नई दिल्ली। सड़क हादसों का शिकार हो रहे ऐप आधारित कर्मचारियों के लिए मुआवजे की मांग को लेकर ऐप कर्मचारी एकता यूनियन (ऐक्टू) ने जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया। इंस्टामार्ट-Porter-Ola-Uber-Rapido इत्यादि में दिल्ली भर में लाखों की संख्या में कर्मचारी कार्यरत हैं।
ऐप आधारित कर्मचारी इन कंपनियों के हाथों भीषण शोषण का शिकार हैं। प्रति ऑर्डर रेट और टारगेट इंसेंटिव के हिसाब से पेमेंट करने वाली ये कंपनियां, ऐप के पीछे छुपकर, कर्मचारियों का भयंकर शोषण कर रही हैं।
मनमाने तरीके से साल दर साल, महीने दर महीने रेट कट कर देती हैं। कम से कम समय में डिलीवरी का वादा कर करोड़ों का मुनाफा कमा रहीं हैं।
इतना ही नहीं, ऐप कर्मचारी जब इस अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाते हैं, तो मैनेजमेंट उनको खुलेआम धमकी देता है। Swiggy Instamart और Blinkit जैसी कंपनियां तो अपने गोदामों पर बाउंसर बुलाकर ऐप कर्मचारियों को डराती हैं और मार पीट भी करती हैं।
ऐप कर्मचारी एकता यूनियन (ऐक्टू) लगातार इन सभी शोषणकारी प्रथाओं का विरोध कर रही है।
ऐप कंपनियों की सेवाएं निष्पादित करने वाले ऐप कर्मचारियों के ऊपर प्रतिदिन बढ़ते दबाव के कारण, वह आए दिन सड़क दुर्घटनाओं का शिकार होते हैं। सड़क दुर्घटनाओं में घायल हो जाने पर कंपनी की तरफ से कोई मुआवजा नहीं दिया जाता है।
जैसे ही कोई ऐप कर्मचारी अपने सीनियर को सूचित करता है कि वह काम करते वक्त घायल हुआ है, कंपनी तुरंत दूसरे कर्मचारी को ऑर्डर दे देती है।
सूचित करने के बावजूद कंपनी घायल ऐप कर्मचारी की किसी भी प्रकार की जरूरत में मदद नहीं करती है। सड़क दुर्घटनाओं का शिकार होने वाले ऐप कर्मचारी की जब मौत हो जाती है, तो उसके परिवार को कंपनी किसी तरह का मुआवजा नहीं देती है।
ऐप कर्मचारी एकता यूनियन (ऐक्टू) ने सड़क हादसों का शिकार हो रहे ऐप कर्मचारियों के लिए मुआवजे की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। ऐप कंपनियों द्वारा ऐप कर्मचारियों के श्रम अधिकारों के हनन पर रोक लगाने के लिए ऐप कर्मचारी एकता यूनियन (ऐक्टू) ने केंद्रीय श्रम मंत्री को निम्न मांगों के साथ ज्ञापन दिया।
1. सरकार ऐप आधारित कंपनियों में काम करनेवालों के लिए कल्याणकारी कानून पास करे और सभी को सामाजिक सुरक्षा और न्यूनतम वेतन की गारंटी हो।
2. ऐप आधारित कंपनियों में काम करनेवाले लोगों को कंपनियों द्वारा कर्मचारी तक नहीं माना जाता, जबकि ये सभी 12–16 घंटे काम करते हैं। केंद्र व राज्य सरकार इस सम्बन्ध में तुरंत क़ानून बनाये और सभी को कर्मचारी का दर्जा मिले।
3. सभी ऐप-कर्मियों को 8 घंटे काम करने के उपरान्त कम से कम 26,000 रुपये प्रतिमाह आमदनी की गारंटी हो।
4. कर्मचारियों को कम से कम 20% बोनस का भुगतान किया जाए।
5. सभी कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराया जाए। पी.एफ. और ई. एस. आई. की गारंटी हो। पेट्रोल और CNG के बढ़ते दामों को देखते हुए अलग से भत्ता दिया जाए।
6. काम के दौरान किसी दुर्घटना में घायल होने की स्थिति में 50 लाख रुपए व मृत्यु की स्थिति में आश्रित को 1 करोड़ रुपए का मुआवजा दिया जाए।
7. ऐप-कंपनियों द्वारा की जा रही अवैध छटनी पर तुरंत रोक लगे। केंद्र सरकार इस संबंध में जरूरी निर्देश जारी करे।
8. मजदूर विरोधी चारों श्रम कोड कानून वापस लिए जाएं।
(प्रेस विज्ञप्ति।)
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