Thursday, April 25, 2024

कांग्रेस ने सरकार से पूछा- कैसे हुई स्विस बैंक में भारतीयों के कालेधन में तीन गुना की बढ़ोत्तरी

कांग्रेस के प्रवक्ता प्रो. गौरव वल्लभ ने आज पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि स्विस नेशनल बैंक में एक बहुत ही चौंकाने वाला आंकड़ा आया है। जिसमें बताया गया है कि 2020 के स्विट्जरलैंड के वित्तीय वर्ष में भारतीयों द्वारा वहां जमा पैसों की राशि में तकरीबन तीन गुने की वृद्धि हुई है। फीसदी के लिहाज से इस राशि में 286 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। इसका मतलब है कि अगर 2019 में 100 रुपए जमा थे, तो 2020 में 286 रुपए जमा हो गए हैं। उन्होंने बताया कि पिछले 13 साल में यह सर्वोच्च रकम है। उन्होंने कहा कि कितनी है, किस-किस खाते, किस-किस मद में किसकी है, वो सब विवरण मैंने स्विस बैंक की वेबसाइट की एनुअल रिपोर्ट से एक-एक डेटा निकाला।

उन्होंने कहा कि हम ये सरकार से पूछना चाहते हैं कि इसमें कौन लोग हैं, ये किनका पैसा है, 7 साल में आप कितना पैसा लाए। पिछले 7 साल में मोदी सरकार का जो इकोनॉमिक मॉडल देश के सामने आ रहा है, उसमें तीन लो हैं, तो तीन हाई हैं। लो क्या-क्या हैं – जीडीपी लो है, मांग लो है और इन्वेस्टमेंट अर्थात नया निवेश लो है। और हाई क्या–क्या है– फॉरेन डिपोजिट। हाई क्या है– बेरोजगारी। हाई क्या है– महंगाई। तो ये मोदी नॉमिक्स है, जिसमें जिन चीजों को लो होना चाहिए, वो हाई हैं और जिन चीजों को हाई होना चाहिए, वो लो हैं।

उन्होंने कहा कि हम 2020 की बात कर रहे हैं, ये वही साल है, इस साल में 97 प्रतिशत देश के लोगों की आय कम हुई है। इस दौरान इसी साल स्विस बैंक में जो पैसा बढ़ा है भारत का, वो 286 प्रतिशत हो गया, जो 2019 में बढ़ा था।

उन्होंने कहा कि आगे चलूं, उससे पहले मैं आपको एक आंकड़ा बताना चाहता हूं, जो स्विस बैंक से लिया गया है। इसमें स्विस बैंक की भारतीयों के प्रति जो लायबिलिटी थी कुल, वो 2019 में 892 मिलियन स्विस फ्रैंक की थी। यह 2020 में बढ़कर 2,553 मिलियन स्विस फ्रैंक अर्थात् 7,200 करोड़ भारतीय रुपए से बढ़कर ये 20,706 करोड़ रुपए भारतीय हो गया है।

उन्होंने कहा कि इसमें वृद्धि के कारणों की जहां तक बात है। टोटल लायबिलिटी के तीन मत हैं– एक तो कस्टमर डिपॉजिट, एक बैंकों द्वारा डिपॉजिट और एक जो भारत के लोगों ने स्विस बैंक से बैंकों के बांड, इन्वेस्टमेंट सिक्योरिटी खरीदी है, उसके प्रति स्विस बैंकों का भारत के लोगों के प्रति दायित्व है। इसमें हम देखेंगे कि Liability due to banks and amount due to customer in bonds and securities, दोनों में वृद्धि हुई है।

बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट ने एक और चौंकाने वाला आंकड़ा दिया। उसने कहा कि जो इंडिविजुअल हैं भारत के उन्होंने जो डिपॉजिट जमा कराया 2020 में, वो 2019 की तुलना में 39 प्रतिशत बढ़ा हुआ है। इसका मतलब है कि as per BIS जो इंडिविजुअल व्यक्ति विशेष है, उनका डिपॉजिट बढ़ रहा है। टोटल लायबिलिटी है स्विस बैंक की, वो 286 प्रतिशत हो गई।

उन्होंने कहा कि हमारा सरकार से तीन-चार सवाल है:-

पहला उन्होंने कहा कि सिर्फ स्विट्जरलैंड में 250 बिलियन डॉलर भारतीयों का पड़ा है। 250 बिलियन डॉलर मतलब साढ़े 17 लाख करोड़ रुपए। तो ये साढ़े 17 लाख करोड़ रुपए जो स्विट्जरलैंड में बढ़ा था, उनमें से कितना पैसा आया पिछले 7 सालों में? और देशों की बात नहीं कर रहे हैं, सिर्फ स्विट्जरलैंड का, वो भी हम सिर्फ बीजेपी का ही आंकड़ा यहाँ पर कोट कर रहे हैं कि पिछले 7 सालों में इन साढ़े 17 लाख करोड़ रुपए में से कितना पैसा भारत में वापस आया, कौन-कौन वो लोग हैं, जिनसे आप पैसा ला पाए? 97 प्रतिशत लोगों की जब आय घट रही थी, उस दौरान स्विट्जरलैंड के बैंकों में भारतीयों का जो जमा है, वो कैसे बढ़ रहा था? क्या इसी को आपदा में अवसर कहा जाता है?

दूसरा सवाल है– ये जो 20,706 करोड़ रुपए भारतीयों का स्विट्जरलैंड में हैं, ये कौन लोग हैं, इनके नाम साझा किए जाएं देश के सामने? इनका पैसे का नेचर क्या है, क्या ये करप्शन का पैसा है, क्या ये ब्लैक मनी है, क्या ये आतंकवाद से जुड़ा हुआ पैसा है? इन सभी का उत्तर देश की जनता के सामने सरकार रखे? 

हम ये मांग करते हैं कि उन सब लोगों के नाम, पते, उनके बिजनेस, उनके पैसे की प्रकृति, उन्होंने कब पैसा जमा कराया, इन सबका ब्यौरा आज देश के सामने रखा जाए।

उन्होंने कहा कि मांग करते हैं कि पिछले 7 सालों में ब्लैक मनी का कितना पैसा देश ने वापस विदेशों से लिया, उन सबका ब्यौरा देश के सामने रखा जाए। इस पर्सपेक्टिव से 286 प्रतिशत की जो वृद्धि हुई, 13 साल के हाईएस्ट अमाउंट पर स्विस बैंक में भारतीयों का पैसा पहुंच चुका है।

उन्होंने कहा कि ऐसा क्यों है निरंतर जब देश के 97 प्रतिशत लोगों की आय गिरी, जब देश की जीडीपी माइनस 7.3 प्रतिशत तक चली गयी, उस दौरान ये कौन लोग हैं, जो स्विट्जरलैंड में अपना पैसा जमा करा रहे हैं? उस पैसे की प्रकृति क्या है?

उन्होंने कहा कि देश के सामने ह्वाइट पेपर रखा जाए, जिसमें ये बताया जाए कि पिछले 7 सालों में कितना ब्लैक मनी विदेशों से भारत सरकार ने कलेक्ट किया और कौन-कौन वो लोग हैं, जिनसे कलेक्ट किया गया, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी ने स्वयं एक आंकड़े में ये माना है कि सिर्फ स्विट्जरलैंड में भारतीयों का साढ़े 17 लाख करोड़ रुपए है, तो उसमें से कितना पैसा देश में वापस आया? क्योंकि बात हुई थी 15 लाख रुपए हर हिंदुस्तानी के खाते में डालने की, बात हुई थी 250 बिलियन डॉलर स्विट्जरलैंड से वापस लाने की, तो कितना पैसा वापस आया और 15 लाख रुपए का जो पहला इंस्टॉलमेंट है, वो देश के प्रति व्यक्ति के खाते में कब तक जाएगा?

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