सुल्ली डील (Sulli deal) ऐप मामले में दिल्ली पुलिस ने 6 महीने बाद पहली गिरफ्तारी की है। दिल्ली पुलिस ने आरोपी को मध्यप्रदेश के इंदौर से गिरफ्तार किया है। एमपी पुलिस के अनुसार, 25 साल का आरोपी ओंकारेश्वर ठाकुर ही sulli deal का मास्टमाइंड है। BCA छात्र ओंकारेश्वर ठाकुर ने पिछले साल जुलाई में Sulli deal तैयार किया था। इसमें मुस्लिम महिलाओं को टारगेट किया जा रहा था।
इससे पहले बुल्ली बाई ऐप मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (IFSO) के DCP केपीएस मल्होत्रा ने बताया कि, Sulli Deals बनाने वाला मास्टरमाइंड ओंकारेश्वर ठाकुर को पुलिस ने इंदौर से गिरफ़्तार किया। यह मुस्लिम महिलाओं को ट्रोल करने के लिए ट्विटर पर बनाए गए ट्राड-ग्रुप का सदस्य था। पुलिस ने बताया कि आने वाले दिनों में इस केस में और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं। ओंकारेश्वर ठाकुर ने पूछताछ में खुलासा किया है कि सुल्ली डील्स ऐप मामले में उसके अलावा दूसरे लोग भी शामिल थे।
बता दें कि बुल्ली बाई ऐप बनाने वाला मुख्य आरोपी नीरज बिश्नोई 7 दिन के लिए स्पेशल सेल की IFSO यूनिट की कस्टडी में है। पुलिस ने आरोपी से पूछताछ के आधार पर सुल्ली डील मामले में इंदौर से ओंकारेश्वर ठाकुर को गिरफ्तार किया है। जानकारी के मुताबिक अब उससे भी पूछताछ की जा रही है।
दिल्ली पुलिस ने लोकप्रिय प्लेटफॉर्म गिटहब पर बने सुल्ली डील्स मोबाइल एप्लिकेशन के संबंध में राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर प्राप्त एक शिकायत पर कार्रवाई करते हुए, साइबर क्राइम यूनिट ने बीते 7 जुलाई को IPC की धारा 354-A के तहत मामला दर्ज किया था। दरअसल इस ऐप को बनाने वाले अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स से अवैध रूप से मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें चुराकर उसकी “नीलामी” करते हैं।
इससे पहले बुल्ली बाई ऐप मामले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की IFSO टीम ने 6 जनवरी को असम के नीरज बिश्नोई (20) को गिरफ्तार किया है, वह असम के जोरहाट के दिगंबर इलाके का रहने वाला है और वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, भोपाल के बीटेक का छात्र है।
जबकि मुंबई पुलिस की साइबर सेल ने उत्तराखंड से श्वेता सिंह (19) और बेंगलुरु से इंजीनियरिंग छात्र विशाल कुमार झा (21) को गिरफ्तार किया था। साथ ही 21 साल के मयंक रावत को 5 जनवरी तड़के गिरफ्तार किया था।
बुल्ली बाई ऐप मामले में 2 जनवरी को मामला दर्ज़ हुआ। 31 दिसंबर को यह ऐप डेवलप किया गया था।
(जनचौक ब्यूरो की रिपोर्ट।)
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