सांप्रदायिकता के परनाले में मेरठ के एक अस्पताल ने भी लगायी डुबकी, कहा- नहीं करेंगे मुस्लिम मरीज़ों का इलाज

Estimated read time 1 min read

नई दिल्ली। सांप्रदायिक घृणा अब सड़ांध बनकर लोगों के दिमाग़ों में बजबजाने लगी है। यह मर्ज अभी तक आम लोगों तक सीमित थी। लेकिन अब अस्पताल भी इसकी चपेट में आ गए हैं। कैंसर के इलाज का दावा करने वाले मेरठ के वैलेंटिस अस्पताल ने विज्ञापन जारी कर इस बात का ऐलान किया है कि वह कोविद 19 के मामले में मुस्लिम बहुल इलाक़े से जुड़े किसी मुस्लिम मरीज़ का इलाज नहीं करेगा। अस्पताल के विज्ञापन को पुलिस के सज्ञान में लाए जाने के बाद उसने मामले की जाँच शुरू कर दी है।

अस्पताल कैंसर के मरीज़ों के इलाज के लिए बनाया गया है। लेकिन इसका मुसलमानों के इलाज न करने की घोषणा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रहने वाले मुसलमानों के लिए न केवल अपमानजनक है बल्कि किसी अस्पताल का धर्म के नाम पर इलाज करने या न करने का फ़ैसला संविधान का खुला उल्लंघन भी है। इस पर अस्पताल के ख़िलाफ़ दंडात्मक कार्रवाई बनती है।

घटना के प्रकाश में आने के बाद मेरठ पुलिस ने इंचौली पुलिस स्टेशन के प्रभारी को मामले की जाँच का आदेश दिया है। इस संबंध में मेरठ पुलिस की तरफ़ से एक ट्वीट किया गया है जिसमें कहा गया है कि इस मामले में कार्यवाही के लिए इंचौली थाने के प्रभारी को निर्देशित किया गया है।

मुस्लिम समुदाय के बहिष्कार की घोषणा से पहले अपने विज्ञापन में अस्पताल ने निज़ामुद्दीन में आयोजित हुए तबलीगी मरकज़ के कार्यक्रम का ज़िक्र किया है। विज्ञापन में कहा गया है कि ऐसे मुसलमानों को जो इस अस्पताल में अपना इलाज कराना चाहते हैं उन्हें कोविद 19 की निगेटिव सर्टिफिकेट लानी होगी।

इसके साथ ही उसमें आगे कहा गया है कि किसी मेडिकल इमरजेंसी में मेडिकल सहायता मुहैया कराई जाएगी। लेकिन उसके साथ ही एडवांस में कोरोना इंफ़ेक्शन की जाँच के लिए मरीज़ को 4500 रुपये जमा करने होंगे।

इसके साथ ही अस्पताल के प्रशासन ने यह भी आरोप लगाया है कि बहुत सारे मुस्लिम मरीज़ सहयोग नहीं कर रहे हैं और स्टाफ़ के साथ बदतमीज़ी से पेश आ रहे हैं। हालाँकि इसका कोई ठोस सबूत उसने नहीं दिया।

इसके साथ ही विज्ञापन में हिंदू और जैन परिवारों से पीएम-केयर्स में ज़्यादा से ज्यादा दान देने की अपील की गयी है।

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author