सर्व सेवा संघ ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र, गांधी विद्या संस्थान पर IGNCA के अवैध कब्जे को हटाने की मांग

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नई दिल्ली। सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं वरिष्ठ गांधीवादी कार्यकर्ता चंदन पाल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को गांधी विद्या संस्थान और सर्व सेवा संघ की क्रयशुदा जमीन को आयुक्त, वाराणसी द्वारा जबरन अवैध कब्जा कराये जाने के संबंध में ज्ञापन सौंपा है। यह ज्ञापन 14 जून, 2023 को जिलाधिकारी प्रयागराज के माध्यम से राष्ट्रपति को दिया गया है।

राष्ट्रपति को भेजे ज्ञापन में चंदन पाल ने सर्व सेवा संघ की स्थापना और इससे जुड़े लोगों का उल्लेख करते हुए लिखा है कि “सर्व सेवा संघ गांधी विचार का राष्ट्रीय शीर्ष संगठन है। इसकी स्थापना मार्च 1948 में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की अध्यक्षता में सम्पन्न हुए सम्मेलन में हुआ। इस सम्मेलन में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू सहित शीर्ष राष्ट्रीय नेताओं यथा–आचार्य कृपलानी, आचार्य विनोबा भावे, मौलाना अबुल कलाम आजाद, लोकनायक जयप्रकाश नारायण, जेसी कुमारप्पा एवं अन्य नेता उपस्थित थे।”

उल्लेखनीय है कि वर्ष 1960 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने सर्व सेवा संघ को गांधी विचार के उच्च अध्ययन एवं शोध के लिए एक राष्ट्रीय संस्थान की स्थापना का सुझाव दिया। तद्नुसार सर्व सेवा संघ ने अपनी जमीन पर राजघाट, वाराणसी में ‘दी गांधीयन इन्स्टीट्यूट ऑफ स्टडीज’(गांधी विद्या संस्थान) की स्थापना की।

इस संस्थान के लिए सर्व सेवा संघ ने अपनी क्रयशुदा जमीन उपलब्ध कराया और इस जमीन पर भवनों का निर्माण उ. प्र. गांधी स्मारक निधि ने किया। इस संदर्भ में सर्व सेवा संघ की ओर से उ. प्र. गांधी स्मारक निधि के साथ एक रजिस्टर्ड लीज डीड बनी, जिसका प्रावधान है कि ‘किन्हीं कारणों से गांधी विद्या संस्थान बंद हो जाता है अथवा अन्यत्र कहीं स्थानांतरित हो जाता है, तो जमीन स्वत: सर्व सेवा संघ को वापस हो जायेगी और भवन का उपयोग उ. प्र. गांधी स्मारक निधि की सहमति से कर सकेगा।’

दी गांधीयन इंस्टीट्यूट ऑफ स्टडीज (गांधी विद्या संस्थान) की वित्तीय व्यवस्था भारतीय समाज विज्ञान अनुसंधान परिषद तथा उत्तर प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा विभाग के 50-50 प्रतिशत के आर्थिक अनुदान से होती थी, जो सन् 2007 से बंद हो गयी है। इसका मुख्य कारण यह रहा कि संस्था प्रायोजित विवाद के कारण जिला न्यायालय (एडीजे दशम) के 28.05.2007 के फैसले के अनुसार संस्थान विघटित करते हुए वाराणसी के मंडलायुक्त की अध्यक्षता में एक संचालक मंडल बना दिया गया और संचालक मंडल को निर्देशित किया कि चूंकि यह एक महत्त्वपूर्ण संस्थान है, अत: इसे संचालित किया जाय।

आपके ध्यान में लाना समीचीन होगा कि वर्ष 2007 से 14 मई 2023 तक संस्थान पर जिला प्रशासन का ताला बंद रहा, संचालन नहीं किया गया। इसके लिए सर्व सेवा संघ की ओर से प्रत्यक्ष मिलकर और लिखित रूप से निवेदन किया गया कि संस्थान की लाइब्रेरी अमूल्य है, किताबें नष्ट हो रही हैं, अत: इसकी जिम्मेवारी सर्व सेवा संघ को दे दी जाय। खेदपूर्वक आपको कहना पड़ रहा है कि मंडलायुक्त महोदय की ओर से सकारात्मक पहल नहीं की गयी।

सर्व सेवा संघ परिसर, वाराणसी में मंडलायुक्त का 18 जनवरी, 2023 को अचानक आगमन हुआ। इसके बाद क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी, वाराणसी का पत्रांक क्षे.का.वा./2922-26/2022-23 दि. 25.02.2023 प्राप्त हुआ। क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी, वाराणसी के उक्त पत्र के माध्यम से जानकारी मिली कि उच्च शिक्षा अनुभाग-4, उत्तर प्रदेश शासन, लखनऊ के पत्र संख्या 1266/सत्तर-4-2016(1ए)/2007 दि. 16 सितंबर, 2016 द्वारा मण्डलायुक्त, वाराणसी की अध्यक्षता में गठित समति की 28.02.2023 को पूर्वान्ह 11.30 बजे आयुक्त के कैम्प कार्यालय में ‘क्षेत्रीय निदेशक, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, क्षेत्रीय केन्द्र, वाराणसी के अनुरोध के क्रम में गांधी विद्या संस्थान परिसर को प्रदान करने के संबंध मे’ एक बैठक बुलाई गयी है।

उल्लेखनीय है कि ‘क्षेत्रीय निदेशक, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, क्षेत्रीय केन्द्र, वाराणसी का क्या अनुरोध है, सर्व सेवा संघ को न तो आज तक प्राप्त हुआ है और न ही मण्डलायुक्त महोदय की ओर से इस संबंध में कोई प्रस्ताव उपलब्ध कराया गया है।

इस बैठक में सर्व सेवा संघ के स्थानीय प्रतिनिधि रामधीरज उपस्थित रहे। बैठक में कोई निर्णय नहीं हुआ। मण्डलायुक्त महोदय की मंशा सर्व सेवा संघ को न्यायसंगत नहीं लगी। फलस्वरूप सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल और प्रबंधक ट्रस्टी शेख हुसैन की ओर से पत्रांक 2022-23/1250 दि. 28.02.2023 जारी कर मण्डलायुक्त महोदय को इस निवेदन के साथ अवगत कराया गया कि ‘संस्थान के विवादित मामले माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में विचाराधीन हैं। संस्थान के संदर्भ में कोई भी निर्णय सर्व सेवा संघ एवं उ. प्र. गांधी स्मारक निधि की सहमति से ही संभव है। इसके साथ ही इस तथ्य का भी उल्लेख किया कि संचालन समिति का गठन गांधी विद्या संस्थान को सुचारू रूप से संचालति करने हेतु किया गया है। किसी अन्य संस्था को स्थानांतरित करने पर विचार करना संचालन समिति के क्षेत्राधिकार में शामिल नहीं है। अत: उपरोक्त तथ्यों के प्रकाश में क्षेत्रीय निदेशक, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, क्षेत्रीय केन्द्र वाराणसी का अनुरोध प्रासंगिक एवं न्यायोचित प्रतीत नहीं होता है।’

अचानक 15 मई, 2023 को परिसर में भारी पुलिस बल के साथ मजिस्ट्रेट और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के पदाधिकारियों का आना हुआ। इस बारे में मण्डलायुक्त की ओर से सर्व सेवा संघ को कोई जानकारी तक नहीं दी गयी। परिसर में आये भारी पुलिस फोर्स को देखकर उनसे पूछा गया, अचानक आप लोगों का यहां आना क्यों और कैसे हुआ। तब पता चला कि मण्डलायुक्त महोदय के आदेश के अनुसार गांधी विद्या संस्थान की लाइब्रेरी, प्रशासनिक भवन एवं परिसर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र को दे दिया गया है। मण्डलायुक्त का आदेश भी सर्व सेवा संघ को नहीं दिया गया।

गांधी विद्या संस्थान पर कब्जा एक प्रायोजित पहल

इसी बीच 11 अप्रैल, 2023 को उत्तर रेलवे लखनऊ द्वारा उपजिलाधिकारी, सदर, वाराणसी में सर्व सेवा संघ के ऊपर एक मुकदमा किया गया है। इस मुकदमे के अनुसार सर्व सेवा संघ द्वारा रेलवे से 1960, 1961 एवं 1970 में खरीदी गयी सभी जमीनों का दस्तावेज कूटरचित तरीके से तैयार किया गया है और यह आपराधिक कृत्य है।

यह उल्लेखनीय है कि आचार्य विनोबा भावे की पहल पर उक्त जमीनें स्व. लालबहादुर शास्त्री जी के सहयोग से सर्व सेवा संघ ने 1960, 1961 एवं 1970 में रेलवे से खरीदा है, जिसका डिविजनल इंजीनियर नार्दन रेलवे, लखनऊ द्वारा हस्ताक्षरित तीन रजिस्टर्ड सेल डीड हैं। 1960 में खरीद की जमीन की रकम रुपये 26,730, 1961 में खरीद की गयी जमीन की रकम रुपये 3,240 एवं 1970 में खरीद की गयी जमीन की रकम रुपये 4,485 स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, वाराणसी के क्रमश: ट्रेजरी चलान नं. 171 दि. 5 मई 1959, ट्रेजरी चलान नं. 31 दि. 27.04.1961 एवं ट्रेजरी चलान नं. 3 दि. 18.01.1968 के माध्यम से भुगतान किया गया है और यह रकम सरकार के खजाने में गयी है। अत: इसे कूटरचित कहना आचार्य विनोबा भावे, राधाकृष्ण बजाज, लोकनायक जयप्रकाश नारायण, लालबहादुर शास्त्री, जगजीवन राम एवं डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जैसे व्यक्तित्वों को लांक्षित करना है।

वास्तव में यह वाराणसी के आयुक्त कौशल राज शर्मा द्वारा गांधी विद्या संस्थान और सर्व सेवा संघ की जमीन हड़पने की साजिश है, जिसके प्रमाण में कुछ बिन्दु स्पष्ट हैं :

  1. 02 दिसंबर 2020 को सर्व सेवा संघ की जमीन के एक हिस्से पर कौशलराज शर्मा के निर्देश पर कब्जा कर लिया जाना। उस वक्त ये वाराणसी के जिलाधिकारी थे। जब इस घटना का प्रतिवाद किया गया, तो प्रशासन की ओर से कहा गया कि काशी कॉरिडोर के लिए इस स्थान का इस्तेमाल होगा और यह 6 महीने का ही काम है। इसके बाद वापस हो जाएगा। काशी कॉरिडोर का काम समाप्त हो गया, लेकिन आज भी इस हिस्से पर प्रशासन का कब्जा बना हुआ है।
  2. सर्व सेवा संघ परिसर में आयुक्त महोदय का 18 जनवरी, 2023 को अचानक आगमन होना और परिसर में घूमकर जमीनों को देखना।
  3. क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी, वाराणसी का पत्रांक क्षे.का.वा./2922-26/2022-23 दि. 25.02.2023 प्राप्त के माध्यम से मण्डलायुक्त, वाराणसी की अध्यक्षता में गठित समति की 28.02.2023 को पूर्वान्ह 11.30 बजे आयुक्त के कैम्प कार्यालय में ‘क्षेत्रीय निदेशक, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, क्षेत्रीय केन्द्र, वाराणसी के अनुरोध के क्रम में गांधी विद्या संस्थान परिसर को प्रदान करने के संबंध मे’ एक बैठक बुलाया जाना।

4. ‘क्षेत्रीय निदेशक, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, क्षेत्रीय केन्द्र, वाराणसी का क्या अनुरोध है, सर्व सेवा संघ को आयुक्त की ओर से जानकारी नहीं देना।

  1. 28 फरवरी 2023 को गांधी विद्या संस्थान के संचालन समिति के अध्यक्ष के नाते बुलाई गयी बैठक में गांधी विद्या संस्थान को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र को सौंप देने का मुद्दा रखना।
  2. ‘संस्थान से विवादित मामले माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में विचाराधीन होने की जानकारी के बाद भी न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन कर जबरन गांधी विद्या संस्थान को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र को सौंप देना।
  3. जिला न्यायालय (एडीजे दशम) के 28.05.2007 के आदेश द्वारा आयुक्त की अध्यक्षता में गठित संचालन समिति का दायित्व संस्थान के संचालन का था, न कि संस्थान को किसी अन्य व्यक्ति अथवा संस्था को देने का अधिकार। आयुक्त द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन किया जाना।
  4. आयुक्त द्वारा वर्ष 2007 से आज तक संस्थान का संचालन नहीं किया जाना।
  5. संस्थान की अमूल्य लाइब्रेरी, नष्ट हो रहीं किताबों की सुरक्षा के बारे में सर्व सेवा संघ के प्रतिनिधियों द्वारा प्रत्यक्ष मिलकर और लिखित निवेदन के उपरांत भी आयुक्त की ओर से संस्थान की जिम्मेवारी सर्व सेवा संघ को नहीं दिया जाना।
  6. उत्तर रेलवे लखनऊ की ओर से 11 अप्रैल 2023 को सर्व सेवा संघ के ऊपर कूटरचित दस्तावेज तैयार किये जाने और आपराधिक कृत्य बताते हुए मुकदमा किया जाना।

उपरोक्त बिन्दुओं पर ध्यान दिया जाय तो स्पष्ट है कि 02 दिसंबर 2020 और पिछले 18 जनवरी 2023 से 15 मई 2023, यानी इन पांच महीनों में ही कई घटनाक्रमों को अंजाम दिया गया है, जो आयुक्त द्वारा की जा रही जमीन हड़पने की साजिश का हिस्सा प्रतीत होता है।

महोदय, सर्व सेवा संघ की स्थापना 1948 में हुआ। वर्ष 1956 से ही वाराणसी में सर्व सेवा संघ का काम चल रहा है। वर्ष 1960 में जब सर्व सेवा संध ने रेलवे से जमीन खरीदा, तब इस साधना केन्द्र परिसर का निर्माण हुआ और 1964 में इस साधना केन्द्र का उद्घाटन स्व. लालबहादुर शास्त्री जी ने अपने कर-कमलों किया। फिर यहां सर्व सेवा संघ का कामकाज चलने लगा। साधना केन्द्र का यह परिसर सर्वोदयी व वरिष्ठ गांधीवादी आचार्य विनोबा भावे, लोकनायक जयप्रकाश नारायण व उनकी पत्नी प्रभावती जी, अच्युत पटवर्धन, बालकोबा भावे, दादा धर्माधिकारी, नारायण देसाई, विमला ठकार, निर्मला देशपांडे, कृष्णराज मेहता, शंकर राव देव, आचार्य राममूर्ति, अमरनाथ भाई आदि का कर्म-स्थल रहा है। यह भी उल्लेखनीय है कि विश्व प्रसिद्ध पुस्तक ‘Small is Beautiful’ की रचना इसी साधना केन्द्र परिसर में रहकर विश्वविख्यात अर्थशास्त्री प्रो. ई. एफ. शुमाखर ने की थी।

इस प्रकार साधना केन्द्र परिसर का राष्ट्र एवं समाज निर्माण के क्षेत्र में विगत 6 दशकों से ऐतिहासिक महत्त्व व योगदान रहा है। इसी परिसर में सर्व सेवा संघ का प्रकाशन विभाग है, जहां से देश भर के 70 रेलवे स्टेशनों पर संचालित ‘सर्वोदय बुक स्टालों’ के माध्यम से राष्ट्र-निर्माण की दृष्टि से ‘गांधी-विनोबा-जेपी’ सहित देश के मनीषियों का सत्साहित्य पहुंचाया जाता है।

हम गांधीजन आपसे निवेदन करते हैं कि –

1.सर्व सेवा संघ की क्रयशुदा भूमि पर काशी कॉरिडोर के वर्कशॉप के लिए 02 दिसंबर 2020 से जिला प्रशासन द्वारा कब्जा कर लिया गया है, जो अभी तक कायम है। इस जमीन को अविलंब कब्जे से मुक्त किया जाय।

2.15 मई 2023 को गांधी विद्या संस्थान के भवनों पर आयुक्त द्वारा बलपूर्वक कब्जा कर एक असंबद्ध संस्था ‘इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र’ को सौंप देना अनुचित व आयुक्त द्वारा क्षेत्राधिकार का उल्लंघन है। इस आदेश को वापस लिया जाय।

3.रेलवे द्वारा सर्व सेवा संघ की खरीदी हुई जमीन के संबंध में ‘कूटरचित आपराधिक कृत्य’ का आरोप लगाया गया है, जो लज्जाजनक है। इस प्रकरण के द्वारा आचार्य विनोबा भावे, पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री, तत्कालीन रेलमंत्री जगजीवन राम तथा देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जैसे व्यक्तित्वों को लांक्षित किया गया है। रेलवे की इस शिकायत पर संज्ञान लिया जाना और मुकदमा दर्ज करना दु:खद एवं हास्यास्पद है। कृपया इस शिकायत/वाद को तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाय।

(सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल के पत्र पर आधारित।)

प्रदीप सिंह https://www.janchowk.com

दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय और जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।

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