नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साई बाबा का निधन हो गया है। उन्हें गाल ब्लैडर के आपरेशन के लिए हैदराबाद स्थित निम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां आपरेशन के दौरान स्थिति गंभीर हो गयी और उन्हें बचाया नहीं जा सका। वह 57 वर्ष के थे।
अभी कुछ महीनों पहले ही वह जेल से रिहा हुए थे। बांबे हाईकोर्ट ने उन्हें तमाम आरोपों से बाइज्जत बरी कर दिया था।
साईबाबा को निम्स में 10 दिन पहले भर्ती कराया गया था। उनके परिजनों का कहना है कि शनिवार की रात करीब 8.30 बजे उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनका निधन हो गया।
5 मार्च को बांबे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने माओवादियों से उनके संपर्क संबंधी लगे आरोपों को खारिज करते हुए बरी कर दिया था। उन्हें 9 मई 2014 को गिरफ्तार किया गया था। 7 मार्च को उन्हें नागपुर सेंट्रल जेल से रिहा किया गया। इस दौरान उन्होंने 9 साल से ज्यादा वक्त जेल में बिताया।
जस्टिस विनय जोशी और वाल्मीकि एसए मेनेज की खंडपीठ ने उनके आजीवन कारावास की सजा को रद्द कर दिया था और उनके समेत पांच और लोगों को सारे आरोपों से बरी कर दिया था। बेंच ने कहा कि वह सभी आरोपियों को छोड़ रही है क्योंकि सरकारी पक्ष उनके खिलाफ कोई भी सबूत नहीं दे सका।
मार्च, 2017 में महाराष्ट्र के सेशन कोर्ट ने साई बाबा के अलावा पांच और लोगों को सजा दी थी जिसमें महेश तिर्की, पांडु नरोटे, हेम मिश्रा, प्रशांत राही और विजय तिर्की शामिल थे। इन सभी पर माओवादियों के साथ रिश्ते होने के आरोप लगे थे। और इस तरह से राष्ट्र के खिलाफ युद्ध छेड़ने का आरोप लगाया गया था।
जीएन साईबाबा दिल्ली विश्वविद्यालय के राम लाल आनंद कालेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर थे। यहां उन्होंने 2003 में ज्वाइन किया था। महाराष्ट्र में सजा होने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने 2014 में उन्हें निलंबित कर दिया था।
खबर मिलने के बाद सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलियों का तांता लग गया है। बहुत सारे लोगों का कहना है कि सत्ता ने उनके साथ अन्याय किया। इतने दिनों तक बगैर किसी सबूत के उन्हें जेल में रखा गया। फिर नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। और इस दौरान उनका जेल में इतना उत्पीड़न किया गया कि उनकी स्वास्थ्य की स्थिति बेहद नाजुक हो गयी।
और इसी के आधार पर बहुत लोग इसे राज्य द्वारा की गयी हत्या की संज्ञा दे रहे हैं। साईबाबा को इन स्थितियों तक पहुंचाने के लिए सत्ता जिम्मेदार है।
सीपीआई एमएल के महासचिव कॉमरेड दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा है कि प्रोफेसर साई ने जेल में रहने के दौरान अपनी मां को खो दिया। वह सिस्टम जो अनुराग ठाकुर और बृज भूषण शरण सिंह जैसों को खुला छोड़ देता है जो बिल्किस बानो के बलात्कारियों को देश के 75 वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर रिहा कर देता है, जो राम रहीम को बार-बार पैरोल देता है, संजीव भट्ट को जेल में सड़ने और स्टैन स्वामी को मरने के लिए छोड़ देता है, जबकि साईबाबा अपने जेल जीवन के दौरान अंतहीन टार्चर का शिकार होते हैं और अपने प्यारे लोगों से एक-एक कर बिछुड़ते जाते हैं।
ऐसे सिस्टम को खत्म करने की जरूरत है। भारत के संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य में कानून के शासन और न्याय की जरूरत है और उससे अलग कुछ नहीं।
जनमंच ने लिखा है कि महान योद्धा प्रोफेसर जीएन साई नहीं रहे। जनमंच कामरेड साई को सलाम करता है। लाल सलाम कामरेड साई।
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