कोविड-19 : चुनौतियों से दरपेश सरकार को चार चीजें जो तत्काल करनी चाहिए

Estimated read time 1 min read

चीन में कोविड-19 की शुरुआत और फैलाव के कुछ दिनों बाद से ही यह साफ़ होता गया है कि इस महामारी से दुनिया की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। करीब तीन महीने के अनुभव के बाद यह भी साफ़ है कि अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाला असर दूरगामी होगा। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच काफी समय से जारी ट्रेड वार इस महामारी के साथ वायरस वार में तब्दील गया है। आपदा से निजात पाने के बाद दुनिया के अन्य प्रभावशाली देश भी इस ‘वार’ में शामिल होंगे। यानि महामारी के राजनीतिक असर भी दूरगामी होंगे और दुनिया का राजनीतिक नक्शा बदलेगा। भारत भी इस बदलाव से अछूता नहीं रहेगा।

लेकिन अभी भारत के सामने कोविड-19 के हमले से निपटने की चुनौती दरपेश है। विशेषज्ञों के कई तरह के अनुमान हैं। यह कहा जा रहा है कि मौजूदा हमले के बाद महामारी की दूसरी लहर भी आ सकती है। महामारी का असर तीन साल तक बना रह सकता है। मौजूदा हमले में सामाजिक संक्रमण (सोशल ट्रांस्मिसन) की स्थिति नहीं आती है तो काफी बचाव हो जाएगा। लेकिन वायरस का सामाजिक संक्रमण होता है तो हालत भयावह होंगे। विशाल आबादी, नितांत नाकाफी स्वास्थ्य सेवाएं, अस्वच्छ वातावरण, व्यापक पैमाने पर फैली बेरोजगारी, जर्जर अर्थव्यवस्था जैसे कारकों के चलते बड़े पैमाने पर मौतें हो सकती हैं। ज़ाहिर है, गरीब ज्यादा मरेंगे, लेकिन यूरोप के उदाहरण से स्पष्ट है अमीर भी बड़ी संख्या में महामारी का शिकार होंगे। लिहाज़ा, भारत में ठोस फ़ौरी और दूरगामी उपायों की जरूरत है।

इस सिलसिले में चार सुझाव हैं :

1. सरकारी क्षेत्र के स्वास्थ्य सेवा नेटवर्क को पूर्णत: प्रभावी बनाने के साथ प्राइवेट क्षेत्र के स्वास्थ्य सेवा नेटवर्क को सरकार एक अध्यादेश के जरिये बिना देरी किये अधिग्रहीत कर ले।

2. सरकार एक कोविड-19 कोश की स्थापना करे। सरकारी और निजी क्षेत्र के सभी स्थायी कर्मचारी, सभी विधायक और सांसद फिलहाल एक महीने का वेतन कोविड-19 कोश में दें। कारपोरेट घरानों के मालिक, अनिवासी भारतीय और सेलिब्रेटी अपनी इच्छानुसार इस कोश में धन-राशि दें।     

3. डाक्टरों ने कोविड-19 के विरुद्ध शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पोषक आहार की सलाह दी है। इस सलाह के मद्देनज़र केंद्र और राज्य सरकारें असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों के लिए परिवार को इकाई मान कर उचित धन-राशि और राशन आवंटित करें।               

4. डाक्टरों, नर्सों, स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों की मदद के लिए खाते-पीते परिवारों के एक-एक युवक-युवती वालंटियर के रूप में सेवा देने के लिए अपने नाम सरकार के पास दर्ज कराएं।

(प्रेम सिंह दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में अध्यापन का काम करते हैं।)

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author