नई दिल्ली। पालघर मॉब लिंचिंग केस में गिरफ्तार किए गए 101 आरोपियों की सूची जारी कर दी गयी है। सूबे के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने बिल्कुल साफ-साफ कहा है कि इसमें एक भी मुस्लिम नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने सभी लोगों से एक बार फिर सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने की अपील की है।
गृहमंत्री अनिल देशमुख ने बुधवार को कहा कि “पालघर मॉब लिंचिंग बेहद घृणित घटना है जो सोशल मीडिया में बच्चे के अपहरण और चोरों के इलाक़े में घूमने की अफ़वाह के चलते घटित हुई। एक उच्चस्तरीय जाँच चल रही है और इस बीच लोगों से अपील की जा रही है कि वो किसी अफ़वाह के शिकार न बनें और तथ्यों की विश्वसनीय सूत्रों से पहले जाँच लें”।
ग़ौरतलब है कि पालघर ज़िले के गड़चिंचले गाँव में एक ड्राइवर समेत दो साधुओं को लोगों ने पीट-पीट कर मार डाला था। और उसके बाद पूरे मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश शुरू हो गयी थी। यह घटना 16 अप्रैल की रात में घटी थी।
देशमुख ने कहा कि “वीडियो में ये आवाज़ सुनी जा सकती है कि ‘ओए बस’ और उसके बाद कुछ लोगों ने इसे ‘शोएब बस’ बता कर आनलाइन फैला दिया। एक ऐसे समय में जब राज्य की पूरी मशीनरी कोरोना वायरस से लड़ाई में व्यस्त है तब कुछ लोग इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं।”
तीनों महाराष्ट्र की सीमा पार कर गुजरात जाना चाहते थे। लेकिन उनको दादरा नगर हवेली के केंद्र शासित प्रदेश में आगे जाने से रोक दिया गया। और फिर जब वे मेन रोड से हटकर अंदर की सड़क से जाने की कोशिश किए तो रास्ते में गाँव वालों ने उन्हें रोक दिया। इसके पहले गाँव में अपहरण गैंग और चोरों के घूमने की अफ़वाह फैली हुई थी। लिहाज़ा सैकड़ों गाँव वालों ने उन्हें उस गैंग का सदस्य समझकर पिटाई शुरू कर दी। लोगों ने इतना पीटा की उनकी जान चली गयी।
बीजेपी के शीर्ष नेताओं और ख़ासकर प्रवक्ता संबित पात्रा ने इस मसले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की। पहले इसे मुसलमानों से जोड़ा गया। जब यह बात तथ्यात्मक तौर पर सही नहीं निकली तब इलाक़े को सीपीएम का आधार बताकर कम्युनिस्टों से जोड़ने की कोशिश की गयी। और अब जबकि यह भी झूठ निकला तब संतों की हत्या को जघन्य अपराध बताकर सरकार के ख़िलाफ़ ग़ुस्सा उतारा जा रहा है।
(कुछ इनपुट ‘द हिंदू’ से लिए गए हैं।)
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