लोकसभा चुनाव 2024: उत्तर-पश्चिम दिल्ली संसदीय क्षेत्र से सांसद हंसराज हंस की गैरमौजूदगी बीजेपी पर पड़ सकती है भारी

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नई दिल्ली। राजधानी की सात लोकसभा सीटों में से एक उत्तर-पश्चिम संसदीय क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। इससे पहले यह बाहरी दिल्ली संसदीय क्षेत्र का हिस्सा थी। साल 2008 में हुए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई यह सीट क्षेत्रफल की दृष्टि से दिल्ली के सभी लोकसभा सीटों से बड़ी है। इस निर्वाचन क्षेत्र में शहरी, ग्रामीण और अनधिकृत कॉलोनियों की अच्छी संख्या है।

उत्तर पश्चिम लोकसभा क्षेत्र में दिल्ली के करीब 125 गांव, दो सौ अनधिकृत कॉलोनियां और मंगोलपुरी एवं सुल्तानपुरी जैसी पुनर्वास कॉलोनियां भी शामिल हैं, जिनकी आबादी पांच लाख से अधिक है। इस संसदीय क्षेत्र में किराड़ी, बादली, सुल्तानपुर माजरा, मंगोलपुरी, नांगलोई, नरेला, बवाना, रिठाला, मुंडका और  रोहिणी समेत दस विधानसभा क्षेत्रों को शामिल किया गया है। रोहिणी विधानसभा से भाजपा तो बाकी 9 विधानसभा सीटों पर आप (AAP) का कब्जा है। उत्तर-पश्चिम दिल्ली में छठे चरण में 25 मई, 2024  को मतदान होगा।

इस संसदीय क्षेत्र में अपेक्षाकृत निम्न आय वर्ग के लोगों के साथ ही बड़ी संख्या में ग्रामीण आबादी और अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले प्रवासी शामिल हैं। प्रवासियों में पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान के लोग शामिल हैं। उत्तर-पश्चिम लोकसभा सीट पर पूर्वांचलियों की संख्या पर्याप्त है। एक आंकड़े के मुताबिक उत्तर पश्चिम लोकसभा सीट में  22 प्रतिशत दलित तो 20 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग के लोग रहते हैं। इसके साथ ही 12 प्रतिशत जाट, 12 प्रतिशत ब्राह्मण, 10 प्रतिशत वैश्य, 6 प्रतिशत पंजाबी, 10 प्रतिशत मुसलमानों की संख्या है। दलित, मुस्लिम और पूर्वांचलियों के साथ ही औद्योगिक क्षेत्र होने के कारण इस लोकसभा सीट पर कामगारों की भी बड़ी संख्या है।

उदितराज, कांग्रेस प्रत्याशी

पिछले दो बार से इस सीट पर बीजेपी की जीत हो रही है। 2009 में इस सीट पर कांग्रेस की कृष्णा तीरथ ने जीत हासिल की थी। 2014 में भाजपा के उदित राज तो 2019 में भाजपा के टिकट पर प्रसिद्ध पंजाबी गायक हंसराज हंस की जीत हुई थी। भाजपा ने इस बार दिल्ली के सात में से 6 सांसदों का टिकट काटकर नए चेहरों को उतारा है। भाजपा इस सीट पर योगेंद्र चंदोलिया को टिकट देकर हैट्रिक लगाना चाह रही है। लेकिन हंसराज हंस की जगह दूसरा प्रत्याशी उतारने के बावजूद जनता का गुस्सा कम नहीं हुआ है। क्योंकि पिछले पांच सालों में सांसद हंसराज हंस क्षेत्र से गायब रहे।

कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन होने के बाद इस सीट पर मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है। इंडिया गठबंधन के तहत यह सीट कांग्रेस के खाते में गई है। कांग्रेस ने इस सीट से डॉ. उदित राज को उतारा है। उदित राज 2014 में भाजपा के टिकट पर उत्तर पश्चिम सीट से सांसद निर्वाचित हुए थे। 2019 में भाजपा ने उनका टिकट काट दिया था। तब उदित राज कांग्रेस में शामिल हो गए थे, और कांग्रेस के टिकट पर वह हंसराज हंस के खिलाफ चुनाव लड़े थे। कांग्रेस ने एक बार फिर उन पर भरोसा जताते हुए टिकट दिया है। इस बार कांग्रेस के साथ ही आम आदमी पार्टी भी उनके साथ है।

योगेंद्र चंदोलिया, भाजपा प्रत्याशी

लंबे समय तक बाहरी दिल्ली के नाम से जाना जाने वाले इस क्षेत्र में जनता की मूलभूत जरूरतें क्या हैं, क्या राजधानी के इस क्षेत्र को वो सुविधाएं मिल रही हैं, जो दिल्ली के दूसरे क्षेत्रों को उपलब्ध हैं या उत्तर पश्चिम दिल्ली के मतदाताओं की मुख्य समस्या क्या है?

जनचौक संवाददाता ने उत्तर-पश्चिम लोकसभा क्षेत्र की मुख्य समस्याओं को जानने की कोशिश की। संसदीय क्षेत्र के रोहिणी, किराड़ी और रिठाला समेत कई विधानसभाओं में लोगों से शिक्षा, स्वास्थ्य, ट्रांसपोर्ट, कानून-व्यवस्था के मुद्दे के साथ ही निवर्तमान सांसद हंसराज हंस के कामकाज पर सवाल पूछा। जनता से बातचीत के बाद उत्तर-पश्चिम दिल्ली लोकसभा की जो तस्वीर सामने आयी है, उसे हम पाठकों के समक्ष रख रहे हैं।

उत्तर-पश्चिम दिल्ली की जनता निवर्तमान सांसद हंसराज हंस से बहुत नाराज है। जनता की शिकायत है कि हंसराज हंस पांच सालों में काम की कौन कहे, कभी क्षेत्र में आए ही नहीं । यही कारण है कि भाजपा ने उनका टिकट काट दिया। क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वालों की है। कॉलोनियों में पानी, बिजली और सीवर की सुविधा तो मिल गई है। लेकिन अनियोजित विकास की वजह से अधिकांश मकान सड़क के नीचे हो गए हैं और बरसात में पानी भर जाता है।

किराड़ी विधानसभा के प्रताप विहार में लाइब्रेरी चलाने वाली ज्योति माला सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वह पहले आम आदमी पार्टी में थीं लेकिन अब आप को छोड़ चुकी हैं। उनका कहना है कि उत्तर- पश्चिम दिल्ली लोकसभा में उदित राज के पक्ष में अंडर-करेंट है। इस क्षेत्र के दलित, ओबीसी, अल्पसंख्यक और पूर्वांचली मतदाता कांग्रेस के पक्ष में है।

ज्योति माला, सामाजिक कार्यकर्ता

ज्योति माला कहती हैं कि “भाजपा ने अपने सांसद को बदलकर योगेंद्र चंदोलिया को मैदान में उतारा है। लेकिन संघ-भाजपा को चंदोलिया पर कम, दुष्प्रचार पर ज्यादा भरोसा है। वह उदित राज को सनातन विरोधी बताने में लगी है। इसके लिए वह उदित राज द्वारा पूर्व में बहुजन समाज के हित में किए गए ट्वीट को दिखाती है। लेकिन भाजपा की यह रणनीति कामयाब होती नहीं दिख रही है। क्षेत्र  की जनता पूर्व में उनके द्वारा किए गए कार्यों के कारण उनके साथ हैं। सांसद रहने के दौरान उदित राज ने क्षेत्र में सार्वजनिक कार्यों के साथ बहुत से लोगों के व्यक्तिगत कार्य भी किए हैं।”

क्षेत्र की बुनियादी समस्याओं पर वह कहती हैं कि यह क्षेत्र मिश्रित आबादी वाला है, यानी शहरी और ग्रामीण या कह सकते हैं कि गांव और अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले। गांवों में तो कुछ सुविधाएं पहले से मौजूद हैं लेकिन अनधिकृत कॉलोनियों में सुविधाओं का टोटा है।

ज्योति माला कहती हैं कि “क्षेत्र में सड़क और पानी का नितांत अभाव है। स्कूल और अस्पताल की कमी है। कई विधानसभा में तो एक भी अस्पताल नहीं है। रिठाला में अंबेडकर हॉस्पिटल तो मंगोलपुरी में संजय गांधी हॉस्पिटल का सहारा है। राशन कार्ड और बुजुर्गों के पेंशन की समस्या है। कच्ची कॉलोनियों में बरसात में परेशानी बहुत बढ़ जाती है। 2019 में किराड़ी विधानसभा में लगभग 34 हजार मतदाताओं का नाम मतदाता सूची से कट गया था।”

ज्योति माला कहती हैं कि  “इस क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या ट्रांसपोर्ट की है। निजी बस (आरटीवी) संचालित करने वाले सरकारी बसों और ई रिक्शा को नहीं चलने देते हैं। कई क्षेत्रों में तो बस और ई रिक्शा चलने के लिए जगह भी नहीं है।”

ज्योति कहती हैं कि क्षेत्र में सिर्फ बिजली आपूर्ति की तारीफ की जा सकती है। क्योंकि वह बहुत कम कटती है।

प्रबल प्रताप शाही, कांग्रेस कार्यकर्ता

रोहिणी में रहने वाले प्रबल प्रताप शाही कहते हैं कि “उत्तर पश्चिमी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में बेरोजगारी, महंगाई और संविधान को संघी हमले से बचाने का मुद्दा प्रमुख है। इस क्षेत्र में सबसे अधिक दलित समुदाय के लोग हैं उनके लिए यह चुनाव संविधान बचाने का चुनाव है।”

प्रबल कहते हैं कि “राष्ट्रीय मुद्दों के अलावा यहां का मतदाता मोदी सरकार से बहुत नाराज है। क्षेत्र के जाट महिला पहलवानों के साथ हुई नाइंसाफी से नाराज़ हैं, तो वैश्य वर्ग अरविंद केजरीवाल को जेल में डालने से खफा है।”

रिठाला के विजय विहार में रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता भूपेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि अभी तो चुनावी माहौल शुरू ही नहीं हुआ हैं। पता ही नहीं चल रहा है कि चुनाव हो रहा है। लेकिन जनता साइलेंट मोड में है। टीवी, सोशल मीडिया और जनसभा से भी चुनाव की चर्चा नहीं हो रही है। लोग आपस में भले बात कर रहे हों, लेकिन चाय की दुकानों पर चुनाव के बारे में कोई चर्चा नहीं है।

भूपेंद्र रावत, सामाजिक कार्यकर्ता

भूपेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि “इस क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या अनधिकृत कॉलोनी और अनियोजित विकास है। जिसमें आम जनता पिस रही है। बड़ी सड़कों के किनारे जिनके घर या दुकानें हैं, उसके टूटने का खतरा बना रहता है। क्योंकि हर साल सड़कें चौड़ी होती हैं तो मकान-दुकान का कुछ हिस्सा टूट जाता है। और क्षेत्र में ट्रांसपोर्ट की बड़ी समस्या है।”

रावत अपनी बात को बढ़ाते हुए कहते हैं कि “राजधानी दिल्ली के नागरिकों के मन में सेना के प्रति बड़ा सम्मान है और जिस तरह मोदी सरकार ने सेना के साथ खिलवाड़ करके सैनिकों को अग्निवीर में तब्दील कर दिया है लोग इसके खिलाफ हैं और कांग्रेस के न्याय पत्र में अग्निवीर योजना को खत्म करने के लिए कांग्रेस को वोट करेंगे। एमएसपी की मांग को लेकर सैकड़ों किसानों के ने कुर्बानी दी है दिल्ली देहात के किसान एमएसपी की गारंटी,  कर्ज माफी के लिए और मोदी की अग्निवीर योजना समाप्त कराने के लिए कांग्रेस को वोट करेगा।”

रावत कहते हैं कि “संविधान को बचाने के लिए पिछड़ा, दलित, आदिवासी मजदूर , महिलाएं और संविधान प्रेमियों का वोट कांग्रेस के पक्ष में पड़ेगा। दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे की टिकट काटने की जाट मतदाताओं की नाराजगी का लाभ कांग्रेस उम्मीदवार को मिलेगा।”

किराड़ी के प्रेम नगर में रहने वाले अमित कुमार बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों में लगने वाले लिफ्ट का काम करते हैं। वह कहते है कि शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य के साथ ही इस क्षेत्र में कानून-व्यवस्था का बड़ा मुद्दा है। दिन में ही चोरी और छिनैती हो जाती है पुलिस को फोन करते रहिए, कोई नहीं आता है।

अमित कुमार, स्थानीय नागरिक

अमित कहते हैं कि “ नांगलोई रेलवे फाटक बड़ी समस्या है। जाम के कारण लोगों का समय बर्बाद होता है। इसी तरह सुल्तानपुरी मोड़ पर भी जाम से पूरा क्षेत्र हलकान रहता है।”

अमित कहते हैं कि “अब क्षेत्र में नशा का कारोबार बढ़ रहा है। अवैध शराब से साथ ही ड्रग्स की खुलेआम बिक्री हो रही है। कोई रोकने-टोकने वाला नहीं है।”

सुल्तानपुर माजरा के रहने वाले बीरेंद्र कुमार कहते हैं कि “समस्याएं तो हर क्षेत्र में हैं लेकिन पूर्वांचल का मतदाता अब स्थानीय लोगों को वोट नहीं देगा। आम आदमी पार्टी ने स्थानीय लोगों के वर्चस्व को तोड़कर बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के प्रवासी लोगों को सम्मान दिया है। स्थानीय लोग पहले प्रवासियों को सस्ते जमीन, राशन कार्ड और पेंशन के नाम पर ठगा। अब वो नहीं ठग पायेंगे। अब दिल्ली का चुनाव साइलेंटली स्थानीय बनाम प्रवासी  हो गया है।”

(प्रदीप सिंह की रिपोर्ट)

प्रदीप सिंह https://www.janchowk.com

दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय और जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।

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