केंद्र और गैर भाजपा शासित राज्यों के बीच शह और मात का खेल चल रहा है। केंद्र डाल-डाल है तो राज्य पात-पात। इधर रिपब्लिक टीवी और अर्णब गोस्वामी को टीआरपी स्कैम में महाराष्ट्र पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए एक नमालूम सी विज्ञापन कंपनी के प्रमोटर की शिकायत पर लखनऊ के हजरतगंज पुलिस स्टेशन में टीआरपी में हेर फेर से संबंधित मामला दर्ज करवाया गया और आनन-फानन में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सीबीआई को सौंप दिया गया और सीबीआई ने मंगलवार को एफआईआर दर्ज कर लिया, उधर उद्धव ठाकरे सरकार ने बुधवार को महाराष्ट्र में किसी भी मामले में सीबीआई जांच पर रोक लगा दी। सरकार ने केंद्रीय जांच एजेंसी को दी गई सहमति वापस ले ली है।
उद्धव ठाकरे सरकार ने केंद्रीय जांच एजेंसी को दी गई सहमति वापस ले ली है। अब सीबीआई को राज्य में किसी भी मामले की जांच के लिए पहले महाराष्ट्र सरकार से अनुमति लेनी होगी। इससे पहले राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल जैसे गैर बीजेपी शासित राज्य ऐसा निर्णय ले चुके हैं।
अधिकारियों का कहना है कि महाराष्ट्र सरकार का ये निर्णय सुशांत सिंह राजपूत केस के लिए प्रभावी नहीं होगा। इसका कारण ये है कि सुशांत मामले में जांच उच्चतम न्यायालय के आदेश से की जा रही है। इस मामले में सीबीआई को राज्य सरकार की अनुमति की जरूरत नहीं है। दरअसल बुधवार को महाराष्ट्र सरकार का ये निर्णय यूपी पुलिस द्वारा टीआरपी स्कैम केस में एफआईआर दर्ज किए जाने के एक दिन बाद लिया गया है। यूपी सरकार ने इस केस को सीबीआई को हैंडओवर कर दिया है।
महाराष्ट्र सरकार ने इसे टीआरपी स्कैम जांच के बीच में सीबीआई के दखल के तौर पर देखा है। महाराष्ट्र के सत्ताधारी गठबंधन ने सीबीआई द्वारा केस दर्ज करने को रिपब्लिक टीवी के खिलाफ जांच को कमजोर करने वाला बताया है। गौरतलब है कि इस महीने की शुरुआत में टीआरपी स्कैम को लेकर रिपब्लिक टीवी के खिलाफ जांच शुरू होने के बाद काफी विवाद हुआ है। मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक टीवी का नाम उन तीन चैनलों में रखा है जो टीआरपी घोटाले में शामिल थे।
टीआरपी का यह कथित घोटाला तब सामने आया था जब रेटिंग एजेंसी ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कुछ चैनल विज्ञापनदाताओं को लुभाने के लिए टीआरपी नंबरों में धांधली कर रहे हैं। यह आरोप है कि कुछ परिवार जिनके घरों में दर्शकों के डेटा एकत्र करने के लिए मीटर लगाए गए थे, उन्हें तीन चैनलों द्वारा रिश्वत दी जा रही थी। मुंबई के पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके रिपब्लिक टीवी और दो अन्य पर टीआरपी में हेरफेर करने का आरोप लगाया था। मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने मंगलवार को दो और लोगों को टीआरपी मामले में गिरफ्तार किया था, जिसको मिलाकर पूरे मामले में अब तक आठ लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआई) ने मंगलवार को टेलीविजन रेटिंग पॉइंट (टीआरपी) में कथित गड़बड़ी को लेकर एफआईआर दर्ज करते हुए जांच शुरू की। केंद्रीय जांच एजेंसी ने उत्तर प्रदेश सरकार की सिफारिश पर लखनऊ पुलिस से जांच को अपने हाथ मे लिया। कमल शर्मा नाम के शख्स की शिकायत पर लखनऊ के हजरतगंज पुलिस स्टेशन में दर्ज केस को सीबीआई को ट्रांसफर किया गया।एफआईआर अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज की गई है। आरोपों में कहा गया है कि जाली साधनों के लिए टीआरपी में छेड़छाड़ की गई। कथित स्कैम को इसी महीने मुंबई पुलिस सामने लाई, जिसने पहला केस दर्ज किया। रिपब्लिक टीवी उन चार चैनलों में से एक है जिनके खिलाफ जांच की जा रही है।
रिपब्लिक टीवी के स्वामित्व वाली कंपनी एआरजी आउटलायर मीडिया प्राइवेट लिमिटेड और इसके एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी पिछले सप्ताह बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंचे और टीआरपी स्कैम में चैनल के खिलाफ मुंबई पुलिस की ओर से दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की। चैनल ने उच्चतम न्यायालय की ओर से याचिका पर सुनवाई से इनकार के बाद 16 अक्तूबर को हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने न तो अर्णब की गिरफ़्तारी पर अंतरिम रोक लगायी न ही सीबीआई जांच की बात ही मानी। इसके अलावा जिस तरह अर्णब की कम्पनी के एक अधिकारी से लम्बी पूछताछ की थी उससे रिपब्लिक टीवी को अंदाजा हो गया कि मामला गम्भीर है, जिसमें गिरफ़्तारी तक सम्भव है।
मुंबई क्राइम ब्रांच ने आईपीसी की विभिन्न धाराओं में धोखाधड़ी, विश्वास का आपराधिक उल्लंघन और आपराधिक साजिश जैसे आरोपों के तहत रिपब्लिक टीवी और इसके वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया। पुलिस ने दो क्षेत्रीय चैनलों के खिलाफ भी केस दर्ज किया है। 19 अक्तूबर को बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई पुलिस से कहा कि अगर इस पूरे मामले में अर्णब गोस्वामी आरोपी हैं या फिर बनाए जाते हैं तो पुलिस उन्हें पूछताछ के लिए समन कर सकती है। इस पर अर्णब गोस्वामी के वकील ने कहा कि वो पूरा सहयोग करेंगे। जिसके बाद अब पुलिस अर्णब को पूछताछ के लिए बुला सकती है।
इस मामले को लेकर रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। भले ही अर्णब खुद को बेकसूर बताने का दावा कर रहे हों, लेकिन हर बार उनके दावों को खारिज किया जा रहा है। हाल ही में खुद बार्क ने एक बयान जारी कर कहा था कि उसने इस मामले को लेकर कुछ भी नहीं कहा है और रिपब्लिक टीवी ने उनके बयान को गलत तरीके से दिखाया। बार्क ने इस पूरे मामले में रिपब्लिक टीवी को फटकार लगाई थी, क्योंकि वो बार्क के नाम से पिछले कई दिनों से अर्णब खुद को क्लीन चिट दे रहे थे।
(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)
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