मां विकलांग होकर भी दोनों बेटियों को पाल पोस रही थी और पढ़ा-लिखा कर उज्जवल भविष्य देना चाहती थी। बड़ी बेटी (मृतका) मेहनत मजदूरी करके खुद भी स्नातक से आगे नर्स की पढ़ाई करना चाहती थी और अपनी छोटी बहन को भी पढ़ाकर आगे बढ़ाना चाहती थी।

पीड़ित परिवार के पास सिर्फ दो बिस्वा जमीन है। मजदूरी करके अपना पेट पालते हैं। घर चलाने वाली बड़ी बेटी ही थी, जिसकी अब मौत हो चुकी है। 200 अज्ञात लोगों पर एफआईआर होने से परिवार के साथ-साथ गांव में भी दहशत का माहौल है। अभी तक बिसरा की रिपोर्ट भी नहीं आई है।

भाकपा-माले जांच टीम ने सभी दोषियों को गिरफ्तार कर कड़ी से कड़ी सजा देने, पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपया मुआवजा देने, एक सदस्य को सरकारी नौकरी, परिवार के लिए सरकारी आवास देने और ग्रामीणों पर दर्ज फर्जी मुकदमा वापस लेने की मांग की।

माले जांच टीम के अन्य सदस्यों में पार्टी के प्रयागराज प्रभारी व इंकलाबी नौजवान सभा (आरवाईए) के प्रदेश सचिव सुनील मौर्य, आइसा प्रदेश अध्यक्ष मनीष कुमार व भानु, मजदूर नेता देवानंद, उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन की नेता संगीता सिंह, प्रतापगढ़ से एडवोकेट मुकुंद राव वर्मा, ज्ञान प्रकाश व राम हरख शामिल थे।

इस बीच, आजमगढ़ के तरवां थाने में पुलिस की हिरासत में 20 वर्षीय दलित युवक की सोमवार (31 मार्च) को हुई मौत मामले में पार्टी ने एक टीम पीड़ित परिवार से मिलने के लिए भेजने का फैसला किया है।

(प्रेस विज्ञप्ति)

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