लाहौर, फैसलाबाद, पेशावर, सियालकोट, गुजरावाला, मुल्तान, स्वात, सादिकाबाद, रहीमयारखां, करक, वेहारी, गिलगिट, कराची, बहावलपुर, चारसाड्डा, खानिवल, खुशाब, सरगोधा, गोजर, मरदान, सम्ब्रियाल, बानू, चलास, क्वेटा रोड, मलाकंद, तामेरघर, खनिवाल, स्वाबी, ओकरा, झेलम, भाकर, पिंडी भाटियान, गुजरात जैसे पाकिस्तान के शहरों और कस्बों में ही नहीं बल्कि दुनिया में टोरंटो, न्यूयार्क, वाशिंगटन डीसी, मैंचेस्टर, शिकागो, डलास, वेल्श, मिस्सिसाया और लंदन जैसे पश्चिमी देशों के शहरों में पाकिस्तानी मूल के लोग सड़कों पर विरोध में उतर आये हैं। इन तमाम शहरों में हो रहे प्रदर्शनों को पीटीआई के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से जारी किया गया है।
उधर पाकिस्तान के अखबार डॉन की खबर के मुताबिक पाकिस्तान तहरीके इंसाफ (पीटीआई) ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के खिलाफ राष्ट्रव्यापी बंद का आह्वान किया है। पार्टी इमरान खान को हिरासत में लिए जाने की पुरजोर मुखालफत कर रही है और इसने पाकिस्तान की अवाम से आह्वान किया है कि वे देश में बढ़ते फासीवाद के खिलाफ सड़कों पर उतरें। पीटीआई ने देशवासियों को आगाह किया है कि यह ‘करो या मरो’ का समय है।
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, खान को हिरासत में लिए जाने के कुछ देर बाद ही पीटीआई के शाह महमूद कुरैशी ने एक आपातकालीन कमेटी का ऐलान किया। आपातकालीन कमेटी की बैठक में सांसद सैफुल्ला खान, आज़म स्वाति, एजाज़ चौधरी, मुराद सईद, अली अमिन खान और हसन निआज़ी जैसे पीटीआई के नेताओं ने शिरकत की और हालात का जायजा लेते हुए भविष्य की रणनीति तय की।
बुधवार को इस्लामाबाद, रावलपिंडी, लाहौर, कराची, गुजरावाला, फैसलाबाद, मुल्तान, पेशावर और मरदान में पीटीआई समर्थक विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। कराची में प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ मुठभेड़ की भी खबर है। यहां पर पुलिस के वाहनों और स्ट्रीट लाइट पर पथराव किया गया है। पुलिस की ओर से प्रदर्शन को रोकने के लिए टीयरगैस का इस्तेमाल किया गया।
पाकिस्तान तहरीके इंसाफ के उपाध्यक्ष फवाद चौधरी ने मंगलवार को पार्टी की ओर से बयान जारी करते हुए कहा था कि बुधवार को पार्टी सुप्रीमकोर्ट का रुख करेगी और पार्टी प्रमुख इमरान खान की गिरफ्तारी के इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देगी। इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को फवाद चौधरी ने हैरान करने वाला बताया है।
हालांकि अभी-अभी पीटीआई के हवाले से खबर आ रही है कि एंटी करप्शन कोर्ट ने इमरान खान को एनएबी को 8 दिन रिमांड पर रखने का फैसला सुना दिया है।
एक्सप्रेस ट्रिब्यून के हवाले से खबर है कि क्वेटा की एक रैली में मंगलवार को पीटीआई के एक कार्यकर्ता की मौत हो गई और 6 लोग घायल हो गये थे। “इमरान खान को रिहा करो” “पाकिस्तान बंद” के नारों के साथ लाहौर, फैजाबाद, बन्नू और पेशावर में पीटीआई समर्थकों ने प्रदर्शन किया। इमरान समर्थकों ने विरोध में क्वेटा एअरपोर्ट रोड को ब्लॉक कर दिया था।
अल कादिर ट्रस्ट केस में नेशनल एकाउंटिबिलिटी (एनएबी) द्वारा जारी वारंट के आधार पर मंगलवार को पाकिस्तानी सेना के रेंजर्स ने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में अपनी पेशी के लिए जाते इमरान खान को हिरासत में ले लिया था। इमरान खान के खिलाफ इस समय पाकिस्तान में 100 से अधिक मामले लंबित हैं। एनएबी ने अपनी जांच में इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी एवं अन्य को अल कादिर यूनिवर्सिटी ट्रस्ट के नाम पर कथित तौर पर सैकड़ों कनाल जमीन में कथित लाभ का दोषी पाया है। ऐसा कहा जा रहा है कि इससे पाकिस्तान के खजाने को 19 करोड़ पौंड का नुकसान हुआ है, जबकि पिछले एक वर्ष से पाकिस्तान भारी आर्थिक तबाही के बीच से गुजर रहा है।
उधर पीटीआई नेता एवं पूर्व इंटीरियर मंत्री मुराद सईद ने ट्वीट करते हुए मंगलवार को कहा था, ‘अगर इंटरनेट और मोबाइल फोन को बंद कर दिया जाता है और हमारी लीडरशिप को गिरफ्तार कर लिया गया है, तो लोगों को अपने-अपने शहरों में धरने आयोजित करने चाहिए। मैं ताकीद कर दूं, आज हमारी चुप्पी और कमजोरी के मायने होंगे कि हमने अपने नेताओं को इन हत्यारों के आगे डाल दिया है, और अपने मुस्तकबिल को इन खून निचोड़ने वाले राक्षसों के भरोसे छोड़ देने का फैसला किया है। अल्लाह पाकिस्तान की मदद करे।”
एक अन्य वीडियो में मुराद सईद ने कहा है, “हमारा प्रोटेस्ट समूचे पाकिस्तान में जारी है। लेकिन इनकी प्लानिंग ये है कि 24 घंटे के लिए इंटरनेट और संचार के तमाम जरायब हैं उन्हें बंद कर दिया जाये, इसके बाद इमरान को बलुस्चिस्तान ले जाया जाये। और अल्ला न करे, आपको तो पता है कि जेल तो बहाना है, इनके निशाने पर तो इमरान हैं। पहले ही वे उन्हें जख्मी कर चुके हैं। जहां भी जो भी हमारे समर्थन में लोग बैठे हैं आप सभी इसे जारी रखें। हमें इस संघर्ष को तब तक जारी रखना है, जब तक इमरान खान को रिहा नहीं किया जाता है। इनके इरादों को समझ लें। 24 घंटे के लिए संचार के तमाम नेटवर्क को मुल्तवी कर, इमरान खान को बलूचिस्तान ले जाओ। लोग आंदोलन कर थक जायेंगे, और फिर वे जो करना चाहते हैं उसे अंजाम दे सकते हैं। हमें उनकी इस प्लानिंग को नाकाम बनाना है। धरना जारी रखना है। चाहे किसी से राफ्ता हो या न हो, आप अपने-अपने इलाकों में जहां-जहां धरना चल रहा है, उसे जारी रखें।”
इस समय पाकिस्तान में अजीब सी स्थिति बन गई है। इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में इमरान खान की पेशी हुई है। इमरान खान ने अपनी गिरफ्तारी को गैर-क़ानूनी करार दिया है। उनका कहना है कि उनकी गिरफ्तारी के लिए कोई वारंट नहीं जारी किया गया था। उधर भ्रष्टाचार विरोधी नियामक एनएबी चाहती है कि इमरान खान को कम से कम 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में दिए जाने का फैसला दिया जाये। कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है। एक वजह यह भी है कि पीटीआई के नेता फवाद चौधरी ने बुधवार की सुबह सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। सूचना मिल रही है कि सुप्रीमकोर्ट ने याचिका की सुनवाई के लिए मंजूरी दे दी है, और सुनवाई संख्या आवंटित कर दी है। पाकिस्तान और दुनियाभर से सोशल मीडिया के जरिये पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट से आज ही मामले की सुनवाई की मांग की जा रही है।
इस बीच मंगलवार के हालात के बाद बुधवार को पाकिस्तानी रुपये की कीमत में बड़ी गिरावट का रुख है। पाकिस्तान की अर्थव्यस्था पहले से ही पटरी से उतर चुकी है। आम लोगों में सेना के प्रति नफरत की भावना आग में घी का काम कर रही है। मंगलवार को सेना के एक बड़े अधिकारी के घर को प्रदर्शनकारियों ने तहस-नहस कर डाला था। सेना के रावलपिंडी स्थित मुख्यालय में भीड़ घुस आई थी और तोड़-फोड़ का दृश्य पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार देखने को मिला है।
सेना और सरकार को इस गिरफ्तारी को जायज बताने के लिए कड़ी मशक्कत करनी होगी। अमेरिका ने भी अपने विदेश मंत्रालय के हवाले से इस मामले में कोई स्पष्ट रुख नहीं दिखाया है। उसने सिर्फ लोकतांत्रिक पद्धति से शासन चलाने की नसीहत दी है। पाकिस्तान की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए अमेरिका और ब्रिटेन ने अपने दूतावासों को चौकन्ना रहने के निर्देश अवश्य जारी कर दिए हैं।
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि इमरान खान की लगातार बढ़ती लोकप्रियता और सेना को निशाने पर लेने से अंततः मजबूर होकर सत्ता प्रतिष्ठान ने यह अलोकप्रिय फैसला लिया। गिरफ्तारी के तरीके को लेकर सवाल उठने स्वाभाविक थे, लेकिन हुक्मरानों का आकलन है कि गुस्से की यह आग जल्द ही शांत हो जायेगी। आज के दिन आर्थिक कदाचार के मामले तीसरी दुनिया सहित दुनियाभर में आम हैं, और सरकार में रहते हुए इसे स्थापित करने में कोई ख़ास मुश्किल नहीं है।
लेकिन यदि इमरान खान को कुछ और महीने बाहर आजाद छोड़ दिया जाता तो जिस तरह से वे एक के बाद एक सेना और आईएसआई पर आरोप मढ़ते जा रहे थे, वह पाकिस्तान में अब तक असली सरकार ‘आर्मी’ को हमेशा-हमेशा के लिए बेदखल कर सकता था। आर्मी के हाथ से पाकिस्तान की सियासत के छूटने का अर्थ है अमेरिका के भी पाकिस्तान के हुक्मरानों को निर्देशित करने की संभावना पर पूर्ण विराम लग जाना, और दक्षिण एशिया सहित हिंद महासागर क्षेत्र में उसके भावी भू-राजनीतिक महत्वाकांक्षी अभियान में पलीता लगना। सबकी निगाहें अब पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय पर टिकी रहेंगी, जिससे दोनों पक्षों को अपने-अपने पक्ष में जाने की उम्मीदें लगी हैं।
(रविंद्र पटवाल जनचौक की संपादकीय टीम के सदस्य हैं।)