स्वतंत्रता आंदोलन की विरासतों को बर्बाद कर रही है सरकार: श्याम बहादुर नम्र

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वाराणसी। न्याय के दीप जलाएं-100 दिनी सत्याग्रह

गांधी विरासत को बचाने के लिए सत्याग्रह का कल 48 वां दिन था। ज्ञात हो कि पिछले वर्ष जुलाई में वाराणसी एवं रेलवे प्रशासन ने मिलकर सर्व सेवा संघ परिसर को अवैध कब्जा बताकर बुलडोज कर दिया था।

वास्तविकता यह है कि सर्व सेवा संघ ने 1960, 1961 व 1970 में यह जमीन उत्तर रेलवे से खरीदी थी। यह खरीदगी समुचित प्रक्रिया का पालन करते हुए रकम चुकता कर हुआ था।

वाराणसी प्रशासन और रेलवे ने न केवल इसे अवैध कब्जा बताया बल्कि यह भी आरोप लगाया कि इस भूखंड से संबंधित सेल डीड कूटरचित एवं फर्जी है।

इस प्रकार का छिछला आरोप लगाने वालों को पता होना चाहिए कि इसके हस्तांतरण में आचार्य विनोबा भावे की प्रेरणा, पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की स्वीकृति, राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की तकनीति उपस्थिति तथा रेल मंत्री बाबू जगजीवन राम का अनुमोदन प्राप्त था। तो क्या ये सभी कूटरचना के हिस्सेदार हैं?

स्वतंत्रता आंदोलन के पुरखों द्वारा स्थापित इस विरासत के पुनर्निर्माण के लिए 11 सितंबर (विनोबा जयंती) से “न्याय के दीप जलाएं” नाम से 100 दिवसीय सत्याग्रह राजघाट परिसर के किनारे सड़क पर चल रहा है।

इस सत्याग्रह में पूरे देश के सर्वोदय सेवक, सामाजिक कार्यकर्ता व नागरिकगण शामिल हो रहे हैं। मध्य प्रदेश को 21अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक सत्याग्रह संचालन की जिम्मेदारी मिली है। इस जिम्मेदारी के आठवें दिन यानी सत्याग्रह के 48 वें दिन मध्यप्रदेश के उमरिया जिले के आकाशकोट 26 वर्षीय युवा साथी हिरेस सिंह आज उपवास पर बैठे हैं।

आकाशकोट के 25 गांवो को केंद्र कर ग्राम स्वराज का अभियान ठाकुरदास बंग, अमरनाथ भाई और श्याम बहादुर नम्र के नेतृत्व में चला था, जिसका असर आज भी कायम है। हिरेस का 2018 में एक साइकिल यात्रा में भागीदारी के साथ राष्ट्रीय युवा संगठन से जुड़ाव हुआ।

वे तब से गांधी, विनोबा और जयप्रकाश नारायण के विचारों से प्रेरित होकर सामाजिक जीवन में सक्रिय हैं। उनका मानना है कि जो सरकार आज स्वतंत्रता आंदोलन के विरासतों को बर्बाद कर रही है, उनकी खुद की कोई विरासत ही नहीं है बल्कि दागदार विरासत है। इसी कुंठा में वे ऐसा कर रहे हैं, लेकिन इससे इतिहास नहीं मिटता है।

बाहरी कर्म मन का दर्पण होता है- विनोबा

सत्याग्रह स्थल पर सुबह सर्वधर्म प्रार्थना के पश्चात शक्ति कुमार द्वारा गीता प्रवचन का पाठ होता है। गीता प्रवचन के पांचवे अध्याय में विनोबा जी योग और संन्यास की व्याख्या करते हैं। वे कहते हैं कि बाहरी कर्म मन का दर्पण होता है। संसार समुद्र की तरह भयानक है, जिसमें सब जगह पानी-ही-पानी भरा हुआ है।

घर-बार छोड़कर सार्वजनिक सेवा में लगे लोगों के मन में भी संसार ही बसा रहता है, उसी प्रकार जैसे गुफा में जाकर बैठ गए व्यक्ति के लिए उसकी लंगोटी ही उसका सब कुछ हो जाती है। इसी तरह यह संसार हमारे पीछे पड़ा है, जिससे स्वधर्म के आचरण की सीमा में रहते हुए भी संसार से हमारा नाता नहीं टूटता।

मुख्य बात यह है कि संसार में रहते हुए भी अपने कर्म को इस ढंग से किया जाए कि कथनी और करनी में अंतर न रहे। तभी हम अपने कार्य को उचित रीति से कर सकते हैं।

आज के सत्याग्रह में हिरेस सिंह उपवासकर्ता के अलावा अलख भाई, शक्ति कुमार,मध्य प्रदेश के महेश अजनबी, जागृति राही, अरविंद अंजुम, सिस्टर फ्लोरिन,नंदलाल मास्टर,तारकेश्वर सिंह,सुरेंद्र नारायण सिंह,रामधीरज,पूनम,पूजा,वंदना,चारु, कैलाश सिंह, के पी किशन,सुदामा चौबे, आलोक सहाय,प्रजा नाथ शर्मा,राकेश चंद्र शर्मा,देवेन्द्र सिंह आदि शामिल हुए।

(सर्व सेवा संघ द्वारा जारी।)

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