हल्द्वानी। न्यूज पोर्टल जनज्वार के संपादक अजय प्रकाश के चुनावी कवरेज के लिए जाने के दौरान एआरटीओ द्वारा उनकी टैक्सी गाड़ी अधिग्रहीत किये जाने के दौरान की गई अभ्रदता व उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किये जाने पर लोगों ने रोष जाहिर किया है।
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता रविन्द्र गढ़िया, उत्तराखण्ड हाई कोर्ट के अधिवक्ता डीएस मेहता, समाजवादी लोकमंच के मुनीष कुमार आदि के साथ हल्द्वानी पहुंचे पीड़ित पत्रकार अजय प्रकाश ने बताया कि चुनावी कवरेज के लिए वह एक टैक्सी से खटीमा जा रहे थे। रास्ते में एआरटीओ उनके वाहन को रोककर जबरन उसे अधिग्रहीत करने लगे। इस दौरान न केवल चालक के साथ बदतमीजी की गई बल्कि पत्रकार का परिचय देने व मुख्यमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र में कवरेज के लिए जाने का कारण बताने के बाद भी उनसे साथ अभ्रदता की गई। अभ्रदता का विरोध करने पर मौके पर पुलिस बुलाकर उन्हें हिरासत में ले लिया गया। आठ घण्टे अवैध हिरासत में रखने के बाद उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। बाद में वह निजी मुचलके पर रिहा हुए।
सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट रविन्द्र गढ़िया ने इसे मीडिया पर हमला बताते हुए कहा कि अधिग्रहण के लिए कानूनन गाड़ी मालिक को लिखित में नोटिस दिया जाना चाहिए। इस प्रकार की कार्यवाही सरकारी काम की आड़ में गुंडागर्दी है। इस गुंडागर्दी का विरोध करने वालों पर मुकदमा लगाया जा रहा है। जो कि तानाशाही है। इस मामले में भी आठ घण्टे तक पत्रकार को बिना किसी एफआईआर के थाने में अवैध हिरासत में रखा गया। जो कि मीडिया की आज़ादी पर खुला हमला है।
इस दौरान मुनीष कुमार ने कहा कि एआरटीओ की गुंडागर्दी के खिलाफ चुनाव आयोग को शिकायत की गई है। एआरटीओ द्वारा सड़क पर गाड़ियां जबरन रोक कर चालकों के साथ बदतमीजी की जा रही है। आचार संहिता की आड़ में प्रशासन गुंडई पर उतारू है। प्रशासन ड्यूटी में वाहन लगाने के नाम पर टैक्सी वालों का उत्पीड़न कर रहा है। अधिग्रहीत वाहन का वास्तविक किराया भी उन्हें नहीं दिया जा रहा है। मुनीष ने एआरटीओ व थानाध्यक्ष को निलंबित कर पीड़ित पत्रकार के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस लेने व प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच की मांग की।
(विज्ञप्ति पर आधारित रिपोर्ट।)
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