ग्राउंड रिपोर्टः बनारस के महेश पट्टी गांव में किसान मुन्नीलाल मौर्य के हत्यारों के सिर पर मिर्जामुराद थाना पुलिस का हाथ !

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महेश पट्टी,वाराणसी। उत्तर प्रदेश के बनारस जिला मुख्यालय से क़रीब 19 किमी दूर बेनीपुर, महेश पट्टी गांव में रविवार, 23 जून 2024 को दोपहर में प्रवेश करने वाले सभी रास्तों पर पुलिस और नेताओं की तमाम गाड़ियां खड़ी थीं। पीएसी के जवान इतने मुस्तैद थे कि ‘परिंदा भी पर नहीं मार सकता’ था। यह वो गांव है जहां 12 जून 2024 को जमीन के एक छोटे से टुकड़े पर जबरिया कब्जा करने के लिए हथियारबंद बदमाशों ने 60 वर्षीय किसान मुन्नीलाल मौर्य को मौत के घाट उतार दिया और छह अन्य को गंभीर रूप से घायल कर दिया।

महेश पट्टी में मुंह में गमछा बांधे, हथियारों से लैस बदमाश मुन्नीलाल मौर्य और उनके पड़ोसियों के घर में घुसे और हमला करने के बाद फरार हो गए। यह सनसनीखेज वारदात पुलिस के सामने हुई और खाकी वर्दी पहने जवान तमाशबीन बने रहे। मिर्जामुराद थाना पुलिस ने पीड़ित पक्ष की रिपोर्ट दर्ज करने के बजाय पहले हमलावरों की रिपोर्ट फर्जी दर्ज की और रोजनामचे पर कई ऐसे लोगों का नाम दर्ज कर लिया, जिनकी कई साल पहले मौत हो चुकी है। मुन्नीलाल मौर्य की दिनदहाड़े हुई हत्या के बाद महेश पट्टी में जबर्दस्त तनाव है और मौर्य समुदाय के लोग बेहद गुस्से में हैं।

महेश पट्टी गांव में प्रशासन ने फिलहाल स्थायी रूप से पीएसी की एक टुकड़ी तैनात कर रखी है। एक पेड़ के नीचे चारपाई पर आराम फरमा रहे पुलिसकर्मी हमें देखकर उठकर खड़े हो गए। यह सुनिश्चित करने के बाद कि हम मीडियाकर्मी हैं, उन्होंने पड़ताल करने की अनुमति दी। गांव का हाल वैसा ही था जैसा कि इतने बड़े हादसे के बाद होता है। हर तरफ़ सन्नाटा और शोक पसरा था। पुलिस और प्रशासन की एकतरफा कार्रवाई से नाराज इस गांव के लोगों ने बनारस के जिला मुख्यालय स्थित शास्त्री घाट पर धरना शुरू कर दिया है।

मुन्नीलाल मौर्य की तस्वीर

महेश पट्टी की मौर्य बस्ती में एक छोटी सी कनात में मेज पर दिन-दहाड़े मारे गए मुन्नीलाल मौर्य की बड़ी सी तस्वीर रखी थी और उसके बगल में बुद्ध की मूर्ति। श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एक बर्तन में फूल भी रखे गए थे। आगंतुकों को बैठने के लिए कुछ प्लास्टिक की कुर्सियां और चारपाई बिछाया गया था। आमतौर पर गांव शांत था, अगर शोर था तो पारवलूम का, जिनपर बनारसी साड़ियों की बुनाई हो रही थी। महेश पट्टी के कई बुज़ुर्ग और कुछ युवक कनात में गुमसुम बैठे थे। साथ ही वो लोग भी जिनके परिवार के लोग इस संघर्ष में बुरी तरह घायल हुए हैं।

हमलावरों ने खेला नंगा नाच

महेश पट्टी के लोगों का कहना था कि यहां बहुत ज़्यादा शोर-गुल वैसे भी नहीं रहता। इस गांव में ज़्यादातर मौर्य समुदाय के लोग रहते हैं, जो खेती, बुनकरी और मज़दूरी में व्यस्त रहते हैं। इस गांव में ब्राह्मण समुदाय के चार परिवार रहते हैं, जिनका पुलिस और सत्ता के गलियारों में काफी रसूख माना जाता है। हम उस ज़मीन पर पहुंचे जहां 12 जून 2024 को बाहर से बुलाए गए हमलावरों के साथ मिलकर गोविंदा दुबे और राजाराम दुबे ने मौर्य बस्ती में घुसकर कहर बरपा दिया था।

मुख्य अभियुक्त राजाराम दुबे के साथ करीब दर्जन नकाबपोश हमलावरों ने जमकर नंगा नाच किया। इसके बावजूद अभी ज्यादातर अभियुक्त पुलिस की पहुंच से दूर हैं। मुन्नीलाल मौर्य का परिवार गुजरात के सूरत में रहता है। इनके तीन बेटे, कमलेश, शैलेश और नीलेश हैं। घटना के समय कमलेश अपने पिता के साथ मकान बनवाने के लिए सूरत से यहां आए थे। महेश पट्टी गांव में इनकी गिनती संपन्न परिवारों में होती है।

हमारी मुलाकात ग्रामीण रामयश मौर्य से हुई तो उन्होंने जनचौक से कहा, “दबंग हमवालरों ने करीब तीन साल पहले हमारे मकान और जमीन पर भी कब्जा कर लिया था। हम पुलिस थाना और अफसरों की देहरी पर दौड़ते रहे, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। इस बार वो मुन्नीलाल मौर्य की 30*16 फीट की जमीन पर कब्जा करना चाहते थे। अभियुक्तों ने मिर्जामुराद थाना पुलिस को सुविधा शुल्क देकर अपने पक्ष में खड़ा कर लिया था। चौकी इंचार्ज हरिनारायण शुक्ला तो घोर जातिवादी था और वह खुलकर अभियुक्तों का साथ दे रहा था। वो हमारी बात सुनता ही नहीं था। हम जब भी चौकी इंचार्ज के यहां अर्जी लेकर जाते तो वह मुख्य अभियुक्त गोविंदा दुबे और राजा दुबे की तरफदारी करने लगता था।”

पुलिस को ज्ञापन देते गांववासी

“जिस भूखंड को लेकर कत्ल हुआ, वो हमारे चाचा मुन्नीलाल मौर्य की पैतृक संपत्ति थी। इनका परिवार गुजरात रहता है। घर के लोग वहीं काम-धंधा करते हैं। मकान बनवाने की गरज से वो घर आए थे। वो चौकी इंचार्ज हरिनारायण शुक्ला के यहां अर्जी लेकर पहुंचे तो उसने कहा, जमीन गोविंद के घर से सटी है। मकान बनवाओगे तो गोविंदा और उसका भाई राजा दुबे गुंडा लेकर आएंगे, तब क्या करोगे? तुम लोगों का घर वो एक बार पहले ही ढहा चुके हैं। जब बना-बनाया मकान नहीं बचा सके तो नया कैसे बनवा लोगे। बेहतर यही होगा कि जमीन भूल जाओ। गोविंदा और राजा पर कई थानों में लूटपाट, चोरी, गुंडागर्दी और मारपीट के करीब दर्जन भर केस दर्ज हैं।”

लड़ाई की वजह?

जमीन के विवाद की वजह पूछने पर मुन्नीलाल के पुत्र कमलेश मौर्य नाराज हो गए। बोले, “काहे की लड़ाई? लड़ाई तो दो तरफ़ से होती है। हम तो अपनी जगह पर मकान बनवाना चाहते थे। वहां हमारा पहले से ही घर था। गोविंदा और राजा दुबे ने बाहर से 15-20 गुंडों को बुलवा रखा था। वो लोग पैदल और गाड़ी से आए थे। हमने 112 नंबर पर फोन कर पुलिस को बुलवा लिया था। सिपाही नरेंद्र प्रताप भारद्वाज और दिनेश यादव मौके पर पहुंचे। दोनों भाइयों ने सिपाहियों को अपने घर में बुलवाया। शायद रिश्वत लेकर लौटे तो सिपाहियों के तेवर ही बदल गए। हथियारबंद गुंडे मुंह पर गमछा बांधकर हमारे घर में घुसे। मारपीट, तोड़फोड़ और लूटपाट शुरू कर दी। यह सब अचानक और पुलिस के सामने हुआ। समूची घटना हमारे सीसी टीवी कैमरे में कैद है, जिसका फुटेज हमारे पास मौजूद है।”

घटना के समय का वीडियो

यह बताते हुए उनकी आंखों के आंसू बाहर निकल आए। कहने लगे, हमलावरों ने बच्चों और महिलाओं के साथ भी बदसलूकी की। हथियारबंद बदमाशों के हमले में हमारे पिता मुन्नीलाल मौर्य को गंभीर चोट आई। हमलावरों ने उनके सिर में सरिया घुसेड़ दी थी, जिसके चलते अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ दिया। हमने अपने पिता को बचाने की कोशिश की तो हमलावरों ने मेरे ऊपर भी जानलेवा हमला बोल दिया। हमारे सर और पैर में गंभीर चोट आई है। कुल चौदह टांके लगे हैं। इनके अलावा सुमन देवी, आशा देवी के हाथ-पैर टूट गए हैं। चंद्रभूषण मौर्य के भी सिर में गंभीर चोट लगी है।”

कमलेश यह कहते हैं, “वारदात के दो दिन बाद भी अभियुक्त गांव में जमे हुए थे और दोबारा हमला बोलने की धमकी दे रहे थे। पुलिस ने उनके घरों में मौजूद असलहों के अलावा कुदाल, डंडे और कई अन्य हथियारनुमा चीजें को बरामद करने में तनिक भी दिलचस्पी नहीं दिखाई। हम पुलिस को न जाने कितनी मर्तबा जमीन के कागजात दिखा चुके थे, लेकिन हमारी किसी ने नहीं सुनी। जिस जमीन को लेकर हमारे परिवार पर कहर बरपाया गया वहां हमारे पुरखे रहा करते थे। हमारी जमीन कब्जाने के लिए अभियुक्त पूरी फ़ौज लेकर आए और हम लोगों पर हमला बोल दिया।”

धरना देते ग्रामीण और परिजन

मुन्नीलाल मौर्य की बेटी मनीषा मौर्य कहती हैं, “अचरज की बात यह है कि राजा दुबे की पत्नी जूही दुबे हमले में खुद शामिल थी और वह ईंट-पत्थर भी चला रही थी, लेकिन पुलिस ने उसे अभी तक गिरफ्तार नहीं किया है, जबकि प्राथमिकी में दर्जन भर अज्ञात लोगों को जिक्र किया गया है। जूही अभी भी घर में मौजूद है और साक्ष्य मिटाती जा रही है। उसके खिलाफ प्रशासन ने न तो एफआईआर में उसका नाम शामिल किया है और न ही उसकी गिरफ्तार करने में कोई दिलचस्पी दिखा रही है। सीसीटीवी फुटेज में हमले के समय जूही दुबे को हमारे परिवार के सदस्यों पर ईंट-पत्थर बरसाते हुए देखा जा सकता है। हमले के समय का सीसीटीवी फुटेज हम पुलिस को सौंप चुके हैं। हमारा खुला आरोप है कि हमलावरों को मिर्जामुराद थाना पुलिस संरक्षण दे रही थी। मार्च 2024 में लिखित शिकायत के बावजूद उसने इस मामले के गंभीरता से नहीं लिया।”

अभियुक्त राजा दुबे

पुलिस की शह पर हुआ हमला

महेश पट्टी के किसान मुन्नीलाल मौर्य की इलाज के दौरान मौत के बाद उनका शव जब गांव में पहुंचा तो गुस्साई भीड़ ने पुलिस के विरोध में प्रदर्शन शुरू कर दिया। सूचना मिलते ही एसीपी राजातालाब अजय श्रीवास्तव ने ग्रामीणों को समझाया और कहा कि विवेचना के बाद अनावश्यक धाराएं हटा दी जाएगी। घंटों मशक्कत के बाद परिजन दोपहर के समय अंतिम संस्कार करने पर राजी हुए। पीड़ितों को समझाने के लिए बीजेपी के जिलाध्यक्ष व एमएलसी हंसराज विश्वकर्मा, अपनादल (एस) रोहनिया विधायक सुनील पटेल आदि लोग भी पहुंचे थे।

बेनीपुर के (महेशपट्टी) गांव में हुई मौत के बाद घटना में वांछित दो महिलाओं के अलावा सात आरोपियों को साधु कुटिया तिराहे से गिरफ्तार किया गया। मिर्जामुराद के थाना प्रभारी आनंद चौरसिया के मुताबिक, हत्या में वांछित राजाराम दुबे, आशा देवी, राधा दुबे, गोविंदा, उत्कर्ष यादव, अंकित चौबे, अभिषेक मिश्रा व शुभ चतुर्वेदी को गिरफ्तार किया गया है। कोर्ट के आदेश के बाद सभी को जेल भेज दिया गया। एहतियातन गांव में तनाव को देखते हुए पुलिस फोर्स के साथ ही पीएसी तैनात है।

हमलावरों की ओर से दर्ज कराई गई फर्जी रिपोर्ट में कुल 15 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। इनमें लालचंद मौर्य, बालचंद मौर्य की काफी पहले मौत हो चुकी है। घटना के समय शशि मौर्य हरिद्वार में और अशोक मौर्य गुजरात के सूरत में मौजूद थे। घटना पुलिस के सामने हुई, इसके बावजूद उसने सरकारी कार्य में बाधा डालने की रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई। महेश पट्टी के लोग आरोप लगाते हैं कि हमलावर डकैतों की तरह घर में घुसे। मारपीट, तोड़फोड़ और लूटपाट की, लेकिन रिपोर्ट में डकैती का केस दर्ज नहीं किया गया।

ग्रामीण दयाराम मौर्य, शंभू मौर्य, चंद्रभूषण आरोप लगाते हैं कि हमलावरों के सिर पर सूबे के एक राज्यमंत्री का हाथ है, जिसके चलते पुलिस ने कुछ ही हमलावरों को गिरफ्तार किया है। भाड़े पर बुलाए गए अपराधियों को पकड़ने में पुलिस की कोई दिलचस्पी नहीं है। मिर्जामुराद थाना पुलिस ने पीड़ित पक्ष के खिलाफ दर्ज फर्जी रिपोर्ट अभी तक निरस्त नहीं की है। दूसरी ओर, राजातालाब के एसीपी अजय श्रीवास्तव का कहना है कि फर्जी रिपोर्ट रद्द करने के आदेश दे दिए गए हैं। इस पूरे मामले की जांच और छानबीन की जा रही है कि यह सब कैसे हुआ है?”

विपक्ष ने सरकार को घेरा

महेश पट्टी में सुनियोजित हमले के बाद सपा का एक प्रतिनिधिमंडल ने 19 जून 2024 को मौके पर पहुंचकर समूचे मामले की छानबीन कर चुका है, जिसमें एमएलसी आशुतोष सिन्हा, लाल बिहारी यादव, पूर्व मंत्री सुरेंद्र पटेल, पूर्व विधायक उदय लाल मौर्य, अधिवक्ता हृदय मौर्य समेत आठ लोग शामिल थे। इससे पहले कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय भी महेशपट्टी गांव में पहुंचे और घटना के लिए बीजेपी सरकार को जिम्मेदार ठहराया। साथ ही पीड़ित परिवार को हर संभव मदद का आश्वासन दिया।

23 जून 2024 को महेश पट्टी में आयोजित शोकसभा में जौनपुर के सपा सांसद बाबू सिंह कुशवाहा और उनके साथ बड़ी संख्या में पार्टी के नेता व कार्यकर्ता पहुंचे। कुशवाहा के साथ पूर्व राज्यमंत्री सुरेंद्र सिंह पटेल, सपा जिलाध्यक्ष सुजीत यादव ‘लक्कड़’, नीतिकेश सिंह, अनिल मौर्य, कन्हैयालाल राजभर व आनंद मौर्य ने मृतक मुन्नीलाल के चित्र पर श्रद्धा-सुमन अर्पित कर शोक संवेदना व्यक्त की। सांसद बाबू सिंह कुशवाहा ने मृतक मुन्नीलाल के बेटे कमलेश मौर्य और अन्य परिवारजनों से मुलाकात कर घटना के बारे में जानकारी ली। साथ ही न्याय दिलाने का आश्वासन दिया।

बाबू सिंह कुशवाहा, सपा सांसद

सांसद बाबू सिंह कुशवाहा ने मौके पर पहुंचे एसीपी अजय कुमार श्रीवास्तव से बात की और बाकी हमलावरों को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि पीड़ित पक्ष के खिलाफ फर्जी केस खत्म किया जाए और इस मामले में डकैती की धारा लगाते हुए चौकी इंचार्ज हरिनारायण शुक्ला के खिलाफ भी हत्यारों को संरक्षण देने के मामले में मुकदमा दर्ज किया जाए। साथ ही पुलिस की ओर से सरकारी कार्य में बाधा डालने की रिपोर्ट दर्ज की जाए।

एक ओर, जहां तमाम पार्टियों के नेता पीड़ित पक्ष के आंसुओं को पोछने की कोशिश कर रहे थे, उन्हें न्याय दिलाने की बात कह रहे थे, वहीं पीड़ित पक्ष के लोगों को सजातीय नेता एवं यूपी के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की इस मामले में छाई चुप्पी चुभ रही थी। मुन्नीलाल के परिवारजन सुभाष मौर्य कहते हैं, “हम लोगों ने केशव प्रसाद मौर्य को कई मर्तबा सूचना दी और उनसे मदद की गुहार लगाई, लेकिन उन्होंने कोई पहल नहीं की। पहल करना तो दूर एक ट्वीट भी नहीं किया। इस घटना से पता चलता है कि वो ऐसे नेता हैं जिनकी जुबान सिर्फ सवर्णों के साथ अनहोनी पर ही खुलती है। मौर्य के समाज के लोगों को उम्मीद थी कि उप मुख्यमंत्री के रूप में सत्ता में उनके समाज की सम्मानजनक हिस्सेदारी है, लेकिन केशव प्रसाद मौर्य ने इस मामले को लेकर जब एक शब्द भी नहीं बोला तो हमें सहज ही यह समझ में आ गया कि सत्ता में अब तक वो जिस हिस्सेदारी को मानकर बैठे थे वो आभासी थी।

बीजेपी में बंद रहती है पिछड़ों की जुबान

महेशपट्टी गांव में मौजूद लालमणि मौर्य ने जनचौक से कहा, “बीजेपी में पिछड़ी जातियों के नेता सिर्फ दिखावे और पिछड़ों का वोट बटोरने के लिए रखे जाते हैं। वहां न उनकी कोई निर्णायक भूमिका होती है, न ही अपने लोगों के हक-हुकूक की बात कहने की जगह होती है। इन नेताओं की जुबान तभी खुलती है जब बीजेपी मंदिर-मस्जिद का मामला गरमाती है अथवा जब कांवड़ यात्राएं निकालनी होती है। मौर्य-कुशवाहा समाज के लोग अभी तक बीजेपी के साथ नाड़े की तरह बंधे थे, लेकिन मुन्नीलाल मौर्य की निर्मम हत्या के बाद केशव प्रसाद मौर्य की चुप्पी से आगामी विधानसभा चुनाव में उन्हें तगड़ा झटका देंगे “

मुन्नीलाल हत्याकांड के खिलाफ बड़ी तादाद में मौर्य समुदाय के लोगों ने बनारस के शास्त्री घाट पर धरना शुरू कर दिया है। भारतीय राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष आरपी मौर्य ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक मांग-पत्र सौंपते हुए घटना की न्यायिक जांच कराने की मांग उठाई है। पीड़ित पक्ष को उनकी जमीन पर कब्जा दिलाने, फर्जी रिपोर्ट रद्द करने, पीड़ित परिवार को मुआवजा व नौकरी, शस्त्र लाइसेंस, दिलाने की मांग उठाई है।

भारतीय राष्ट्रीय पार्टी के प्रमुख आरपी मौर्य ने जनचौक से बात करते हुए कहा, “मुन्नीलाल हत्याकांड मिर्जामुराद थाना पुलिस की देन है। अगर उसने तत्परता बरती होती तो यह घटना नहीं होती। हमलावरों का पुराना आपराधिक रिकार्ड हैं। उनके खिलाफ मिर्जामुराद के अलावा बनारस के कैंट थाने में मुकदमें दर्ज हैं। एक मामले में अभियुक्त राजा दुबे के खिलाफ दो साल पहले वारंट जारी हुआ था। उस मामले में भी उसे पुलिस गिरफ्तार करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी। गोविंद दुबे और राजा दुबे के खिलाफ चोरी, छिनैती, मारपीट, गुंडागर्दी के कई मामले दर्ज हैं। गुंडा एक्ट तक लग चुका है, लेकिन उनके सिर पर सत्तापोषित नेताओं का हाथ होने की वजह से अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई थी। अभियुक्तों को इलाकाई पुलिस खुद संरक्षण दे रही थी।”

महेशपट्टी गांव में मुन्नीलाल मौर्य की हत्या के बाद सबसे पहले मौके पर पहुंचे बनारस के वरिष्ठ पत्रकार कुमार विजय कहते हैं, “यह वारदात यूपी के तात्कालिक राजनीतिक और सामाजिक चरित्र को दर्शाने वाली है। सूबे में जिस तरह से सरकार संरक्षित अपराध को खुलकर बढ़ावा दे रही है, उससे पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक समाज की सुरक्षा पर एक भयावह सवाल खड़ा हुआ है। महेशपट्टी का मौर्य परिवार पिछले चार महीनों से प्रशासन से अपनी जान-माल की सुरक्षा की गुहार लगा था, इसके बावजूद सरकारी मशीनरी और पुलिस उनके प्रति लापरवाह व असंवेदनशील बनी रही। यही नहीं पुलिस ने अभियुक्तों को खुलकर संरक्षण भी दिया, जबकि अभियुक्तों के नाम पहले से ही खूंखार अपराधियों की सूची में दर्ज थे।

विजय यह भी कहते हैं, “महेशपट्टी की घटना भी देवरिया कांड की पुनरावृत्ति कर सकती थी, लेकिन प्रशासन ने पीड़ित परिवार को लगातार डरा-धमकाकर दहशत में रखा। 12 जून 2024 भले ही एक बड़ा हादसा रुक गया, लेकिन पीड़ितों को सही न्याय नहीं मिला तो जिस तरह का आक्रोश बनारस के मौर्य समाज में व्याप्त है उससे पीएम नरेंद्र मोदी के सबके साथ-सबके विकास के नारे पर बड़ा सवालिया निशान लगता है। प्रदेश सरकार की हर अपराधी को मिट्टी में मिला देने का नारा भी पूरी तरह से झूठा साबित हो रहा है।”

(लेखक बनारस के वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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